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प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह इको – विकल्प प्रदर्शनी का उद्घाटन

प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प पर पर्यावरण के अनुकूल नेशनल एक्सपो स्टार्टअप -2022 का चेन्नई में शुभारंभ हुआ। इसका उद्घाटन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतिबंधित प्लास्टिक कचरे की जगह जूट और बांस जैसे पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देना देश के लिए बहुत जरूरी है।

इको विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए यह देश की पहली प्रदर्शनी और स्टार्टअप सम्मेलन है। यह सम्मेलन समुद्री प्लास्टिक कचरे पर चुनौतियों और समाधान के साथ ही इको विकल्पों का का एक मंच है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और तमिलनाडु सरकार द्वारा एक्सपो और स्टार्ट अप सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।आइए जानते है इको विकल्प और सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है……

इको विकल्प क्या है

इको विकल्प का मुख्य उद्देश्य इकोसिस्टम को बढ़ावा देना और प्रतिबंधित एकल वस्तुओं के स्थान पर इको विकल्प को शामिल किया जाना जिसके अंतर्गत प्राकृतिक रेशों जैसे – खोई, चावल और गेहूं की भूसी पौधे और कृषि अवशेष, केला और सुपारी के पत्ते, जूट और कपड़ा शामिल है। इसे यूज करने से इकोसिस्टम पर कोई प्रभाव नही होगा। सिंगल यूज आइटम्स मनुष्यों के साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है। इसलिए इस प्रदर्शनी में पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही स्टार्ट अप एक्सपो में लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक और इको विकल्प वस्तुओं के बारे में बताया जाएगा।

आपको बता दें कि इस एक्सपो प्रदर्शनी में पूरे देश के इको विकल्प के 150 से अधिक निर्माता हिस्सा ले रहे है।

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है

प्लास्टिक से बनी वह वस्तुएं जो सिर्फ एक बार उपयोग की जाती है, जिन्हें रिसाइकिल नही किया जा सकता है उसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहते है। सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण में खतरनाक कैमिकल घुल जाते है जिससे जानवर और इंसान दोनों को नुकसान होता है। यह पानी को दूषित कर देता है और मिट्टी की गुणवत्ता को खत्म कर देता है। इसमें खराब या सस्ती क्वालिटी की प्लास्टिक से बने पॉलिथीन , बोतल आदि शामिल है। भारत सरकार ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम के तहत 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 वस्तुओं पर पाबंदी लगा दी है।

वर्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार पिछले 50 साल में पूरी में प्लास्टिक का उपयोग 20 गुना बढ़ गया है।