सम्पादकीय

सम्पादकीय

नतीजों को मिलते पुरस्कार, कोशिशें रहती गुमनाम।

सफलता सार्वजनिक उत्सव तो असफलता व्यक्तिगत विप्पति। परिणामों पर ज़ोर देने से क्रमिक शिक्षा और सुधार का महत्त्व कम हो

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