आधुनिक उपचार तकनीकों से पुरूषों की पिता बनने की उम्मीद हो रही पूरी : मंगल पांडेय
पटना। निःसंतानता आज भारत की गंभीर शारीरिक बिमारियों में शामिल हो गयी है। 10 से 16 प्रतिशत तक दम्पती इससे प्रभावित हैं। समय के साथ पुरूष निःसंतानता बढ़ती जा रही है लेकिन एआरटी की विभिन्न तकनीकों से पुरूष निःसंतानता का सफल उपचार किया जा रहा है। पुरूष निःसंतानता पर चर्चा और माइक्रोटीसा के लाईव प्रदर्शन के लिए इन्दिरा आईवीएफ पटना, पीओजीएस और आईएफएस पटना के संयुक्त तत्वावधान में सीएमई का आयोजन किया गया। सीएमई के मुख्य अतिथि बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय थे, वहीं मुख्य वक्ता इन्दिरा आईवीएफ के चीफ आॅफ क्लीनिकल एंड लैब आॅपरेशंस डाॅ. विपिन चंद्रा तथा जिंदल हाॅस्पिटल के एंड्रोलॉजिस्ट एंड रिप्रोडक्टिव मेडिसिन स्पेशलिस्ट डाॅ. सुनील जिंदल थे। सीएमई में पुरुष निःसंतानता, उपचार विकल्पों और माईक्रोटीसा के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए 150 से अधिक गायनेकोलॉजिस्ट और यूरोलॉजिस्ट ने भाग लिया।
मंत्री मंगल पांडेय ने इन्दिरा आईवीएफ, पीओजीएस और आईएफएस पटना को बधाई देते हुए कहा कि चिकित्सकों को निःसंतानता के उपचार की नयी तकनीकों के बारे में जानकारी देने के लिए यह सराहनीय प्रयास है। निःसंतानता के एक तिहाई मामलों में पुरूष में कमी सामने आना चिंता का विषय है लेकिन अच्छी बात ये है कि आधुनिक उपचार तकनीकों से पुरूषों की पिता बनने की उम्मीद पूरी होने लगी है। साथ ही उन्होंने कहा कि बढ़ता प्रदूषण भी निःसंतानता के मुख्य कारणों में से एक है इसलिए पर्यावरण की रक्षा के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
सीएमई संयोजक इन्दिरा आईवीएफ पटना सेंटर हेड डाॅ.दयानिधि कुमार ने बताया कि सीएमई में चिकित्सकों ने वक्ताओं से विषय से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल भी पूछे। यहां जल, जीवन, हरियाली अभियान के तहत अशोक के पेड़ को पानी पिलाया गया तथा उसकी पेड़ों की रक्षा के लिए चर्चा की गयी। पोग्स अध्यक्ष डाॅ. विनिता सिंह ने कहा कि निःसंतानता के उपचार को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है जिससे गांवों के लोग भी इलाज करवा रहे हैं। सचिव डाॅ. सुप्रिया जायसवाल ने कहा कि एआरटी तकनीकों की दरों में कमी होने से दम्पती इलाज करवाने में संकोच नहीं कर रहे हैं वे इसका खर्चा मैनेज कर पा रहे हैं। आईएफएस बिहार चैप्टर अध्यक्ष डाॅ. हिमांशु राय ने कहा कि पुरुष निःसंतानता के कई कारण हो सकते हैं, इसलिए टेस्ट आवश्यक है।
मुख्य वक्ता डाॅ. विपिन चन्द्रा ने कहा कि समय के साथ पुरूष निःसंतानता के प्रति जागरूकता बढ़ती जा रही है। अब पुरूष अपनी जांच के लिए आगे आ रहे हैं । उन्होंने कहा कि पुरुष निःसंतानता की स्थिति में उपचार प्रबंधन वीर्य विश्लेषण पर निर्भर करता है। तकनीकी नवाचार के चलते कम या खराब शुक्राणुओं और निल शुक्राणु में भी पिता बना जा सकता है।
वक्ता डाॅ. सुनील जिंदल ने कहा कि डाॅक्टर को यह पता होना चाहिए कि पुरूष निःसंतानता के लिए किन उपचार तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। पुरूष को उसकी कमी और उपचार विकल्पों के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देने के बाद उचित इलाज शुरू करना चाहिए साथ ही उन्होंने कहा कि भविष्य में मेल इनफर्टिलिटी के केसेज बढ़ने की संभावना है जिससे एआरटी तकनीकों की मांग बढ़ेगी। यहां लाईव कार्यशाला में उन्होंने स्पर्म रिट्रीवल की विभिन्न तकनीकों विषेष रूप से माईक्रोटीसा के बारे में विस्तृत जानकारी दी और कहा कि स्पर्म रिट्रीवल के लिए यह तकनीक उपयोगी साबित हो रही है।
इस सीएमई के सफल आयोजन में इन्दिरा आईवीएफ पटना की डाॅ. अनूजा सिंह, डाॅ. पूजा सिंह, डाॅ. अंजना सिन्हा और डाॅ. निभा मोहन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।