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कम समय में बनाई फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान

फिल्म उधोग मनोरंजन के साथ साथ समाज में एक संदेश देने का कार्य करता है। फ़िल्म उधोग में कई ऐसे क्षेत्र है जिसके माध्यम से युवक, युवतियां अपना कैरियर बना सकते है। जैसे-गीतकार, गायक, संगीत, अभिनय, निर्देशन के अलावा और भी कई इसे क्षेत्र है, जिसमें कुशल शिक्षा लेकर बहुत से शिक्षित बेरोजगर युवक फ़िल्म एडिटिंग (संकलन)के क्षेत्र में अपना कैरियर बना चुके है।

बॉलीवुड के चर्चित एडिटर अमित आनंद स्कूल व कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने बाद आईफा से फ़िल्म निर्माण व एडिटिंग का कोर्स विधिवत पूरा किया। इसके बाद अमित आनंद ने 2008 में अपना फिल्मी कैरियर विज्ञापन फ़िल्म टाटा स्काई शो बिज, जीएम लाइट, विप्रो लाइट, एलजी लाइट ऑफ जॉय, महिंदा एवं पी एंड जी जैसे फिल्मों का एडिटिंग कर विज्ञापन की दुनिया मे भी एक अपना अलग पहचान बनाया।

टीवी श्रृंखला (सीरियल) के अलावा कई वृतचित्रों में एक संपादक के रूप में अर्थात वीडियो एवं फ़िल्म संपादन का कार्य शुरू किया। कई प्रतिष्टित कंपनियों के लिये वीडियो एलबम गीत-गणेश (जुबिन नॉटियाल), मीठी मीठी जलन (मोहित चौहान), गीत-जस्सी (पायल देव व इक्का), गीत-कैसे भूलूं मैं (गायक-अमित मिश्रा), गीत-माही किथे (गायक-भूमी त्रिवेदी) के अलावा अंकित तिवारी, राहत फतेह अली खान के गीतों को भी वीडियो का एडिट किया, जो टी सीरीज, ज़ी म्यूजिक, इरोज़ म्यूजिक, 9एक्स एम तथा बुलमान कंपनी ने रिलीज किया। साथ ही लघु फ़िल्म का निर्देशन व एडिटिंग करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

इसी क्रम में 2015 में लघु फिल्म बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ फ़िल्म में एडिटिंग के लिए प्रतिष्टित सम्मान से सम्मानित किये गए। आज अमित आनंद किसी पहचान के मोहताज नही है, इनके कार्यो को देखते हुए कई निर्माता, निर्देशको ने इन्हें अपनी अपनी फिल्म का एडिटिंग कराना शुरू कर दिए। फलस्वरूप आज अमित आनंद के द्वारा एडिट फिल्मो को देश ही नही विदेशो में भी सम्मान मिलने लगा। औसम- मौसम, क्या फर्क पड़ता है, कब्बडी, मैथली, वो 3 दिन, कुतुबमीनार, पातालपानी, विथ लव बॉलीवुड(थाई लैंड) फिल्मो का सम्पादन कर सफल फ़िल्म एडिटर की कतार में शामिल हो गये।

हिंदी फिल्म व धारावाहिक के सम्पादन के अलावा अमित आंनद कई क्षेत्रीय फिल्मों का भी सम्पादन किया है। क्या फर्क पड़ता है, औसम- मौसम एवं विथ लव बॉलीवुड, द ग्रेट लीडर जैसी फिल्मों के ये एडिशनल और प्रोमोशनल एडिटर थे। शार्ट फ़िल्म गुड मॉर्निंग, माँ, नास्तिक, पाक vs चायवाला में बतौर निर्देशक, एडिटर काम किया है। वहीं वेब सीरीज गैंस ऑफ ऑफिस पर (टीवी सीरीज), बैकपैक, फिर से रामसे कीट है। फ़िल्मी क्षेत्र से जुड़े होने के वाबजूद इन्होंने कई सामाजिक संस्था के साथ जुड़ कर समाज मे दबे-कुचले असहाय लोगो को भी सेवा और मदद करना नही छोड़ते है। अमित ने बताया कि फ़िल्म उधोग साफ सुघरी उधोग है। इस क्षेत्र में शिक्षित बेरोजगार व्यक्ति यदि सरकारी नौकरी का न इंतजार करते हुए इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते है।