डॉ. आशीष सिंह बिहार में रोबोटिक सर्जरी को दे रहे नया आयाम
पटना : अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स एंड रिहैब्लिटेशन की एक्स्टेंशन यूनिट जो सवेरा अस्पताल कैम्पस के पांचवें तल्ले पर कंकड़बाग, पटना में है, वहां आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में मेडिकल निदेशक डॉ. आशीष सिंह ने कहा कि यहां रोबोटिक मशीन से घुटनों और कूल्हो के प्रत्यारोपन के लिए देश-विदेश से मरीज आ रहे हैं, जो बिहार के लिए गौरव की बात है। एक सप्ताह पहले इंग्लैंड से एक मरीज यहां आए। उसके दोनों घुटनों का रोबोटिक सर्जरी के द्वारा ट्रांसप्लांट किया गया और चार घंटे के बाद उसे खड़ा किया गया।
ह्यह्यटोटल नी (घुटना) रिप्लेसमेंट की प्रतीक्षा सूची की परेशानी को बिहार के पटना में अब सर्वोत्तम कीमतों पर उपलब्ध सर्वोत्तम सेवाएं दूर कर रही है। मुझे यू.के. और यू.एस.ए. के सर्वश्रेष्ठ हॉस्पिटलों में भर्ती कराया गया लेकिन वास्तव में मेरी संतुष्टि पटना में हुई। चाहे वो खाना हो, सर्जरी हो या यहां के आसपास के लोग हों- आपको इस कीमत पर इससे बेहतर कुछ नहीं मिलेगा। मैं बताता हूं कि डॉ. आशीष सिंह निराश नहीं करेंगे।ह्णह्ण यह कहना है 75 साल के लंदन (यू.के.) के मरीज का जिसके दोनों घुटने का रिप्लेसमेंट एक साथ बिहार के पटना के कंकड़बाग, सवेरा अस्पताल परिसर की पांचवीं मंजिल पर स्थित अनूप इंस्टीच्यूट आॅफ आर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन एक्सटेंशन यूनिट में उपलब्ध बेहतर तकनीक का उपयोग कर किया गया।
यह सर्जरी सफल रोबोटिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में निरंतर सफलता का प्रतीक है जिसने स्थापना के केवल तीन वर्षों के भीतर 1000 से अधिक ज्वाइंट रिप्लेसमेंट किये, जिससे विश्व में इसकी ख्याति बढ़ी। यह वास्तव में बिहार के लिए गौरव की बात है क्योंकि यह चिकित्सा पर्यटक के लिए एक स्थल बन गया है। लंदन का 75 वर्षीय मरीज आस्टियो आर्थराइटिस से पीड़ित था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 2019 तक आर्थराइटिस से 52.8 करोड़ लोग पीड़ित थे। डॉ. आशीष सिंह, मेडिकल डायरेक्टर, अनूप इंस्टीच्यूट आॅफ आर्थोपैडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन की एक्सटेंशन यूनिट, ने बताया यहां इंग्लैंड, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बंग्लादेश तथा अफगानिस्तान के मरीज भी आते हैं। यूनिट की सुव्यवस्थित आतिथ्य के साथ मरीजों को शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक होने में मदद मिलती है। इसके फलस्वरूप यूनिट की गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, मुम्बई, दिल्ली, बैंगलोर, छत्तीसगढ़, नागपुर और रायपुर सहित कई भारतीय राज्यों पर भी पकड़ है।
रोबोटिक प्रणाली ने घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी को 3-4 घंटे से घटाकर केवल 40 से 50 मिनट में कर दिया है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया के बाद मरीज 4 से 5 घंटे के भीतर अपने पैरों पर खड़े हो जाए। सर्जनों और मशीनरी की सर्वोत्तम टीम, निर्बाध आतिथ्य और सबसे तेज रिकवरी के साथ बजट अनुकूल हॉस्पिटल होने का अतिरिक्त लाभ भी इसे मिलता है। उन्होंने कहा कि सर्जरी के तीन सप्ताह बाद 10 में 9 मरीज बिना सहायता के चलने लगते हैं। 85 प्रतिशत मरीज सर्जरी के छह सप्ताह के भीतर अपने काम पर लौट जाते हैं। डॉ. आशीष कहते हैं कि सबसे अच्छी बात यह है कि कोई भी व्यक्ति सामान्य सर्जरी की कीमत पर रोबोटिक सुविधाओं का लाभ उठा सकता है। पहले घुटने रिप्लेसमेंट सर्जरी में दो लाख रुपये तक का खर्च आता था, लेकिन अब प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्डधारकों के लिए फायदेमंद हो गया है।
इस एक्सटेंशन यूनिट में तैनात चिकित्सा टीम मरीज के ठीक होने में काफी मदद करते हैं और बिना किसी अतिरिक्त लागत के देखभाल करने के डॉ. आशीष सिंह के मिशन में खरी उतरती है।