ऑनलाइन ‘नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का सफल समापन
गत 500 वर्षों से जिस मांग के लिए हिन्दू संघर्ष कर रहे थे, उस अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण का भूमिपूजन हो गया तथा मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है । इस अवसर पर हिन्दुओं में धर्म के प्रति जो चेतना जागृत हुई है, वह वास्तविक रूप से हिन्दू राष्ट्र निर्मिति के कार्य के लिए पोषक सिद्ध होनेवाली हैं । राममंदिर के समान आक्रमणकारियों के चिन्हों से काशी, मथुरा सहित संपूर्ण देश के सर्व मंदिर मुक्त करने के लिए हिन्दुओं को अब सज्ज हो जाना चाहिए । उस संयोग से चाहे वह ‘समान नागरिक अधिनियम’ हो, कश्मीर में हिन्दुओं का पुनर्वसन हो अथवा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और अन्य देशों के पीडित हिन्दुओं को भारत में शरणार्थी के रूप में समा लेने का विषय हो । इसके साथ ही हिन्दू हित के अन्य सर्व विषयों को न्याय दिलवाने के लिए हिन्दुओं को एकजुट होना नितांत आवश्यक है ।
स्वतंत्रता के 7 दशक भारत में बहुसंख्यक होकर भी हिन्दू अन्याय, अत्याचार, पक्षपात और अपमान सहन करता रहा । हिन्दुओं की असंख्य समस्याएं हैं । उस पर ‘हिन्दू राष्ट्र’ की निर्मिति एकमात्र उपाय है । यह ध्यान में रखकर हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था गत 8 वर्षों से गोवा में अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के माध्यम से हिन्दुओं को संगठित करने के लिए अथक प्रयत्न कर रही हैं । इसलिए आज भारत सहित विदेश में भी हिन्दू राष्ट्र की चर्चा जोरदार चल रही है । इसलिए भारत सहित पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनशिया इन देशों के अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन हिन्दू राष्ट्र निर्मिति के उद्देश्य से संगठित हुए हैं । इस वर्ष कोरोना जागतिक महामारी के कारण यह अधिवेशन 30 जुलाई से 2 अगस्त और 6 से 9 अगस्त की अवधि में ‘ऑनलाइन’ संपन्न हुआ । इन आठ दिवसों में देश-विदेश के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधि, अधिवक्ता, विचारक, संपादक, उद्योगपति आदि इस अधिवेशन में ‘ऑनलाइन’ उपस्थित थे । समिति का ‘यू-ट्यूब’ चैनल ‘’ और फेसबुक पेज ‘’ द्वारा यह अधिवेशन 3 लाख 90 हजार से अधिक लोगों ने प्रत्यक्ष देखा ।
विशेष परिसंवादों से विविध समस्याओं पर विचारमंथन और उपाय !
अधिवेशन में विविध विषयों पर लिए गए ‘विशेष परिसंवाद’ इस अधिवेशन की विशेषता सिद्ध हुए । ‘मंदिरों की रक्षा’, ‘पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में हिन्दुओं का बढता धर्मांतरण और उस पर उपाय इस विषय पर विशेष परिसंवाद लेकर व्यापक विचारमंथन किया गया । हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता और दिशा’ इस परिसंवाद में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता और ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के प्रवक्ता विष्णु शंकर जैन बोले कि ‘हिन्दूराष्ट्र की मांग संवैधानिक ही है; क्योंकि भारत के मूल संविधान की प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ (सेक्युलर) और ‘समाजवाद’ ये दोनों शब्द नहीं थे । वर्ष 1948 में डॉ. अंबेडकर सहित संविधान समिति ने ये शब्द अंतर्भूत करने का विरोध किया था तथा उसका प्रस्ताव दो बार खारिज कर दिया था । ये शब्द आपातकाल के समय जब विरोधी पक्ष कारागृह में थे, तब बिना किसी चर्चा के असंवैधानिक रूप से संविधान में बलपूर्वक जोडे गए थे । जिस प्रकार जोडे गए, उसी प्रकार उन्हें हटाया भी जा सकता है ।’
हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने ‘मंदिरों की रक्षा’, इस परिसंवाद में ‘राममंदिर के समान ही काशी, मथुरा सहित संपूर्ण देश के 40 हजार मंदिर मुक्त करने के लिए हिन्दुओं को ‘राष्ट्रीय मंदिर-संस्कृति रक्षा अभियान’ में सम्मिलित होने का आवाहन किया है ।
इस अधिवेशन में ‘हिन्दू जागृति तथा हिन्दू समाज की सहायता’, ‘मंदिर रक्षा अभियान’, ‘राष्ट्रविरोधी तत्त्वों का प्रतिकार’, ‘सुराज्य अभियान’ आदि विषयों के उद्बोधन सत्रों में अनेक मान्यवर वक्ताओं ने अभ्यासपूर्ण जानकारी देकर वैधानिक मार्ग से संघर्ष करने का आवाहन किया । उसके महत्त्वपूर्ण अंश आगे दिए अनुसार हैं …
‘देहली दंगे’ और ‘शाहीनबाग आंदोलन’ शहरी नक्सलवादियों और जिहादियों का देशविरोधी षड्यंत्र !
इस अधिवेशन में देहली दंगों के संबंध में जानकारी देते हुए भूतपूर्व विधायक और प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ नेता श्री. कपिल मिश्रा बोले, ‘‘भारतीय संसद से केवल 10 किलोमीटर की दूरी पर हिंसक आंदोलन कर भारत में ‘इस्लामी शासन’ लागू करने हेतु भडकाऊ भाषण दिए गए । विदेशी धन के बल पर अनेक पुलिसकर्मियों को लक्ष्य बनाया गया, अनेक हिन्दुओं की हत्या की गई, ‘सीएनजी’ की अनेक बसें जलाकर उसके द्वार विस्फोट करने की बडी योजना बनाई गई । इन दंगाईयों का समर्थन करने का काम देश के आधुनिक और वामपंथी विचारों के पत्रकार, प्रसारमाध्यम, अधिवक्ता, लेखक, विचारक आदि ने किया । देहली दंगे और शाहीनबाग आंदोलन शहरी नक्सलवादियों और जिहादियों द्वारा भारत में अराजकता फैलाने के लिए नियोजनपूर्वक किया गया बडा देशविरोधी षड्यंत्र था । जो अब ‘आम आदमी पार्टी’ के पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा देहली दंगों में सम्मिलित होने की स्वीकृति देने के कारण स्पष्ट हो गया है ।’’
‘हलाल सर्टिफिकेट’ के माध्यम से भारत में आर्थिक जिहाद !
वर्तमान में भारत में ‘हलाल सर्टिफिकिट’ केवल मांसाहार ही नहीं; अनेक शाकाहारी पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन, औषधियां, चिकित्सालय, गृहसंकुल, डेटिंग साईट आदि हेतु इस्लामी कानूनों के अनुसार ‘हलाल सर्टिफिकेट’ की व्यवस्था लागू है । इससे इस्लामी संस्थाओं को हजारों करोड रुपए मिलते हैं । वास्तव में ‘सेक्युलर’ भारत में इस्लामी आर्थिकनीति को बढावा देनेवाली ‘हलाल सर्टिफिकेट’ की व्यवस्था 80 प्रतिशत हिन्दुओं पर लादा गया ‘जजिया कर’ ही है और उसे निरस्त करने हेतु हिन्दुओं को संगठित होना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने अधिवेशन के दूसरे सत्र में किया ।
लाखों एकड भूमि लूटनेवाले वक्फ बोर्ड का ‘लैण्ड जिहाद’ !
अधिवेशन के सातवें दिन के सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष हरि शंकर जैन बोले, ‘‘वर्ष 2013 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड के कानून में सुधार कर मुसलमानों को असीमित अधिकार दिए । इस सुधारित कानून के कारण किसी भी ट्रस्ट अथवा मंदिर की संपत्ति ही नहीं; कोई भी संपत्ति वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, ऐसा घोषित करने का पाश्विक अधिकार बोर्ड को मिला । इस कारण आज भारत शासन के सुरक्षा दल और रेलवे विभाग के उपरांत सर्वाधिक (6 लाख एकड) भूमि का मालिक वक्फ बोर्ड है । लाखों एकड भूमि लूटने का बोर्ड का यह ‘लैंड जिहाद’ ‘लव जिहाद’ से भी भयंकर है । इसके विरुद्ध हिन्दुओं को संगठित होकर कानूनी संघर्ष करना चाहिए ।’’
वामपंथी विचारधारा द्वार की गई भारत की असीमित हानि !
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारी प्राचीन भारतीय शिक्षा, न्यायव्यवस्था, राज्यव्यवस्था, चिकित्साशास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि प्रगत एवं विश्व में सर्वोत्कृष्ट है । परंतु लॉर्ड मेकॉलेे के कम्युनिस्ट विचारों से ग्रस्त पंडित नेहरू ने शैक्षिक नीतियां निर्धारित करने के अधिकार कम्युनिस्टों को दिया; परिणामस्वरूप पिछले एक हजार वर्षों में मुगल और अंग्रेजों ने भारत की जितनी हानि नहीं की, उससे अधिक हानि वामपंथी विचारधारा के लोगों ने 70 वर्षों में की है । सत्य इतिहास और शिक्षा भारतीयों को मिलनी चाहिए ।’’
अधिवेशन में ‘पनून कश्मीर अत्याचार और नरसंहार निर्मूलन विधेयक 2020’ पारित करने के लिए संगठित होना चाहिए, ऐसा आवाहन ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’ के राष्ट्रीय संयोजक श्री. राहुल कौल ने किया तथा ‘धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार कानून बनाए’, ऐसी मांग भारत रक्षा मंच के श्री. अनिल धीर ने की ।
‘नवम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में पारित हुए प्रस्ताव !
* संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाकर वहां ‘स्पिरिच्युअल’ शब्द जोडा जाए तथा भारत को ‘हिन्दूराष्ट्र’ घोषित किया जाए ।
* नेपाल को भी हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए ।
* अयोध्या में बननेवाला राममंदिर हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देनेवाला हो ।
* राममंदिर के समान ही काशी, मथुरा आदि मंदिर मुक्त करने के लिए ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऍक्ट 1991’ यह कानून निरस्त किया जाए ।
* देश में ‘समान नागरिक अधिनियम’, ‘गोवंश हत्या बंदी’, ‘धर्मांतरण बंदी’ तथा हिन्दू देवता और श्रद्धास्थानों का अपमान रोकनेवाला कठोर कानून बनाया जाए ।
* कश्मीर घाटी में ‘पनून कश्मीर’ इस स्वतंत्र केंद्रशासित प्रदेश की निर्मिति कर वहां कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वसन किया जाए ।
* सरकारीकृत सभी मंदिरों का सरकारी अधिग्रहण निरस्त कर वे मंदिर भक्तों को सौंपे जाएं ।
‘* केंद्रीय नामकरण आयोग’ की स्थापना कर विविध स्थानों को दिए गए आक्रमणकारियों के नाम परिवर्तित किए जाएं ।
* सभी वेब सीरीज को सेन्सर किया जाए ।
* इस्लामी कानून के अनुसार ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ की व्यवस्था तत्काल बंद की जाए आदि अनेक प्रस्ताव इस समय पारित किए गए ।
राष्ट्र और धर्म रक्षा के विषयों पर कृति कार्यक्रम निश्चित करने के लिए ‘ऑनलाइन’ गुटचर्चा भी इस अधिवेशन में की गई । इसमें सैकडों हिन्दुत्वनिष्ठ सहभागी हुए ।
वर्तमान परिस्थिति में देश बाह्य आक्रमण और देशांतर्गत गृहयुद्ध आदि संभावित संकटों की देहरी पर खडा है । ऐसे समय हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन संगठित होकर देश की तथा हिन्दुओं की रक्षा कैसे करें, उसके साथ देश को जनकल्याणकारी हिन्दू राष्ट्र की दिशा में कैसे ले जाना है, इस विषय पर इस अधिवेशन में योग्य दिशा मिली है । इसलिए अनेक हिन्दुत्वनिष्ठों ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि अधिवेशन की उद्देश्यपूर्ति हो गई है ।
संकलन : श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)