सरकार ने बढ़ाया FRP, 5 करोड़ गन्ना किसानों को पहुंचेगा सीधे लाभ
पैसा सीधा किसानों के हाथों में जाये, इसके लिए बफर स्टॉक से पैसे भेजने हों, किसानों के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर करना हो, समय पर भुगतान मिले इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा आये दिन कई नए कदम उठाये जा रहे हैं। अब इसी कड़ी में पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने देश में गन्ना किसानों के लिए एफआरपी बढ़ाने का बड़ा फैसला किया गया है। किसानों को अब गन्ने पर 290 रुपए प्रति क्विंटल का रेट मिलेगा। ये रेट 10 फीसदी चीनी की रिकवरी पर लागू होगा। 9.5 फीसदी या उससे कम रिकवरी पर 275.50 पैसे का रेट मिलेगा।
बता दें, एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है। कमीशन ऑफ एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) हर साल एफआरपी की सिफारिश करता है। सीएसीपी गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी सिफारिश भेजती है और फिर उसपर पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है।
5 करोड़ से अधिक किसानों को होगा लाभ
25 अगस्त को हुई कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कृषि एवं लागत मूल्य आयोग की सिफारिश पर ये फैसला किया है। गन्ने का रेट बढ़ाए जाने से देश के 5 करोड़ गन्ना किसान उनके परिवार और चीनी मिलों के साथ ही सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को इसका फायदा मिलेगा। ये निर्णय गन्ना किसान और उपभोक्ता दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
किसानों को क्या फायदा होगा?
अब तक का अधिकतम उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी), 290 रुपये प्रति क्विंटल स्वीकृत हो जाने से गन्ना किसानों को कई लाभ होंगे। जैसे:
1. इस घोषणा से 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को लाभ मिलेगा।
2. इसके तहत गन्ना किसानों को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा।
3. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, 10 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर पर एफआरपी को बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। 10 प्रतिशत से ऊपर प्रति 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी पर 2.90 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं रिकवरी में प्रति 0.1 प्रतिशत की कमी पर एफआरपी में 2.90 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती होगी।
4. इसके साथ ऐसी चीनी मिलों के लिए, जिनकी रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है, कोई कटौती नहीं की जाएगी। बता दें, 10 प्रतिशत की रिकवरी दर पर 290 रुपए प्रति क्विंटल का एफआरपी, उत्पादन लागत से 87.1 प्रतिशत अधिक है।
चीनी की कीमत का 90% मिलेगा गन्ना किसानों को
आज चीनी की कीमत के हिसाब से गन्ने की कुल कीमत भी लगातार बढ़ती जा रही है। पीयूष गोयल कहते हैं कि भारत एकमात्र ऐसा देश होगा जहां पर लगभग 89 प्रतिशत और आज के फैसले के बाद चीनी की कीमत का 90-91 प्रतिशत गन्ना किसानों को मिलेगा। वैश्विक स्तर पर देखें तो दूसरे देशों में 70-75 प्रतिशत तक गन्ना किसानों को मिलता है।
वहीं, चीनी के एक्सपोर्ट के बारे में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2020-21 के विपणन सत्र में लगभग 70 लाख टन एक्सपोर्ट के कॉन्ट्रैक्ट हुए हैं, जिसमें से 55 लाख टन एक्सपोर्ट हो चुके हैं जबकि 15 लाख टन पाइप लाइन में हैं। सरकार एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए मिलों को वित्तीय मदद उपलब्ध करा रही है, जिसमें मार्केटिंग और ट्रांसपोर्ट का खर्चा शामिल है।
किसानों को कितना भुगतान हुआ?
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि 2020-21 वर्ष में लगभग 90,959 करोड़ रुपए का भुगतान करना था, उसमें से 23 अगस्त 2021 तक किसानों को 86,238 करोड़ रुपये की गन्ना बकाया धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। ये दर्शाता है कि अब गन्ना किसानों को पहले की तरह सालों साल अपने भुगतान के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता।
किसान और उपभोक्ता दोनों के हितों का रखा है ख्याल
इथेनॉल का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। पहले 3 वर्ष में जहां 22 हजार करोड़ इथेनॉल की वजह से अडिशनल पैसा गन्ना किसानों को मिला था, वहीं कीमत पिछले साल यानि अकेले 1 साल में 15 हजार करोड़ है। इससे यह फायदा होगा कि आज जो 15 हजार करोड़ रुपये इसकी वजह से किसानों को मिल रहे हैं, वही आने वाले समय में बढ़कर 40 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष इथेनॉल ब्लेंडिंग की वजह से इस सेक्टर को मिलेंगे। केंद्र सरकार ने एक तरफ उपभोक्ता के हितों को कि उनको महंगी चीनी न खरीदनी पड़े और दूसरी तरफ किसानों के भी हितों को भी संभाला है ताकि उनको समय पर अपने गन्ने का भुगतान मिले।
साभार : NewsOnAir