‘हाइड्रोजन नीति’ से भारत बनेगा कार्बन मुक्त ईंधन का निर्यात केंद्र
भारत ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए देश लगातार आगे बढ़ रहे हैं। केवल इतना ही नहीं भारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के 500 गीगावॉट का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘COP-26’ में भारत के डीकार्बोनाइजेशन के लिए अपने दृढ़ विश्वास पर जोर दिया। अब इसी क्रम में भारत को कार्बन मुक्त ईंधन का निर्यात केंद्र बनाने की दिशा में देश में ‘हाइड्रोजन नीति’ तैयार की गई है। यह इस दिशा में अब तक का सबसे सशक्त और मजबूत कदम माना जा रहा है। इसे ”राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन” की ओर एक और कदम माना जा रहा है।
क्या है राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन ?
याद हो, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण 2021-22 में हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन पैदा करने के लिए एक ”राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन” शुरू करने के प्रस्ताव का जिक्र किया था। इस संबंध में वित्त मंत्री ने बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2020 में तीसरे आरई-निवेश सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक व्यापक ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ शुरू करने की योजना की घोषणा की थी।
इसके पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यानि 15 अगस्त, 2021 को ‘राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन’ का शुभारंभ किया। इस मिशन का उद्देश्य सरकार को अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाने में सहायता करना है। इससे 2030 तक 50 लाख टन ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने और अक्षय ऊर्जा क्षमता के संबंधित विकास में मदद मिलेगी।
‘ग्रीन हाइड्रोजन’ और ‘हरित अमोनिया’ नीति की गई अधिसूचित
गौरतलब हो जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता घटाने और कार्बन मुक्त ईंधन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ और ‘ग्रीन अमोनिया’ के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले नवीकरणीय ऊर्जा की पूरी देश में ढुलाई मुफ्त कर दी। इस फैसले के जरिए केंद्र सरकार देश को एक निर्यात हब बनाना चाहती है। राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति पेश करते हुए केंद्रीय ऊर्जा एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने कहा है कि इसके जरिए सरकार का लक्ष्य 2030 तक 50 लाख टन ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ का उत्पादन करना है।
बताना चाहेंगे, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए हाइड्रोजन और अमोनिया को भविष्य के ईंधन के रूप में परिकल्पित किया गया है। अक्षय ऊर्जा से ऊर्जा का उपयोग करके हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया ईंधनों का उत्पादन किया जाएगा। यह राष्ट्र की पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी ऊर्जा संरक्षण की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। केंद्र सरकार जीवाश्म ईंधन व जीवाश्म ईंधन आधारित फीड स्टॉक से हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया को सुविधाजनक बनाने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। इस नीति की अधिसूचना इस प्रयास के प्रमुख चरणों में से एक है।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन ?
ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का स्वच्छ स्रोत है। ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रोलाइजर रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करता है। इसमें सोलर और विंड दोनों तरह की एनर्जी शामिल है। हाइड्रोजन का इस्तेमाल कई तरह के सेक्टर में हो रहा है। इनमें केमिकल, आयरन, स्टील, ट्रांसपोर्ट, हीटिंग और पावर शामिल हैं। हाइड्रोजन के इस्तेमाल से प्रदूषण नहीं होता है।
‘ग्रीन हाइड्रोजन’ में दुनिया की तमाम कंपनियों की दिलचस्पी
बीते कुछ साल से दुनिया की बड़ी ऑयल और गैस कंपनियों की दिलचस्पी भी ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ में बढ़ी है। इसे लेकर विशेषज्ञों का मत है कि हर चीज के लिए इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। ऐसे में कुछ इंडस्ट्रियल प्रोसेस और हेवी ट्रांसपोर्टेशन के लिए गैस का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें रिन्यूएबल हाइड्रोजन सबसे अच्छी गैस है। यह पूरी तरह से स्वच्छ है। ‘रिन्यूएबल एनर्जी’ की कीमत घटने के साथ ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ के उत्पादन की लागत में भी कमी आ रही है।
पौधों से हाइड्रोजन-अमोनिया उत्पादन
हाइड्रोजन नीति के में पौधों से ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दी जाएगी। इस तरह हाइड्रोजन और अमोनिया भविष्य में जीवाश्म ईंधन की जगह लेंगे और देश में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करेंगे।
देश में मिलेगी बिजली उत्पादन करने की छूट
हाइड्रोजन नीति के तहत कंपनियों को पूरे देश में कहीं भी स्वयं या डेवलपर के जरिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के जरिए बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने की छूट प्रदान की गई है। साथ ही उन्हें बिजली की अदला-बदली का अधिकार भी होगा। इस बिजली को ट्रांसमिशन ग्रिड के ओपन एक्सेस के जरिए मुफ्त में हाइड्रोजन उत्पादन के किसी भी संयंत्र में भेजा जा सकेगा। साथ ही हाइड्रोजन और अमोनिया उत्पादक इस्तेमाल के बाद बची बिजली को 30 दिन तक वितरक कंपनी के पास बचाकर रख पाएंगे और जरूरत पड़ने पर उसे ले पाएंगे।
25 साल तक फायदा
इस पॉलिसी के तहत 30 जून 2025 से पहले इस परियोजना के तहत ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया का उत्पादन संयंत्र शुरू करने वाली कंपनी अगले 25 साल तक बिजली की मुफ्त ढुलाई तथा अन्य फायदे हासिल कर पाएगी।
निर्यात और परिवहन के लिए कंपनियों को सुविधा
ऐसी कंपनियों और बिजली उत्पादकों को ग्रिड से कनेक्टिविटी में प्राथमिकता दी जाएगी ताकि प्रक्रियागत विलंब का सामना न करना पड़े। साथ ही हाइड्रोजन और अमोनिया उत्पादकों को बंदरगाहों के पास बंकर बनाने की अनुमति भी प्रदान की जाएगी, जिससे उन्हें निर्यात और परिवहन में आसानी होगी।
कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता होगी कम
नीति के अनुसार देश के आम लोगों को स्वच्छ ईंधन मिल पाएगा। यह जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाएगा और कच्चे तेल का आयात कम होगा। इसका एक अन्य लक्ष्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के निर्यात हब में बदलना है।
हाइड्रोजन नीति के तहत मिलने वाली छूट:
– ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया निर्माता कहीं भी पावर एक्सचेंज से अक्षय ऊर्जा खरीद सकते हैं या स्वयं या किसी अन्य, डेवलपर के माध्यम से अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकते हैं।
आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर ओपन एक्सेस प्रदान किया जाएगा।
– ग्रीन हाइड्रोजन/अमोनिया निर्माता 30 दिनों तक अपनी बिना खपत वाली अक्षय ऊर्जा को वितरण कंपनी के पास स्टोर रख सकता है और जरूरत पड़ने पर इसे वापस भी ले सकता है। वितरण लाइसेंस धारी अपने राज्यों में ग्रीन हाइड्रोजन व ग्रीन अमोनिया के निर्माताओं को रियायती कीमतों पर अक्षय ऊर्जा की खरीद और आपूर्ति कर सकते हैं, जिसमें केवल खरीद की लागत, व्हीलिंग शुल्क और राज्य आयोग द्वारा निर्धारित एक छोटा सा मार्जिन शामिल होगा।
– 30 जून 2025 से पहले शुरू की गई परियोजनाओं के लिए ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के निर्माताओं को 25 साल की अवधि के लिए अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क की छूट भी दी जाएगी।
– हरित हाइड्रोजन/अमोनिया और नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र के विनिर्माताओं को किसी भी प्रक्रियात्मक विलंब से बचने के लिए प्राथमिकता के आधार पर ग्रिड से कनेक्टिविटी दी जाएगी।
– अक्षय ऊर्जा की खपत के लिए अक्षय खरीद दायित्व (आरपीओ) का लाभ हाइड्रोजन/अमोनिया निर्माता और वितरण लाइसेंस धारी को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
– व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने के लिए एमएनआरई द्वारा समयबद्ध तरीके से वैधानिक मंजूरी सहित सभी गतिविधियों को करने के लिए एक एकल पोर्टल स्थापित किया जाएगा।
– ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया के निर्माण के उद्देश्य से स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के लिए आईएसटीएस को उत्पादन के अंत और ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया विनिर्माण अंत में कनेक्टिविटी प्राथमिकता पर दी जाएगी।
– ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया के निर्माताओं को निर्यात/शिपिंग द्वारा उपयोग के लिए ग्रीन अमोनिया के भंडारण के लिए बंदरगाहों के पास बंकर स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। इस प्रयोजन के लिए भंडारण के लिए भूमि संबंधित पत्तन प्राधिकरणों द्वारा लागू शुल्क पर उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रमुख लक्ष्य:
– वर्ष 2030 तक देश की गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता को 500 GW तक बढ़ाना
– 2030 तक,देश की 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके पूरा किया जाएगा
– देश अब से वर्ष 2030 के बीच कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा।
– अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता 2030 तक घटकर 45% से कम हो जाएगी,
– देश कार्बन न्यूट्रल हो जाएगा और वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर लेगा।