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बिहार सरस मेला- रविवार का दिन रहा खास, सवा लाख से ज्यादा लोगों की रही उपस्थिति

9वें दिन 1 करोड़ से अधिक की हुई खरीद-बिक्री तो रविवार को सवा लाख से अधिक लोग पहुंचे सरस मेला में

पटना। रविवार का दिन बिहार सरस मेला के लिए खास रहा। सवा लाख से ज्यादा लोग आये। ग्राम शिल्प , हस्तकला और देशी व्यंजनों के प्रति लोगों का क्रेज ही है कि छुट्टी का दिन लोगों ने सरस मेला परिसर में बिताई। आगंतुकों ने गुनगुने धुप और स्वच्छ वातावरण में खरीदददारी के साथ ही देशी व्यंजनों का स्वाद तो लिया ही संध्या समय में लोक गीतों से सराबोर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद भी लिया। बीच-बीच में सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु चलाये जा रहे जन जागरूकता कार्यक्रम के तथात नुक्कड़ नाटक देखकर लाभान्वित भी हुए।
आगंतुकों ने घर –दुकान के सजावट के देशी उत्पादों की जमकर खरीददारी की वहीँ रसोई घर के लिए तांबा-पीतल, स्टील एवं टेराकोटा से निर्मित विभिन्न प्रकार के बर्तनों के साथ ही मसालों, गुड, रवा, सरसों तेल, चुडा -चावल, दाल, दनौरी-अदौरी, बेसन-आटा समेत अन्य व्यंजनों की खरीददारी कर रहे हैं। खादी, सूती एवं उनी कपडे एवं परिधानों की भी खरीद-बिक्री खूब हो रही है। कोट, बंडी, जाकेट, लुंगी, कुर्ता, तौलिया और रुमाल की मांग बढ़ी है।

आयुर्वेदिक पाचक और कैंडी के साथ ही तीसी, गुड़, आंवला एवं सोंठ आदि आगंतुकों को खूब भा रहे हैं। सरस रसोई परिसर दीदी के रसोई पर शुद्ध एवं पौष्टिक व्यंजन के साथ ही अन्य व्यंजनों के स्टॉल पर मिठाइयाँ, नमकीन, भूंजा, चना जोर गरम , विभिन्न प्रकार के पकौड़े, माल पुआ, जलेबी, दही बड़ा और गोल गप्पे का स्वाद लोग चख रहे हैं। बच्चों को बचपन के खिलौने, पालना घर और फन ज़ोन के साथ ही बाइस्कोप लुभा रहे हैं। इस सब के बाद आगंतुक बतौर दर्शक लोक गीत, लोक नृत्य, सूफी एवं गजल का बतौर दर्शक आनंद उठा रहे हैं।
बिहार सरस मेला ग्रामीण विकास विभाग के तत्वाधान में जीविका द्वारा 15 दिसंबर से 23 से जारी है। सरस मेला का समापन 29 दिसंबर 2023 तक चलेगा।
बिहार के सभी 38 जिलों से लगभग 191 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी जीविका दीदियाँ सूक्ष्म उद्यमी के तौर पर उपस्थित हैं। अन्य राज्यों में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखण्ड, केरला, लद्दाख, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, जम्मू-काश्मीर, कर्नाटक, आसाम, पॉन्डिचेरी, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं मणिपुर से स्वयं सहायता समूह की महिला उद्यमी एवं स्वरोजगारी अपने उत्पाद, व्यंजन एवं शिल्प को लेकर शिरकत कर रही हैं।

बिहार सरस मेला के 9 वें दिन शनिवार को 23 दिसंबर को लगभग 1 करोड़ लाख 24 लाख 19 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है। खरीद–बिक्री का आंकड़ा स्टॉल धारकों से लिए गए आंकड़ो पर आधारित होता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत मुख्य मंच पर मुस्कान सांस्कृतिक मंच के कलाकारों द्वारा लोक गीत एवं भक्ति गीत की प्रस्तुति की गई। कुमारी अंजलि ठाकुर ने ससुररिया में बड़ा मान बा समेत कई लोक गीत गाकर गर्षकों को मंत्रमुग्ध किया, वहीं सरस मेला में आये स्टायल धारक अवधेश कुशवाहा ने सरस मेला में बहार है की प्रस्तुति की। मंच संचालक गुलाम सिमानी रहे। संध्या समय में कला संस्कृति एवं युवा विभाग के तत्वाधान में लोक गीत एवं नृत्य की प्रस्तुति की गई।
नुक्कड़ नाटक के तहत महिला एवं बाल विकास के तावाधन में ग्रामीण लोक सेवा के कलाकारों ने बाल विवाह एवं दहेज़ प्रथा उन्मूलन तथा यौन उत्पीड़न को लेकर लघु नाटक की प्रस्तुति की। कलाकारों में निरमा, ललिता, सरदार जी, राम सकल एवं आर.सी.जेटली आदि रहे। नाटक के निर्देशक हौबिन्स हैं। नुक्कड़ नाटक के तहत जन जागरूकता अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के तत्वाधान में “कलमबाज” के द्वारा वित्तीय साक्षरता, साइबर क्राइम और ऑन लाइन खरीददारी के गुर बताया जा रहा है।

विभिन्न विभागों, संस्थानों एवं बैंको के स्टॉल पर आगंतुकों को कई प्रकार की योजनाओं से रूबरू कराया जा रहा है। जीविका के तावाधन में सामाजिक विकास विधा के स्टॉल पर ग्रामीण क्षेत्रों में जीविका दीदियों के माध्यम से हो रहे विकासात्मक कार्यों की गाथा प्रदर्शित है। नि:शक्तता समावेशन के अंतर्गत नि:शक्त लोगो को स्वयं सहायता समूह से जोड़कर उन्हें प्रशिक्षण देकर उनके रूचि के अनुरूप स्वरोजगार उपलब्ध कराते हुए सशक्त बनाने की कहानी उन्ही की जुबानी सुनाई एवं दिखाई जा रही है। अन्य स्टॉल पर भी इसी तरह विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित हुए परिवारों की आर्थिक एवं सामजिक सम्पन्नता को दर्शाया गया है। वित्तीय साक्षरता को प्रमाणित करती जीविका दीदियों द्वारा संचालित गरजक सेवा केंद्र से रुपये की जमा–निकासी हो रही है।