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दिल्ली डायरी : एक कुतुबमीनार छोटा सा भी

कमल की कलम से !

हस्तसाल मीनार:छोटा कुतुबमीनार

इसके बारे में जानकर आपको बेहद आश्चर्य होगा और आप दाँतों तले उंगलियाँ दबाने पर मजबूर हो जायेंगे.
जब से मैंने पढ़ा कि दिल्ली में एक और कुतुबमीनार है तो उसे देखने की लालसा तीब्र हो गई.तो चलिए आज आपकी सैर कराने चलता हूँ इसी ओर.पता चला कि यह उत्तमनगर के हस्तसाल नामक जगह पर मौजूद है.जी पी एस के सहारे जब हस्तसाल पहुंचा तो लिंक फेल हो गया.लोगों से पूछा कि भाई मुझे हस्तसाल मीनार जाना है पर कोई नहीं बता पाया.
बहुत मुश्किल से एक बृद्ध ने बताया कि आप शायद छोटा कुतुबमीनार के बारे में पूछ रहे हैं.

आप हस्तसाल गाँव चले जाओ वहाँ छोटा कुतुबमीनार पूछना कोई भी बता देगा.साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी तय कर गाँव पहुँचा तो पतली संकरी गलियों का सामना करते हुए चारों ओर घनी आवादी से घिरा जर्जर अवस्था में इस मीनार को अपनी बदहाली और उपेक्षा पर आँसू बहाते हुए पाया.उसकी ये हालत देख मैं कुछ देर तक जड़वत हो गया.आसपास के लोगों से मिली जानकारी के आधार पर हम आपको ये सब जानकारी देने जा रहे हैं.

कुतुबमीनार के बारे में तो आप जानते ही होंगे.दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की दर्जा पाई हुई इमारत है.लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि दिल्ली में एक और कुतुबमीनार है जिसे छोटा कुतुबमीनार भी कहा जाता है.’हस्तसाल मीनार’ जिसे हस्तसाल की लाट भी कहते हैं.

जहाँ 47 मीटर ऊंची कुतुब मीनार को दुनिया की सबसे ऊंची मीनार होने की ख्याति प्राप्त है वहीं 17 मीटर ऊंचा हस्तसाल महल उपेक्षा और बेकद्री का शिकार है.
हस्तसाल मीनार भी कुतुब मीनार की तरह लाल बलुआ पत्थर और इट से बना है. यह मीनार मुगल शहंशाह शाहजहां द्वारा 1650 में शिकारगाह के रूप में बनवाया था.इस मीनार में एक पतली सीढ़ी है, जो ऊपर तक जाती है साथ ही इसमें एक सुरंग है जो बरादरी से जुड़ती है.बरादरी मनोरंजन के लिए बनाया गया एक कक्ष है.

हस्तसाल मीनार एक तीन मंजिला इमारत है, जो एक अष्टकोणीय चबूतरे पर खड़ी है.इससे करीब 100 मीटर की दूरी पर एक 2 मंजिला जर्जर इमारत है, जिसे हस्तसाल यानी हाथियों के घर के नाम से जाना जाता है.माना जाता है कि यह शाहजहां का शिकारगाह हुआ करता था.

इस मीनार से जुड़ा एक किस्सा है कि यह जगह पहले पानी में डूबा रहता था और कई सारे हाथी यहां विश्राम करने के लिए आया करते थे.इस वजह से इस स्थान का नाम हस्तसाल पड़ गया जिसका अर्थ है हाथियों का स्थान.

गांव वालों ने इस मीनार के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया, जिस वजह से भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मीनार की देखभाल के लिए एक चौकीदार नियुक्त किया लेकिन उसके रहने बैठने के लिए किसी कक्ष या स्थान की व्यवस्था अबतक नहीं की गई है. अफसोस कि कोई सुधि नहीं लेनेवाला इस धरोहर की.

अगर आप दिल्ली में रहते हैं, तो आपको यहां पहुंचने के लिए उत्तम नगर(पूर्व)मेट्रो स्टेशन सबसे पास पड़ेगा.दिल्ली से बाहर रहने वाले लोग दिल्ली पहुंचकर किसी बस से भी उत्तम नगर टर्मिनल पहुंचकर हस्तसाल गांव पहुंच सकते हैं.
मेट्रो और बस टर्मिनल एक ही जगह पर है जहाँ से गाँव जाने के लिए एक मात्र सवारी ई रिक्शा उपलब्ध है.
परन्तु सबसे अच्छी अपनी सवारी से जाना उत्तम है.

परंतु यहाँ पहुँच कर आप घोर निराशा का अनुभव करेंगे क्योंकि इसमें देखने लायक आपको कुछ नहीं मिलेगा. और इस इमारत के समीप तक पहुँचने के लिए टूटी फूटी जर्जर सीढियां कभी भी आपको गिरा सकती है.दो सीढ़ियों के बीच का इतना फासला है कि आपको करीब करीब उछलते हुए ही चढ़ना पड़ेगा.
हाँ दूसरी तरफ के ढलान से आप यहाँ लुढ़कते हुए टाइप से पहुँच सकते हैं.बच्चे आपको यहां पर क्रिकेट खेलते हुए कभी भी नजर आ सकते हैं.मजेदार बात यह कि उन बच्चों को भी नहीं पता कि जिस मीनार के नीचे वो खेल रहे हैं उसका नाम हस्तसाल मीनार है.वे भी इसे छोटा कुतुबमीनार के नाम से ही जानते हैं.