धर्मरक्षा के कार्य में मतभेद भुलाकर हिन्दू संगठित हों, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना दूर नहीं है ! – श्री. रमेश शिंदे
‘भारत में अल्पसंख्यकों को मिलनेवाली विशेष प्राथमिकता और छूट के कारण विविध प्रकार का ‘जिहाद’ सिर ऊपर उठा रहा है। हिन्दुओं को अत्याचारी इतिहास भूलने हेतु बाध्य कर उन्हें असहिष्णु ठहराया जा रहा है; परंतु इस कुप्रचार की बलि न चढते हुए सत्य इतिहास सिखाने के लिए सरकार से आग्रह करना चाहिए। वर्तमान में ‘हलाल सर्टिफिकेट’ नामक एक नई समांतर अर्थव्यवस्था निर्माण हो गई है तथा इससे उत्पन्न धन का उपयोग भारत में अपराध करवाने के लिए किया जाता है। इसके लिए ‘हलाल’ का सिक्का लगे हुए उत्पादन न खरीदें । धर्मरक्षा के कार्य में सर्व मतभेद भुलाकर, संगठित शक्ति दिखाने से हिन्दू राष्ट्र स्थापना दूर नहीं है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘ऑनलाइन’ ‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा’ में बोल रहे थे. सभा के प्रारंभ में शंखनाद किया गया । उसके उपरांत सनातन संस्था के सद़्गुरु नंदकुमार जाधव ने दीपप्रज्वलन किया। हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक पर पुष्पहार अर्पण किया । तत्पश्चात वेदमंत्रपठन हुआ । उसके उपरांत वक्ताओं के जाज्वल्यपूर्ण भाषण हुए । यह सभा ‘यू ट्यूब लाइव’ और ‘फेसबुक’ के माध्यम से 78 हजार से अधिक लोगों ने देखी.
इस सभा में श्रीराम सेना के अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक ने कहा कि, हिन्दू धर्म ने कभी किसी धर्म से घृणा नहीं की है । ईश्वर एक है; परंतु उसका स्वरूप अलग अलग है, ऐसी सीख हिन्दू धर्म देता है । अनेक विदेशियों ने भारत पर आक्रमण कर हिन्दुआें पर अनेक अत्याचार किए, उनकी संपत्ति लूटी, देवालय ध्वस्त किए, हिन्दू संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया । क्योंकि हिन्दू समाज संगठित नहीं था ।’ ‘हिन्दुओ, पुनः ऐसी स्थिति न आए, इसके लिए स्वयं में धर्मतेज निर्माण कर देव, देश, और धर्म की रक्षा करें, ऐसा आवाहन भी श्री. मुतालिक ने किया ।
सनातन संस्था के सद़्गुरु नंदकुमार जाधव इस समय मार्गदर्शन करते हुए बोले, ‘आज देश और धर्म संक्रमण अवस्था से गुजर रहा है । कोरोना के काल में पाश्चिमात्य संस्कृति का अंधानुकरण कितना अवैज्ञानिक था, यह दिखाई दिया है और संपूर्ण संसार ने हाथ जोडकर नमस्कार करने की अभिवादन की पद्धति स्वीकारी है । ऋषिमुनियों द्वारा बताया गया और धर्मग्रंथों का धर्माचरण पिछडा हुआ नहीं है, अपितु प्रत्येक कृत्य के पीछे वैज्ञानिक कारण है । इसलिए हिन्दू संस्कृति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करें और श्रद्धापूर्वक धर्माचरण करें । धर्माचरण करने से आत्मबल निर्माण होता है और कठिन परिस्थिति का सामना कर पाते हैं ।
इस समय अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासंघ के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष और प्रवक्ता डॉ. विजय जंगम (स्वामी) बोले, ‘ हिन्दुओं में हिन्दू धर्म के प्रति जागृति करनी पडती है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है । हिन्दू धर्म के अनेक पंथ स्वयं का धर्म स्थापित करने की मांग कर रहे हैं । यह हिन्दुआें में फूट डालने का षड्यंत्र है । लिंगायत समाज भी हिन्दू धर्म का ही एक भाग है, यह ध्यान में रखें । राष्ट्र की प्रगति करनी है कि उसे निर्वश करना है, यह हम हिन्दुओं को तय करना है। आइए छत्रपति शिवाजी महाराज की स्वराज्य स्थापना का आदर्श लेकर हिन्दू राष्ट्र का संकल्प करें ।’
इस सभा में धर्मवीरों द्वारा दिखाए गए स्वरक्षा के प्रात्यक्षिक और बाल साधकों द्वारा किया गया धर्माचरण का आवाहन आकर्षक सिद्ध हुआ । इस समय धर्मशिक्षा विषयक फ्लेक्स प्रदर्शनी भी दिखाई गई । सभा के अंत में हिन्दू राष्ट्र -स्थापना तथा हिन्दुआें की विविध मांगों के लिए प्रस्ताव पारित किए गए । इसे उपस्थित लोगों ने ‘ऑनलाइन अभिप्राय’ देकर समर्थन दिया।