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डॉक्‍टर जयशंकर ने कल रात न्यूयॉर्क में आतंकी गतिविधियों से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक उच्चस्तरीय बैठक की

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि दुनिया को आतंकवाद से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की जानी चाहिए और इसका कोई औचित्य नहीं हो सकता। डॉक्‍टर जयशंकर कल रात न्यूयॉर्क में आतंकी गतिविधियों से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे।

उन्‍होंने कहा कि भारत ने 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमले और 2016 में पठानकोट हवाई अड्डे पर हुए हमले सहित आतंकवाद की चुनौतियों का सामना किया है और इनमें कई लोगों की जानें भी गई हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का खतरा किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या किसी जातीय समूह से नहीं जुड़ा हो सकता है और न ही होना चाहिए।

विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कानूनी, सुरक्षा, वित्तपोषण और अन्य ढांचों के बावजूद, आतंकवादी लगातार आतंकी गतिविधियों को प्रेरित करने, संसाधन उपलब्‍ध कराने और उन्‍हें क्रियान्वित करने के नए तरीके खोज रहे हैं।

उन्‍होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसे कामयाब नहीं होने दिया जा सकता।

डॉक्‍टर जयशंकर ने कहा, आई.एस.आई.एल. या दाएश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है। आई.एस.आई.एल. सीरिया और इराक में सक्रिय है और इससे जुडे गुट, विश्‍व में विशेषकर अफ्रीका में ताकतवर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आई.एस.आई.एल. का वित्तीय संसाधन जुटाना अधिक मजबूत हो गया है। उन्‍होंने ऑनलाइन प्रचार के माध्‍यम से कमजोर युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा में शामिल होने पर चिंता व्यक्त की।

विदेश मंत्री ने कहा, भारत के पड़ोस में, आई.एस.आई.एल. -खोरासन अधिक ताकतवर हो गया है और लगातार अपने पैर फैलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। डॉक्‍टर जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में वैश्विक चिंता को स्वाभाविक रूप से बढ़ा दिया है।

डॉक्‍टर जयशंकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद इन समस्याओं के बारे में चुनिन्‍दा, सामरिक या असावधानी का दृष्टिकोण न अपनाए। उन्होंने कहा कि कोविड के बारे में जो सच है, वह आतंकवाद के बारे में और भी सच है – हम में से कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है, जब तक हम सभी सुरक्षित नहीं हैं।

साभार : NewsOnAir