सम्पादकीय

दोस्ती का जश्न मनाने का दिन है फ्रेंडशिप डे – गीतावली सिन्हा)

आज है फ्रेंडशिप डे, या यूं कहिये दोस्ती की सालगिरह।मैंने प्रतिदिन की तरह मोबाइल हाथ में लेकर क्लिक किया। मोबाइल फोन में आया फेसबुक से जुड़े और दोस्त बनाये। आज तो यही हो रहा है।आज मोबाइल से दिन-प्रतिदिन दोस्त बनते जा रहे है। इनमें से कोई परिचित है, सगे-संबधी है और कुछ अपरिचित भी हैं।
आज दोस्ती मोबाइल के साथ जुड़ा है। ये दोस्ती की शुरूआत तो बड़ी अच्छी तरह से चलती है। सभी तरह के मैसेज देकर , मिलना जुलना, शिकवे शिकायत करना। यही आगे चलकर अहम बन गया तो दोस्ती को ब्लॉक भी कर दिया जाता। अब यहां तो फ्रेंडशिप बंद हो गया। यह दोस्ती नहीं । दोस्ती तो एक दूसरे की भावनाओं को समझे और सुख दुख को साझा करें और हमेशा एक दूसरे की मदद करें। मेरी कुछ यादें है दोस्ती को लेकर। आज मै 70 साल की उम्र पार कर गयी हूं। पति जो मेरे साथी थे वो अब इस दुनिया में नही हैं। अब उनकी याद है, जो हमने साथ बिताये थे।

मुझे उन दोस्तों की याद आती है। अपने स्कूल और कॉलेज के दोस्तों की। मेरे साथ क्लास में पढ़ने वाली सहलियां थी। शीला जो मेरे घर के पास रहती थी और स्कूल और कॉलेज साथ जाया करती थी। मंजू सिह,आज जो लेडी डॉक्टर है। पद्मा जो हमेशा अच्छा गाना गाती थी। ज्योति और मंजरी लेडी डॉक्टर है। आरा जिला स्कूल की प्रिसिंपल की दो बेटियां मंजू बाला और बीणा पानी ये सभी तो समय के साथ बिछड़ती गयी लेकिन किरण शर्मा जो मेरे घर के पास रहती थी, अच्छी दोस्त बनी और शादी के काफी दिनों तक हमारी दोस्ती पत्र के माध्यम से चलती रही। फिर समय के साथ पत्र का आना बंद हो गया और हमारी दोस्ती भी बंद हो गयी लेकिन मैं अपनी सभी सहेलियों को हमेशा याद करती हूं। इन्हीं यादों के साथ अपनी दोस्ती की याद संजोये रखती हूं। फ्रेंडशिप डे पर सभी को मुबारकबाद देती हूं।