कंप्यूटर के माध्यम से शिक्षा, बच्चों में ज्ञान की संभावनाओं में विस्तार
भारत में विभिन्न विभागो में डिजिटलाइजेशन शुभ संकेत की तरह दिखाई दे रहे हैं। विशेष तौर पर शिक्षा जगत तथा बालक बालिकाओं के की डिजिटलाइजेशन एक वरदान की तरह होगा। कंप्यूटर तथा इंटरनेट के युग में आने वाले बच्चों की पीढ़ी को इसमें पारंगत होना अत्यंत आवश्यक है । वैश्विक स्तर पर भी बच्चों को प्रतिस्पर्धा हेतु इस विधा में विशेषज्ञता प्राप्त करनी होगी, तब जाकर हम रोजगार मूलक हो पाएंगे। वर्तमान में पिछले दो वर्षों से सबसे ज्यादा कोविड-19 के संक्रमण ने जीवन मृत्यु के बाद जिस
क्षेत्र का सबसे ज्यादा नुकसान किया है वो शिक्षा जगत के क्षेत्र का ही हैl तीन वर्षों से स्कूल कॉलेज लगातार बंद और खुलते आ रहे थेl मूल शिक्षा खासकर बच्चों के लिए समय बेकार ना जाए इसीलिए ऑनलाइन शिक्षा का प्रावधान देश में किया गया हैl ऑनलाइन शिक्षा कंप्यूटर आधारित नेटवर्क से संलग्न होती हैl इसके अंतर्गत विद्यार्थी तथा शिक्षक वीडियो के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े होते हैं तथा लगातार लाभान्वित भी होते हैंl इसमें शिक्षक आभासी तौर पर उपस्थित होते हैं एवं आभासी स्तर पर ही शिक्षा प्रदान की जाती हैl आज ऑनलाइन शिक्षा लाइव वीडियो क्लासेस, रिकॉर्डिंग वीडियो क्लासेस, लाइव ऑनलाइन शिक्षा, ऑनलाइन टेस्ट और घर पर पी,डी,एफ आधारित ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जा रही हैl ऑनलाइन शिक्षा में अनेक लाभ के साथ हानियों का भी समावेश है। ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से कक्षाओं का शिक्षण अधिक रोचक कथा संवादात्मक बनाया जा रहा है, जिससे बच्चे इस पर अधिक से अधिक ध्यान दे रहे हैं। इसके अलावा ऑनलाइन शिक्षक कोई भी कहीं भी कभी भी प्राप्त कर सकते हैं उदाहरण के लिए यात्रा के दौरान या किसी कारणवश अवकाश लेने पर छूटे हुए विषयों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन क्लासेज के प्रोत्साहन से विद्यार्थी नए-नए ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं, साथ ही शिक्षकों पर सक्षम, अद्यतन न होने और शिक्षकों की कमी के जो आरोप लगते हैं उसे भी दूर किया जा सकता है। वैसे भी भारत जैसे विशाल देश में पर्याप्त स्कूल कॉलेज नहीं है ।ऑनलाइन शिक्षा के विकल्प से स्कूल कॉलेज कम होने का दबाव धीरे-धीरे कम होने लगेगा और स्कूल कॉलेज के दाखिले में अनिवार्यता भी धीरे-धीरे कम होने लगेगी। ऑनलाइन शिक्षा पर्यावरण की दृष्टि से लाभकारी है, करोना संक्रमण की दृष्टि से लाभकारी है, और आर्थिक रूप से भी आवागमन के खर्चे से बचत के रूप में देखा जा रहा है। ऑनलाइन विद्यार्थी स्वयं शिक्षा के स्तर को समझेंगे और यह भी समझेंगे कि उन्हें क्या पसंद है और किस क्षेत्र में उन्हें आगे जाकर शोध करना है या बड़ी डिग्री हासिल करना है। इससे ज्ञान की विविधता भी प्राप्त होती है। समय की बचत के साथ इसमें आर्थिक लाभ भी होता है। तीव्रता और गहनता की दृष्टि से ऑनलाइन शिक्षा काफी महत्वपूर्ण तथा प्रभाव कारी है। ऑनलाइन शिक्षा पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक सूचनाएं एवं डाटा संग्रहण तीव्रता से होता है तथा सृजनशीलता की विविधता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऑनलाइन शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय विद्यालय और शिक्षकों की उपलब्धता भी छात्रों की मदद के लिए सदैव रहती है। दूसरी तरफ ऑनलाइन शिक्षा से कई समस्याएं भी जुड़ी होती हैं। ऑनलाइन शिक्षा नेटवर्क कंप्यूटर पर आधारित होती है इसके लिए कई उपकरणों की जरूरत होती है जो काफी आर्थिक रूप से महंगे होते हैं ।भारत जैसे देश में ऑनलाइन शिक्षा सबके लिए संभव नहीं है। विशाल जनसंख्या वाले देश में हर जगह कंप्यूटर नेटवर्क और मोबाइल की उपलब्धता इतनी आसान नहीं है, जितनी की योजना बनाते समय कल्पना की गई थी। बच्चों की रचनात्मक क्षमता का भी इसमें नुकसान होता है क्योंकि पाठ्यक्रम से संबंधित सारी जानकारियां किताबों में ना खोजकर इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त कर लेते हैं। उनमें जिज्ञासा का अभाव पैदा होने लगता है एवं रचनात्मकता भी खत्म होती है। ऑनलाइन शिक्षा में छोटे बच्चों को शारीरिक व्यायाम एवं शारीरिक कसरत का अभाव पैदा होने लगता है, छोटे बच्चों को खेलकूद वाली शिक्षा उनकी शारीरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर दी जाती है पर ऑनलाइन शिक्षा में ऐसा संभव नहीं है। स्कूल कॉलेजों में नियमित शिक्षा कक्षाओं में बैठकर शिक्षकों के दबाव में अनुशासन में दी जाती है, जिससे एक साम्यता छात्रों में बनी रहती है पर ऑनलाइन शिक्षा में छात्र किसी भी नियम से न बंद कर खुलकर इंटरनेट का दुरुपयोग भी कर सकते हैं। भारतीय तथा विदेशी मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा अत्यंत तनावपूर्ण होती है। एक रिसर्च के अनुसार 15 मिनट के ऑनलाइन अध्ययन के बाद छात्रों की नोट्स लेने में रुचि खत्म हो जाती है एवं व मनोरंजन साइड की तरफ झुकने लगते हैं। ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है सबसे ज्यादा आंखों पर असर पड़ने लगता है बहुत जल्दी ही बच्चों को आंखों में चश्मे और लेंस लगने लगते हैं। पर परिवर्तन संसार का एक मूलभूत नियम है जो राष्ट्र समाज व व्यक्ति अपने को समय के साथ बदल लेगा वह निश्चित रूप से विकास के पथ पर आगे जाएगा। वर्तमान युग डिजिटल युग है कोविड-19 के संक्रमण ने पूरे विश्व को अपनी सोच में परिवर्तन आने के लिए मजबूर कर दिया और यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर हर राष्ट्र ऑनलाइन शिक्षा के लिए जोर शोर से शिक्षा जगत में तैयारियां कर रहा है। यद्यपि इस क्षेत्र में विकसित राष्ट्रों ने ऑनलाइन की शिक्षा की पहल बहुत पहले से करनी शुरू कर दी थी।
ऑनलाइन शिक्षा के संदर्भ में यही कहा जा सकता है कि कुछ चुनौतियां विद्यमान है जिसे हमें दूर दूर कर इसे अत्यंत सुलभ बनाना होगा।आज की परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षा के लाभ अत्यंत अधिक हैं। डिजिटल युग में कोरोना संक्रमण की भयावहता से ऑनलाइन शिक्षा के महत्व में काफी वृद्धि हुई है। ऑनलाइन शिक्षा का भविष्य काफी उज्जवल है, यह शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। हमें ऑनलाइन शिक्षा के लिए कड़ी मेहनत एवं निगरानी करनी होगी ताकि छात्रों तथा शिक्षा के जगत से जुड़े जुड़े लोगों को तकनीकी ज्ञान का पूरा लाभ प्राप्त हो सके एवं उनके मानसिक, शारीरिक एवं चरित्र का निरंतर विकास होता रहे।
संजीव ठाकुर, चिंतक,रायपुर छत्तीसगढ़,
कविता,
संजीव-नी।
शांति अमन,चैन में कहर क्यों है।।
दिलों में नफरत हाथों में खंज़र क्यों,
मेरे मौला ये खौफनाक मंज़र क्यों ।।
कौम का बटवारा खून से सना हुआ ,
लहु की धार नफरत का असर क्यों।
खुदा ये तेरी रहमत या कुछ और है ,
आँखों में तल्खी,जुबाँ पे जहर क्यों ।।
कहीं घर उजड़ा है कही दुकांन उजड़ी,
अमन गायब है बचे अस्थि पंजर क्योंl
एक मिटटी से बनाया है हम सबको,
लाचार इंसान भला इतना जर्जर क्यों
आओ भूलो दंगे फसाद,बनाएं नया जहाँ।
शांति अमन और चैन में संजीव कहर क्यों।।
संजीव ठाकुर,रायपुर, छत्तीसगढ़,