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आपराधिक मामलों में छह महीना रहे फरार तो जाएगी कुर्सी

पटना। सूबे में मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव अब सामान्य निर्वाचन प्रक्रिया के तहत ही होगा। इसके लिए बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 23 का संशोधन कर बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश 2022 को लागू कर दिया गया है। इस अध्यादेश के तहत मेयर व डिप्टी मेयर द्वारा उसी नगरपालिका की मतदाता सूची में दर्ज व्यक्तियों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन से राज्य निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण में निर्वाचित होगा। यदि मृत्यु, पद त्याग, बर्खास्तगी या अन्य कारणों से मेयर व डिप्टी मेयर पद की आकस्मिक रिक्ति की स्थिति में भी इसी तरह चुनाव कराकर इन पदों को भरा जाएगा। निर्वाचित मेयर व डिप्टी मेयर अपने पूर्वाधिकारी के बचे हुए कार्यकाल तक पद धारण करेगा। यदि सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों के पद में कोई आकस्मिक रिक्ति होती है तो ऐसी रिक्ति होने के बाद यथाशीघ्र मेयर निर्वाचित पार्षदों में से किसी को नामित करेगा और ऐसा नामित प्रत्येक पार्षद अपने पूर्वाधिकारी के बचे हुए कार्यकाल तक पद धारण करेगा। वहीं बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 का भी संशोधन किया गया है। संशोधन के तहत मेयर व डिप्टी मेयर अपने पद से सरकार को संबोधित अपने स्वलिखित आवेदन द्वारा त्याग पत्र दे सकता है। त्याग पत्र सात दिनों बाद प्रभावित हो जाएगा बशर्ते उक्त सात दिनों के भीतर यथास्थिति सरकार को संबोधित अपने स्वलिखित त्यागपत्र वापस न ले। यदि किसी मेयर व डिप्टी मेयर बिना किसी समुचित कारण के तीन लगातार बैठकों में भाग नहीं लेते है, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार को दोषी पाये जाने या अपने कर्तव्यों के निर्वहन करने में शारीरिक या मानिसक तौर पर अक्षम होने या किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त होने के कारण छह माह से अधिक फरार हो जाने का दोषी हो तो सरकार उनसे स्पष्टïीकरण की मांग कर ऐसे मेयर व डिप्टी मेयर को उसके पद से हटा सकेगा।