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डॉ. प्रोकर दासगुप्ता को प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार, राउरकेला से रहा है पुराना नाता

इस वर्ष के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है जिसके अंतर्गत 10 डॉक्टरों को चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान हेतु पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इस सूची में भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में वर्ष 2022 के लिए प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने के लिए डॉ. प्रोकर दासगुप्ता का नाम भी शामिल है। उन्होंने अपनी शानदार उपलब्धि से राउरकेला के स्टील सिटी को गौरवान्वित किया है। बता दें डॉ. प्रोकर दासगुप्ता का राउरकेला से पुराना नाता रहा है।

डॉ. दासगुप्ता सेंट पॉल स्कूल राउरकेला के रहे हैं छात्र

दरअसल डॉ. प्रोकर दासगुप्ता के पिता सी. आर. दासगुप्ता सेल के पूर्व कार्यकारी और मां अरुणा दासगुप्ता, राउरकेला स्टील प्लांट, सेल की पूर्व शिक्षक रह चुकी हैं। इस नाते भी उनका यहां से खासा जुड़ाव रहा है। उल्लेखनीय है कि डॉ. दासगुप्ता ने अपनी शुरुआती शिक्षा राउरकेला से प्राप्त की है। जी हां, डॉ. दासगुप्ता सेंट पॉल स्कूल राउरकेला के छात्र रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1982 में स्कूल से दसवीं कक्षा पास की थी। पिता सी.आर. दासगुप्ता आरएसपी के आर एंड सी लैब में एक्जीक्यूटिव थे, जबकि उनकी मां आईएलएस में शिक्षिका के पद पर कार्यरत थीं। वे उस वक्त सेक्टर-6 के एफ ब्लॉक में एक क्वार्टर में रहते थे। 2007 में डॉ. दासगुप्ता सेंट पॉल स्कूल के एलुमनाई मीट में भाग लेने राउरकेला आए थे।

1989 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की

डॉ. दासगुप्ता ने 1989 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की और बाद में यूनाइटेड किंगडम से यूरोलॉजी में एफआरसीएस किया। वह वर्तमान में यूके में लंदन स्थित किंग्स हेल्थ पार्टनर्स में सर्जिकल एकेडमी में सर्जरी के प्रोफेसर हैं।

रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में अग्रणी

यूनाइटेड किंगडम- किंग्स कॉलेज लंदन में यूरोलॉजी के प्रोफेसर और अध्यक्ष डॉ. प्रोकर दासगुप्ता रोबोटिक सर्जरी के क्षेत्र में अग्रणी हैं। 2009 में वह किंग्स में रोबोटिक सर्जरी और यूरोलॉजी के पहले प्रोफेसर बने और बाद में किंग्स कॉलेज-वट्टीकुटी इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक सर्जरी के अध्यक्ष बने। रोबोटिक यूरोलॉजी के पहले यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण के साथ-साथ “दासगुप्ता तकनीक” के संस्थापक होने के साथ ही इस क्षेत्र में कई सफलताएं प्राप्त कर चुके हैं। यह एक लचीली सिस्टोस्कोप का उपयोग कर मूत्राशय की दीवार में बोटॉक्स को इंजेक्ट करने का गणित है। उनकी टीम को मूत्राशय के कैंसर के लिए रोबोटिक सिस्टोप्रोस्टेटेक्टोमी तकनीक के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। बताना चाहेंगे कि यह अंतर्राष्ट्रीय रोबोटिक सिस्टेक्टोमी कंसोर्टियम (आईआरसीसी) के बीच अग्रणी समूह है। वह किडनी ट्रांसप्लांट के हिस्से के रूप में की-होल सर्जरी करने के लिए दा विंची रोबोट का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे। उनके पथ-प्रदर्शक चिकित्सा उपलब्धियों ने उन्हें यूरोलॉजी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित व्यक्ति बना दिया।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार डॉ. प्रोकर दासगुप्ता को उनकी शानदार उपलब्धि पर बधाई देते हुए बोकारो स्टील प्लांट और राउरकेला स्टील प्लांट के निदेशक, प्रभारी, अमरेंदु प्रकाश ने कहा है, “हमें आपकी अनुकरणीय उपलब्धियों पर बहुत गर्व है और हमारे शहर में आपकी घर वापसी की उम्मीद है। आपकी उपस्थिति युवाओं को जुनून और दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा का स्रोत होगी।”

राउरकेला इस्पात कारखाना के बारे में…

राउरकेला इस्पात कारखाना (आरएसपी) भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का पहला एकीकृत इस्पात कारखाना है। 10 लाख टन स्थापित क्षमता का यह कारखाना जर्मनी के सहयोग से स्थापित किया गया। बाद में इसकी क्षमता बढ़ाकर 19 लाख टन कर दी गई। राउरकेला इस्पात कारखाना उड़ीसा के उत्तर-पश्चिम छोर पर समृद्ध खनिज क्षेत्र में स्थित है। हावड़ा-मुम्बई रेल मुख्य लाइन पर स्थित राउरकेला देश के अन्य महत्वपूर्ण नगरों से भी जुड़ा हुआ है। इसके पास के हवाई अड्डे रांची (173 किलोमीटर), भुवनेश्वर (378 किलोमीटर) और कोलकाता (413 किलोमीटर) में हैं। राउरकेला की अपनी एक हवाई पट्टी भी है जिसका रखरखाव आरएसपी के पास है।

1990 के दशक में कारखाने का आधुनिकीकरण किया गया और आधुनिक सुविधाओं के साथ इसमें अनेक नई यूनिटें जोड़ी गईं। अधिकतर पुरानी यूनिटों का भी नवीनीकरण किया गया जिससे कारखाने के उत्पादों की क्वालिटी में सुधार, उत्पादन लागत में कमी और पर्यावरण प्रदूषण रहित बनाने में मदद मिली है। आरएसपी भारत में इस्पात निर्माण के लिए एलडी टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने वाला पहला कारखाना था। यह सेल का ऐसा पहला और एकमात्र इस्पात कारखाना है जहां शत-प्रतिशत स्लैब अधिक गुणवत्ता और कम लागत वाले कंटीन्यूअस कास्टिंग मार्ग से तैयार किए जाते हैं।