विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री से मिले बिहार सरकार के मंत्री सुमित कुमार सिंह
पटना। बिहार सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह आज नई दिल्ली में देश के केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह से राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों की समस्याओं को लेकर मिले। अपने मुलाकात के संदर्भ में नई दिल्ली से दूरभाष पर मंत्री सुमित कुमार सिंह ने बताया कि काफी सकारात्मक बातचीत हुई।
जम्मू के राजनीति से निकल उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति के कर्मयोगी राजनेता के तौर अपनी पहचान बनाई है। उनसे मिलकर सच में एक सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति हुई। अपनी विराट जिम्मेदारियों के बीच उनकी सहजता सच में अनुकरणीय है। हम जैसे राजनीति के नवीन विद्यार्थी के लिए वह अभिभावक समान हैं। जिस मंत्रालय का महती दायित्व वह उठा रहे हैं, उसी विभाग की जिम्मेदारी बिहार में मेरे कंधों पर है। लिहाजा उनका स्नेह आशीर्वाद मिलता रहता है। वैसे तो यह मेरी आधिकारिक रूप से पहली मुलाकात थी। फिर पूरी बेबाकी से मैंने अपनी राय और अपने विभाग के उद्देश्यों को उनके समक्ष प्रकट किया। मैंने बिहार में साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की विशिष्ट उपलब्धियों से अवगत कराया।
माननीय मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जी ने अभियंत्रण शिक्षण के क्षेत्र में जबरदस्त दूरदर्शी निर्णय लिया। आज बिहार के हर जिले में अभियंत्रण महाविद्यालय की स्थापना हुई है, सभी इंजीनियरिंग कॉलेज में उच्च कोटि की आधारभूत संरचना विकसित की गई है अथवा, शीघ्र किया जाना है।
राज्य सरकार ने एक अभियंत्रण विश्वविद्यालय की स्थापना किया, जिसका मकसद राज्य के युवाओं को विश्व स्तरीय शिक्षण प्रदान करना है। मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि मैंने उनसे आग्रह किया कि बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों के लिए विज्ञान एवं तकनीकी अनुसंधान के क्षेत्र में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण के लिए व्यवस्था की जाय। जिससे हमारे बिहार के युवा इंजीनियर इस क्षेत्र में ट्रेनिंग लेकर विशेषज्ञ बन सकेंगे। इसके साथ ही बताया कि बिहार के रक्षा वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा जी, महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी के नाम पर किसी संस्थान का नाम रखा जाय, वहीं उनके नाम पर पुरुस्कार भी शुरू करना चाहिए।
एमबी वर्मा जी भारत के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (हल्के लड़ाकू विमान) तेजस के निर्माता थे, वह देश महान वैज्ञानिक एवं जनता के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब के मित्र और रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में उनके सहयोगी थे। मैंने उनसे आग्रह किया कि उनके नाम पर किसी संस्थान का नाम रखा जाय और उनके नाम से विज्ञान के क्षेत्र में एक पुरस्कार भी शुरू किया जा सकता है। वह इस दिशा में सार्थक निर्णय अवश्य लेंगे, ऐसी अपेक्षा है।