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कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान की फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत

पटना- फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु बिहार में कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शारीरिक दूरी (दो गज की दूरी), मास्क और हाथों की साफ़-सफाई का अनुपालन करते हुए समुदाय को फाइलेरिया या हाथीपांव रोग से बचाने के लिए शुरू किये जा रहे फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में मीडिया की सक्रिय एवं महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने हेतु राज्य स्वास्थ्य समिति एवं ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज द्वारा अन्य सहयोगी संस्थाओं यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन, केयर, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल और सीफार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए, मीडिया सहयोगियों के साथ मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंचलिक कार्यालय के क्षेत्रीय निदेशक ने भी प्रतिभाग किया ।

राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार द्वारा तैयारियों की समीक्षा के लिए स्टेट टास्क फोर्स की दिनांक 22 सितम्बर को आयोजित बैठक में राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार के सचिव सह कार्यपालक निदेशक, मनोज कुमार ने वेक्टर बोर्न डिजीजेज़ के जिला अधिकारियों को संबोधित करते हुए बताया था कि फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमडीए के महत्व को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने COVID-19 वैश्विक महामारी के दौरान भी एमडीए कार्यक्रम संपन्न कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी सुरक्षा सावधानियों (स्वच्छता, मास्क और शारीरिक दूरी) को अपनाने के महत्व पर बल दिया, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि उपरोक्त 11 फाइलेरिया प्रभावित जिलों में सभी पात्र लाभार्थी, फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करें। उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को यह भी बताया कि देश 2021 तक फाइलेरिया को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसी के क्रम में आज दिनांक 23 सितम्बर को मीडिया सहयोगियों के साथ मीडिया कार्यशाला के आयोजन के अवसर पर अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम अधिकारी फाइलेरिया, बिहार डॉ. बिपिन सिन्हा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ एवं समृद्ध बिहार की परिकल्पना को सार्थक करने हेतु, महामारी के दौरान भी महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों को जारी रखने के महत्व को स्वीकार करते हुए, बिहार सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 11 जिलों में, 28 सितम्बर, 2020 से भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोविड-19 के मानकों को ध्यान में रखते हुए, एमडीए अभियान प्रारंभ करने का निर्णय लिया है।इन 11 जिलों (भोजपुर, दरभंगा, किशनगंज, मधुबनी, नालंदा, नवादा, पूर्णिया, लखीसराय, रोहतास, समस्तीपुर एवं वैशाली ) में, दो फ़ाइलेरिया रोधी दवाओं, डीईसी और अल्बेन्डाज़ोल के साथ एमडीए अभियान चलाया जायेगा।

डॉ. बिपिन सिन्हा ने बताया कि इस अभियान में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार डाइथेलकार्बामोजाइन साइट्रेट (डीईसी) और अलबेंडाजोल की निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ़्त दवा खिलाई जाएगी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ. राजेश पाण्डेय ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव, रोग देश के 16 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है।यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है।आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है।फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (अंगों में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। यह एक घातक रोग है, हालांकि प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दी गयी दवाएं खाने से इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है । डॉ. राजेश पाण्डेय ने बताया कि राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में एल्बेंडाज़ोल भी खिलाई जाती है जो बच्चों में होने वाली कृमि रोग का उपचार करता है जो सीधे तौर पर बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है ।

बैठक के दौरान नवादा जिले से मीडिया सहयोगी द्वारा प्रश्न के उत्तर में डॉ. राजेश पाण्डेय ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी के नियंत्रण के बाद एक दिन के बूथ के माध्यम से लाभार्थियों को फाइलेरिया की दवा खिलाने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विचार किया जायेगा ।

केयर इण्डिया के बिकास सिन्हा ने बताया कि अगर जागरुकता का स्तर इस तरह बढ़ जाये कि लाभार्थी स्वयं फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की निगरानी करना शुरू कर दे तो फाइलेरिया के सम्पूर्ण उन्मूलन में सफलता मिलेगी ।

प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के ध्रुव सिंह ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल किर्यान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल मोबिलाइजेशन से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली को और अधिक मज़बूत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की तिथि के बारे में समुदाय में जागरूकता फ़ैलाने के लिए आशा और आंगनवाडी के माध्यम से घर-घर जाकर, साथ ही स्थानीय स्कूलों के बच्चों के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।

सीफार के रंजीत ने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। उन्होंने कहा कि उपरोक्त 11 जिलों में 26 सितम्बर से जिला स्तरीय मीडिया बैठकों का आयोजन किया जायेगा ताकि कार्यक्रम के संबंध में लोगों तक उचित और महत्त्वपूर्ण जानकारियां पहुँच सकें, इसके साथ ही उन्होंने मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि जिलों से फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित मरीजों की मानवीय द्रष्टिकोण से दर्शाती हुई कहानियां प्रकाशित करें।

अंत में, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज अनुज घोष ने मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे आगामी 28 सितम्बर से प्रारंभ होने वाले एमडीए अभियान के दौरान, समाचारों और मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें।