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भोजपुरी की मिठास है, बबुनी के पापा – छठ गाने में कुछ तो ख़ास है

 

कभी कभी ऐसा होता है कि आपको कोई चीज़ एकदम से ठीक समय पर मिले, जिसका इंतज़ार आप लम्बे समय से कर रहे हैं , तो आपको कैसा लगेगा! मजा आयेगा ना. कुछ ऐसा ही कहना है लोगों का जो – बबुनी के पापा – गाने को सुनकर ख़ुशी से झूम रहे हैं. लोग जिज्ञासा के इस गाने की तारीफ़ किये जा रहे हैं, न केवल गायकी बल्कि इसके बोल भी इमोशनल कर देते हैं. सुनी ना ये बबुनी के पापा वाली लाइन तो जुबान पर चढ़ गयी है. एंटरटेनमेंट चैनल के रूप में शुरू होने वाले भौकाल.कॉम का ये पहला गाना लांच हुआ है. ये गाना इतना मनमोहक है कि लोग इसको फॉरवर्ड किये जा रहे हैं. आपको जानकार आश्चर्य होगा कि पिछले एक दिन में हज़ारों लोगों ने इसे whatsapp ग्रुप्स पर फॉरवर्ड किया है और पारिवारिक ग्रुप में शेयर किया हैं।
गाना सुनने में तो एडिक्टीव है ही, गाने का फिल्मांकन भी बड़ा सरल और सुलझा हुआ है. इसके दृश्यों में छठ पूजा पर, एक पत्नी अपने पति से छठ पूजा में घर जाने के लिए कहती है और अपने पति मनाती है. वो बताती है कि, कैसे गंगा पार उसके मायके में महापर्व छठ का भव्य आयोजन होता है. गाने के बोल बड़े मार्मिक हैं और आपको भाव विभोर कर देते हैं. गाने के बोल और कम्पोजीशन भी जिज्ञासा की ही है।
इस गाने में जिज्ञासा, संदीप और वान्या यानी पूरे परिवार को एक साथ देखा जा सकता है. जाहिर है कि जिज्ञासा-संदीप की जोड़ी कोरोना काल में चर्चा में आई थी जब इस जोड़े ने ऑनलाइन शादी लाइव स्ट्रीमिंग कर तहलका मचा दिया था. उस शादी को पंद्रह लाख से भी अधिक लोगों ने देखा था और ये पूरे देश में चर्चा का विषय बनी थी.
इस गाने को पटना में ही फिल्माया गया है. गाने के दृश्यों में पटना के एनआईटी घाट, गोलघर, गरदनी बाग़ के सूर्य मंदीर आदि जगहों को देखा जा सकता है. फिल्ममेकर शिव कुमार ने कैमरे से शानदार काम किया है. अंकित भारद्वाज की एडिटिंग कमाल की है. इस गाने में आप यंग बिहार की छाप को महसूस करते हैं. म्युज़िक में नयेपन के कारण, ये गाना मिल्लेनियल्स को भी अपील कर रहा है. भोजपुरी भाषा की मिठास को आप खुद महसूस कर पाएंगे.
बिहार की छवि को एकाएक नए रंग भरने वाले आशीष कौशिक के ड्रोन शॉट्स छठ पूजा की भव्यता को दिखाते हैं. सबके फेवरेट फोटोग्राफर सौरव अनुराज और प्रिंस के शानदार शॉट्स ने गाने में जान डाल दी है. छठ पूजा की भव्यता को एक इतने आकर्षक ढंग से देखने के बाद लोग पूरे टीम की तारीफ़ कर रहे हैं. इस गाने का म्युज़िक और मिक्स मास्टर हरजासप्रीत ने किया है और इसे पटना के ए के हार्मनी स्टूडियो में अनुभवी आलोक झा जी ने रिकॉर्ड किया है. मोहम्मद सलीम की बांसुरी की धुन आपको छठ घाट पर खिंच कर ले जाती है. पंडित अभिषेक मिश्र ने इस गाने को शास्त्रीय संगीत से निखारा है.
जिज्ञासा के इस गाने में न केवल बिहारी माटी की खुशबु है बल्कि पारंपरिक धुन को बड़ी ही खूबसूरती के साथ आधुनिक टच दिया गया है. #missingchhath मिस्सिंग छठ का थीम प्रवासी भारतीयों को इस गाने का दीवाना बना रहा है. बबुनी के पापा गाने में जिज्ञासा की आवाज में जो खनक है वो आपको इस गाने को बार बार सुनने पर मजबूर कर देगी. गाने को बड़े ही सादगी से फिल्माया गया है. इस गाने में चौदह महीने की बेबी वान्या की भी झलक है.
भौकाल. कॉम के फाउंडर और टेक्नोक्रेट संदीप पाण्डेय (कनिष्क कश्यप) का कहना है कि बिहार के लोक गीतों की ओर लोगो को वापस लौटना होगा क्योंकि आने वालें दिनों में ये घर, परिवार और लोक गीत का महत्त्व बढ़ने वाला है. भोकाल.कॉम आगे भी ऐसे लोक गीतों का प्रोड्कशन करना चाहता है. उन्होंने सत्यमेव ग्रुप के सीईओ रंजित सिंह को धन्यवाद दिया, जो लगातार नए प्रयासों को प्रोत्साहित करते हैं और नए प्रयासों के साथ खड़े रहते हैं।