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केंद्र सरकार किसानों की आय दुगुनी करने को लेकर गंभीर, उठाए हैं ये कदम

हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है।नये भारत की कार्यनीति किसानों की आय बढ़ाने पर जोर देती है और उसके लिए जो विशेष कदम सोचे गए हैं, वो इस प्रकार हैं…

1. कृषि का आधुनिकीकरण
2. नीति और शासन

कृषि का आधुनिकीकरण

उद्देश्य

1. कृषि प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण उत्पादकता दक्षता और फसल विविधीकरण में वृद्धि करना।
2. आमूल परिवर्तन के माध्यम से आय और रोजगार सृजित करना जो कृषि मे मूल्य संवर्धन को अधिकतम करते हुए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करे।
वर्तमान में कम सिंचाई निम्न गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग उन्नत तकनीकी का कम उपयोग और बेहतर कृषि पद्धतियों की जानकारी की कमी की वजह से फसलों मे अधिकांश का उत्पादन स्तर विश्व की औसत उत्पादन स्तर से बहुत ही कम है।53% के क्षेत्र में तो पानी का अभाव है।तरह-तरह की जल प्रबंधन पद्धतियों और सेवाओं संबंधी संसाधन भी उपलब्ध नहीं है।इन वजहों से किसान की भी क्षमता सीमित हो जाती है।कृषि को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से हाल के वर्षों मे नई विकास पहले शुरू की गई है।प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य जल उपयोग दक्षता को बढ़ावा देकर सिंचाई बढ़ाना है।पिछले 4 वर्षों में सोच सोच में सिंचाई का क्षेत्र ढाई गुना बढ़ा है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड यानी एस एच सी योजना का दूसरा चक्र प्रारंभ हो चुका है जो स्थानीय उद्यमिता मंडलों के माध्यम से रोजगार सृजन और उद्यमिता विकास का कार्य कर रहा है तब तक दूसरे चक्र के तहत 3.76 करोड़ एसएचसी वितरित कर दिए गए हैं।

आगे की राह…

उत्पादकता और दक्षता
* सिंचाई कवरेज को 2022 23 तक सकल पतली क्षेत्र की 53% तक बढ़ाने की आवश्यकता है।
* सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से कवरेज बढ़ाने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
* संकर और उन्नत बीजों के साथ गतिशील बीज विकास योजनाएं बनाना और चलाना।
* बीज परीक्षण सुविधा मजबूत करना,बीज लाइसेंस के लिए एक समान प्रक्रिया बनाना।
* उर्वरक का कुशल उपयोग और उस पर सब्सिडी नीति बनाना।
* कीटनाशक उपयोग का विनियमितीकरण।
* तरल उर्वरकों पर सब्सिडी और सूक्ष्म सिंचाई के लिए निवेश सब्सिडी।
* किसान विज्ञान केंद्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी सुनिश्चित करना और बाजार के नेतृत्व में विस्तार साथ ही साथ मूल्यवर्धन विस्तार को भी प्राथमिकता दें।
* जिला स्तरीय कौशल आकलन और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में डीलर प्रशिक्षण कार्यक्रम का अनुकरण किया जाना चाहिए।
* कृषि क्षेत्र में विविधीकरण जाने की उच्च मूल्य वाली फसलों और पशुधन को बढ़ावा देना चाहिए।
* क्षेत्रीय उत्पादन बेल्ट की स्थापना, सब्जियों में हाइब्रिड तकनीक का उपयोग, फलों के उत्पादन के लिए रूटस्टॉक्स और स्मार्ट बागवानी।
* जैविक उत्पादों के लिए बाजार को सशक्त बनाना और कृषि कचरे का रूपांतरण।

कृषि में खेती के साथ-साथ पशुधन ओम मत्स्य पालन भी सम्मिलित है इसी वजह से इन क्षेत्रों में भी विकास के लिए भावी रहा चुनते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
* बुल मदर फार्म को बढ़ावा देना और विकसित करना।
* ग्राम स्तरीय खरीद, प्रणालियां क्षेत्र में योजनाओं का अभिसरण और मछली प्रजनको और किसानों के लिए क्षमता निर्माण।

नीति और शासन

उद्देश्य
1. एक ऐसा नीतिगत वातावरण बनाना जो भारत की खाद्य सुरक्षा को बनाए रखते हुए किसानों के लिए आए संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करें।
2. कृषि में सुदृढ़ कृषि व्यवसाय प्रणालियों मैं अंतरण के लिए कृषि विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी प्रोत्साहित करना।
3. सरकार की नीतियों के माध्यम से एग्रीप्रेन्योर के उद्भव को बढ़ावा देना ताकि छोटे और सीमांत किसान भी फार्मगेट से फार्क तक मूल्य संवर्धन के उच्चतर हिस्से को प्राप्त कर सके।

हाल के आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण और सेवा क्षेत्र कृषि में नियोजित अत्यधिक कार्य बल को अवशोषित करने में सफल नहीं हुए, इस वजह से कृषि में प्रति कामगार मूल्य नहीं बढ़ा या कह सकते हैं बहुत कम बढ़ा।कृषि अवसंरचना में कारपोरेट निवेश 2% से अधिक नहीं हुआ।2016-17 में 100% एफडीआई अनुमति भी दे दी गई और केंद्रीय बजट दो हजार अट्ठारह उन्नीस में तो खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए बजट आवंटन दुखना कर दिया गया।आदर्श कृषि उपज और पशुधन विपणन अधिनियम आदर्श संविदा कृषि अधिनियम यह कुछ नीतिगत पहल इस दिशा में लिए गए हैं।

किसानों की नीति और शासन के माध्यम से संवर्धन के लिए जो आगे की राह चुनी गई है, वह इस रास्ते पर चलकर प्राप्त की जा सकती है।
* विपणन में सुधार आवश्यक वस्तु अधिनियम मे संशोधन।* स्थिर निर्यात नीति बनाना आदर्श रूप से 5 या 10 साल के समय अवधि ले सकते हैं और मध्यावधि समीक्षा भी कर सकते हैं।
* मूल्य प्राप्ति जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य को न्यूनतम आरक्षित मूल्य द्वारा स्थापित किया जाना चाहिए प्रोत्साहन और कमीशन भुगतान की प्रणाली होनी चाहिए।
* प्रभावी और प्रौद्योगिकी संचालित कृषि सलाहकार सेवा पर विचार करना और फसल बीमा सुनिश्चित करना और नियमों में संशोधन।
* फ्यूचर स्ट्रेट को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए बाजार विस्तार मैं आ रही बाधा हटाने पर विचार किया जाना चाहिए।
* संविदा कृषि के अंतर्गत राज्यों को आदर्श संविदा कृषि अधिनियम दो हजार अट्ठारह अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
* मॉडल अधिनियम के सुचारू रूप से संचालन के लिए विवाद समाधान भी आवश्यक है।
* भूमि समीकरण के अंतर्गत राज्यों को आदर्श कृषि भूमि पट्टा करा अधिनियम 2016 अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना भूमि रिकॉर्ड को डिजिताइज करना कृषक उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देना प्रमुख कदम होंगे।
* कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर भी ध्यान देना चाहिए एक महत्वपूर्ण पहलू है।श्रमिकों को कृषि से निकलकर विनिर्माण क्षेत्र में भी कार्य करने का अवसर मिलना चाहिए इससे गैर कृषि आय में भी बढ़ोतरी होगी।