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गणपति बाप्पा मोर्या:- जानिए चतुर्थी तिथी आरंभ और समापन का समय

गणेश उत्सव पूरे भारत वर्ष में हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त को मनाया जाएगा. यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में पूरे हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है. यहीं नहीं अब इस त्योहार को विदेश में रहने वाले भारतीय लोग भी मनाने लगे हैं. गणेश चतुर्थी से प्रारम्भ होकर यह उत्सव अनन्त चतुर्दशी तक भगवान्  गणेश की प्रतिमा के विसर्जन तक मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का जन्म हुआ था. गणेश जी को विध्नहर्ता कहा गया है. इनकी पूजा से कई बाधाएं दूर हो जाती हैं.

गणेश जी ही एक ऐसे देवता है जिनका नाम किसी भी पूजा या शुभ काम में सबसे पहले लिया जाता है. कहते हैं जो लोग गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणपति को अपने घर बुलाते हैं और पूरी श्रद्धा से गणेश जी का पूजन करते हैं उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं. गणेश जी को विनायक भी कहा जाता है. इसका मतलब होता है विशिष्ट नायक. गणेश उत्सव को पुरे भारत देश में उल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते है की गणेशोत्सव मनाने की क्या परंपरा रही है.

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते है

श्रस्टि के आरम्भ में जब यह प्रश्न उठा की प्रथम पूज्य किसे माना जाय तो देवता भगवान् शिव के पास पहुंचे तब शिव जी ने कहा संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा जो सबसे पहले कर लेगा उसे ही प्रथम पूज्य माना जायगा. इस प्रकार सभी देवता अपने-अपने वाहन में बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े. चुकी गणेश भगवान् का वाहन चूहा है और उनका शरीर स्थूल है तो भगवान् गणेश कैसे परिक्रमा कर पाते, तब भगवान् गणेश जी ने अपनी बुद्धि और चतुराई से अपने पिता भगवान् शिव और माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए. तब भगवान् शिव ने कहा की तुमसे बड़ा और बुद्धिमान इस पूरे संसार में और कोई नहीं है. माता और पिता की तीन परिक्रमा करने से तुमने तीनो लोको की परिक्रमा पूरी कर ली है, और इसका पुण्य तुम्हे मिल गया जो पृथ्वी की परिक्रमा से भी बड़ा है. इसलिए जो मनुष्य किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले तुम्हारा पूजन करेगा उसे किसी भी प्रकार की कठनाईयो का सामना नहीं करना पड़ेगा. भगवान गणपति का पूजन किए बगैर कोई कार्य प्रारंभ नहीं होता. विघ्न हरण करने वाले देवता के रूप में पूज्य गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने तथा मनोकामना को पूरा करने वाले देवता हैं. गणेश चतुर्थी के दिन इसका आरंभ होता है और फिर 11वें दिन यानि अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमाओ के विसर्जन के साथ इसका समापन होता है.

गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है

धार्मिक ग्रंथो के अनुशार जब वेदव्यास जी ने महाभारत की कथा भगवन गणेश जी को दश दिनों तक सुनाई थी तब उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए थे और जब दस दिन बाद आँखे खोली तो पाया की भगवान् गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था. फिर उसी समय वेदव्यास जी निकट स्थित कुंड में स्नान करवाया था, जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ . इसलिए गणपति स्थापना के अगले दस दिन तक गणेश जी की पूजा की जाती है और फिर ग्यारहवे भगवान् गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है. गणेश विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है की यह शरीर मिटटी का बना है और अंत में मिटटी में ही मिल जाना है.

गणेश महोत्सव क्यों मनाया जाता है

यह उत्सव वैसे तो कई वर्षो से मनाया जा रहा है लेकिन संन 1893 से पूर्व यह केवल घरो तक ही सीमित था . उस समय सामूहिक उत्सव नहीं मनाया जाता था और न ही बड़े पैमानों पर पंडालों में इस तरह मनाया जाता था . सन  1893 में बाल गंगा धर तिलक ने अंग्रजो के विरुद्ध एक जुट करने के लिए एक पैमाने पर इस उत्सव का आयोजन किया जिसमे बड़े पैमाने पर लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और इस प्रकार पूरे राष्ट्र में गणेश चतुर्थी मनाया जाने लगा. बालगंगाधर तिलक ने यह आयोजन महाराष्ट्र में किया था इसलिए यह पर्व पूरे महाराष्ट्र में बढ़ चढ़ कर मनाया जाने लगा. तिलक उस समय स्वराज्य के लिए संघर्ष कर रहे थे और उन्हें एक ऐसा मंच चाहिए था, जिसमे माध्यम से उनकी आवाज अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचे.

गणेश उत्सव की शुरूआत महाराष्ट्र से हुयी थी. गणेश चतुर्थी ‘विनायक चतुर्थी’ के नाम से भी जानी जाती है. भाद्रपद चतुर्थी तिथि से दस दिन तक अर्थात अनंत चतुर्दशी तक गणेश उत्सव मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी को मनाने वाले सभी श्रद्धालु इस दिन स्थापित की गयी भगवान् गणेश की प्रतिमा को ग्यारहवे दिन अनन्त चतुर्दशी के दिन विसर्जित करते है और इस प्रकार गणेश उत्शव का समापन किया जाता है. गणेश जी के पूजा में दूर्वा का विशेष महत्व होता है. बिना दूर्वा के इनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. इसके साथ ही गणपति को मोदक भी प्रिय है. मोदक का मतलब होता है. मोद आनंद इसे गणेश जी को अर्पित करने से वह प्रसन्न होकर आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. गणेश जी का पूजन करने से लोगों की बुद्धि सही होती है. मन साफ होता है. लोग अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए साफ मन से गणपति की आराधना करते हैं. जिससे बप्पा खुश होकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं.

चतुर्थी तिथी आरंभ और समापन समय

21 अगस्त को 11:02 PM बजे से चतुर्थी तिथि आरंभ हो जाएगी और 22 अगस्त 07:57 PM बजे चतुर्थी तिथि का समापन होगा.

गणेश जी का जन्म दिन के समय हुआ था, इसलिए चतुर्थी के दिन उनकी पूजा दिन के समय की जाती है, 11 बजकर 6 मिनट से लेकर 1 बजकर 42 मिनट के बीच गणेश जी की पूजा करें.

चंद्रदर्शन का वर्जित समय: 9:24 से लेकर 9:46 बजे तक चंद्रमा के दर्शन न करें.