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‘गहन मिशन इंद्रधनुष 4.0’, हेल्दी इंडिया के लिए वरदान

भारत आज पूरी दुनिया में सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम ‘मिशन इंद्रधनुष’ संचालित कर रहा है, जिसमें ”सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम” (यूआईपी) के तहत हर साल 3 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ बच्चों को कवर किया जाता है। दरअसल, ”मिशन इंद्रधनुष” भारत सरकार का एक स्वास्थ्य मिशन है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं और बच्चों को तीव्र गति से पूर्ण टीकाकरण कवरेज प्रदान किया जाता है। बता दें देश में इस मिशन के अभी तक 10 चरण पूरे किए जा चुके हैं।

कब हुई शुरुआत ?

मिशन के दौरान टीकाकरण कवरेज, उच्च जोखिम वाले और दुर्गम क्षेत्रों में आंशिक व बिना टीकाकरण वाली गर्भवती महिलाओं व बच्चों को कवर करने और उन्हें टीकों के जरिए बचाव योग्य बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिसंबर, 2014 में मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की गई थी। याद हो पूर्ण टीकाकरण कवरेज बढ़ाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कम टीकाकरण कवरेज, उच्च जोखिम वाले और दुर्गम क्षेत्रों में आंशिक व बिना टीकाकरण वाली गर्भवती महिलाओं व बच्चों को कवर करने और उन्हें टीकों के जरिए बचाव योग्य बीमारियों से सुरक्षा प्रदान के लिए दिसंबर, 2014 में मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत की थी।”

ज्ञात हो, भारत में टीकाकरण कार्यक्रम को 1978 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा ‘विस्तारित प्रतिरक्षण कार्यक्रम’ के रूप में शुरू किया गया था। भारत के ‘सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम’ की शुरुआत वर्ष 1985 में चरणबद्ध तरीके से की गई थी, जो कि विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रम में से एक था। इसका उद्देश्य देश के सभी जिलों में वर्ष 1980 से 90 तक पूर्ण प्रतिरक्षण प्रदान करना था। कई वर्षों से परिचालन में होने के बावजूद यूआईपी, जीवन के प्रथम वर्ष में होने वाले केवल 65% बच्चों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित कर पाया था।

इन बीमारियों के लिए होता है टीकाकरण

केंद्र सरकार, इस मिशन के जरिए यूआईपी यानि ‘सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम’ व ‘राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम’ में नए टीकों जैसे कि रोटावायरस वैक्सीन, आईपीवी, वयस्क जेई वैक्सीन, न्यूमोकोकल संयुग्म वैक्सीन (पीसीवी) और खसरा-रूबेला वैक्सीन की शुरुआत के माध्यम से टीका निवारणीय रोगों जैसे कि डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनेस, पोलियो, खसरा, बचपन में होने वाली तपेदिक, हेपेटाइटिस बी, मेनिन्जाइटिस और न्यूमोनिया का गंभीर रूप, जेई स्थानीय जिले में जापानी एन्सेफलाइटिस से मुकाबला करने के लिए टीकाकरण प्रदान कर रही है।

“गहन मिशन इंद्रधनुष 4.0” की शुरुआत

‘मिशन इंद्रधनुष’ को और आगे ले जाते हुए ही केंद्र सरकार ने अब “गहन मिशन इंद्रधनुष 4.0” की शुरुआत की है। इसके लक्ष्यों की पूर्ति के लिए तीन राउंड तय किए गए हैं। यह देश के 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 416 जिलों में संचालित किया जाएगा। मिशन का पहला राउंड फरवरी- अप्रैल 2022 में 11 राज्य में शुरू किया जाएगा। ये राज्य- असम, उत्तराखंड, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा व छत्तीसगढ़ होंगे। वहीं, अन्य 22 राज्य अप्रैल से मई 2022 तक राउंड संचालित करेंगे। इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, बिहार, पुडुचेरी, दिल्ली, पंजाब, गोवा, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, झारखंड, दादरा और नगर हवेली व दमन और दीव, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश व अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं।

अग्रिम मोर्चे पर तैनात टीकाकर्मियों ने किया सब संभव

बता दें, यह देश के अग्रिम मोर्चे पर तैनात उन टीकाकरणकर्ताओं की प्रतिबद्धता व समर्पण से संभव हुआ है जो कठिन इलाके और मौसम का बहादुरी से संघर्ष करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य करते हैं कि सुदूर गांव और परिवारों को टीकों के संरक्षण से कवर किया जा सके। इसके पीछे देश के तमाम टीकाकर्मियों की मेहनत और परिश्रम ही है। इतनी बड़ी संख्या में टीकाकरण कार्यक्रम चलाना और योजनाबद्ध तरीके से उसे लाभार्थियों तक पहुंचाना वाकयी काबिल-ए-तारीफ है।

प्रमुख योजनाओं में से एक के रूप में किया चिह्नित

मिशन इंद्रधनुष को ग्राम स्वराज अभियान (541 जिलों के 16,850 गांवों) और विस्तारित ग्राम स्वराज अभियान (112 आकांक्षी जिलों के 48,929 गांवों) के तहत प्रमुख योजनाओं में से एक के रूप में भी चिह्नित किया गया है। दरअसल, जहां कोविड महामारी के चलते नियमित टीकाकरण की गति धीमी हो गई है वहां अब आईएमआई 4.0 इस अंतर को खत्म करने और सार्वभौमिक टीकाकरण की दिशा में स्थायी लाभ प्राप्त करने में अपना काफी अधिक योगदान देगा।

उधर भारत में ही कोविड टीकाकरण अभियान के अंतर्गत अभी तक 170.21 करोड़ से अधिक वैक्सीन दी जा चुकी हैं। रोजाना लाखों की संख्या में वैक्सीन डोज दी जा रही हैं। तभी भारत कोरोना महामारी से लड़ने में सक्षम हुआ है। देश की रिकवरी रेट वर्तमान में 96.46% हो गई है।

कार्यक्रम का उद्देश्य

जैसे कि हम सभी जानते हैं हमारे देश में बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होने के कारण अपना टीकाकरण कराने में सक्षम नहीं। इस चलते काफी बीमारियां उन्हें घेर लेती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय हेतु ”मिशन इंद्रधनुष” का शुभारंभ किया गया। इस मिशन के तहत उन सभी बच्चों को शामिल किया जाएगा जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है या टीके से बचाव योग्य बीमारी के खिलाफ आंशिक रूप से टीका लगवाया गया है। इस योजना को आरंभ करने का मुख्य उद्देश्य बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों के खिलाफ मुक्त टीकाकरण प्रदान करना है। इस योजना के माध्यम से देश भर के सभी बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए मुफ्त में जीवन रक्षक टीका प्रदान किया जाता है।

मिशन के 10 चरण पूरे

अभी तक देश के 701 जिलों को कवर करते हुए मिशन इंद्रधनुष के दस चरणों को पूरा किया जा चुका है। अप्रैल 2021 तक मिशन इंद्रधनुष के विभिन्न चरणों के दौरान कुल 3.86 करोड़ बच्चों और 96.8 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है। मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों के परिणामस्वरूप एक वर्ष में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 6.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मिशन इंद्रधनुष के पांचवें चरण ”गहन मिशन इंद्रधनुष” में शामिल 190 जिलों में किए गए एक सर्वेक्षण (आईएमआई-सीईएस) से पता चलता है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)- 4 की तुलना में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में 18.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। समय-समय पर नियमित टीकाकरण और टीकाकरण गहनता अभियानों को मजबूत करने के लिए वर्षों से निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप एनएफएचएस-4 (2015-16) की तुलना में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) की नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार टीकाकरण कवरेज में काफी सुधार हुआ है। 12-23 महीने की उम्र के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज 62 फीसदी (एनएफएचएस-4) से बढ़कर 76.4 फीसदी (एनएफएचएस- 5) हो गया है।