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कोरोना खूंखार

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लग जाये जाने कहाँ, कोरोना खूंखार !

रखिए कदम सँभालकर, और’ रहे हुशियार !!

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दरवाजे दुश्मन खड़ा, करने को अब वार!

जल्दी में मत कीजिये, लक्ष्मण रेखा पार !!

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कुदरत की इस चोट से, सहम गया सन्सार !

मंदिर-मस्जिद बंद है, देव सभी लाचार !!

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रुका रहे आवागमन, घर में हो परिवार !

पूर्ण बंद को मानिये, सभी समयानुसार !!

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इक दूजे से दूर हो, पर हो मन में प्यार !

यही दवाई जानिए, यही सही उपचार !!

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बीतेगा ये दौर भी, सौरभ तू मत हार !

मुरझाये इस बाग़ में, होगी जल्द बहार !!

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प्रियंका सौरभ 

रिसर्च स्कॉलर, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार।