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बिहार कला केंद्र द्वारा आयोजित “लोकगीतों की कार्यशाला” का हुआ समापन,”क्या लेके सावन शिव के मनाई शिव” जैसे गीतों ने मन को मोहा

बच्चे-बच्चियों के द्वारा लोक गीत की प्रस्तुति अदभुत रही। सुनकर अति प्रसन्नता हुई। उक्त बातें आज बिहार कला केंद्र द्वारा आयोजित सात दिवसीय “लोकगीतों की कार्यशाला” के समापन समारोह में बतौर अतिथि उपस्थित बिहार प्रादेशिक अग्रवाल महिला सम्मेलन की बिहार की अध्यक्ष और प्रख्यात समाज सेवी डॉ० गीता जैन ने कही। कार्यशाला का आयोजन “अमर सर आर्ट, म्यूजिक एवं डांस स्कूल में आयोजित किया गया था।
इसके पूर्व श्रीमति जैन ने कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए लोकगीत और जीवन जीने का कला पर कई टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में युवाओं में सिर्फ मोबाइल का क्रेज बढ़ रहा है और अपने संस्कृति पीछे छूट रही है। बिहार कला केंद्र ने जो लोक गीतों के लिए इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए हैं वह निसंदेह काबिले तारीफ है। आगत अतिथियों का स्वागत संस्था के सचिव अमर कुमार सिन्हा ने किया।
कार्यशाला के समापन पर उपस्थित कलाकारों ने “घिरी आई रे बदरिया सावन में, सावन झड़ी लागी, क्या लेके सावन शिव के मनाई शिव मानत नाही जैसे गीतों पर उपस्थित अतिथियों और दर्शकों का मन मोह लिया। कलाकाओं में अपर्णा शरण, कृपा, विशिष्ठ वेद, पाटलि, शैली, आशा दीप ने अपने-अपने गायन से एवं धीरज पांडे ने ढोलक पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
बतौर अतिथि उपस्थित मधुप मणि “पिक्कू ने कहा कि रील्स के इस दौर में लोकगीत के लिए कार्यक्रम का आयोजन कर बिहार कला केंद्र ने अपनी संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास किया है। कलाकारों ने बेहतर प्रयास किया है।
बतौर अतिथि बिहार सरकार से सम्मानित टीवी और आकाशवाणी के कलाकार मुन्ना जी ने लोकगीतों के प्रति कलाकारों की आस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस प्रकार का आयोजन कलाकारों को सुकून देने और नई प्रतिभा को आगे बढ़ाने का मार्ग होता है।
इसके पूर्व बिहार कला केंद्र के सचिव अमर कुमार सिन्हा ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के भावी कार्यक्रमों की जानकारी साझा करते हुए कहा कि बिहार कला केंद्र लोक गीत के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास करेगी।
कार्यक्रम का संचालन “ओ ऊमनिया” फेम रेखा झा के दिशा-निर्देश में हुआ। रेखा झा ने नवोदित कलाकारों को प्रशिक्षण देने सहित गायकी के कई टिप्स देकर उन्हें मंच पर निखारने का काम किया।
कार्यशाला के सफल संचालन में अंकित सिन्हा, अमन राज और शहजाद आलम ने अपना योगदान दिया।