साइबर हमले से भी सतर्क रहना होगा भारत को, विशेषज्ञों की राय
हम जितनी तेज़ी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या में वृद्धि हो रही है। कोरोना के समय में ऑस्ट्रेलिया की संचार प्रणाली पर हुआ साइबर हमला है, संचार प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगता है।
इसी बीच अब साइबर विशेषज्ञों ने भारत में भी एक बड़े साइबर हमले की आशंका व्यक्त की है। सरकार ने व्यक्तियों और व्यवसायों के खिलाफ बड़े पैमाने पर साइबर हमले के खिलाफ चेतावनी दी है, जहां हमलावर व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी के लिए कोविड के तहत एकत्रित किये गए डाटा को चोरी कर सकते हैं।
भारत की साइबर सुरक्षा नोडल एजेंसी के सलाहकार चेतावनी जारी की है कि संभावित साइबर हमले सरकारी एजेंसियों, विभागों और व्यापार निकायों को टारगेट कर सकते हैं जिन्हें सरकारी वित्तीय सहायता के संवितरण की देखरेख करने का काम सौंपा गया है। हमलावरों से स्थानीय अधिकारियों के बहाने दुर्भावनापूर्ण ईमेल भेजने की आशंका है जो सरकार द्वारा वित्त पोषित कोविड -19 समर्थन पहल के प्रभारी हैं। जानकारी के अनुसार साइबर हमलावरों के पास 2 मिलियन ईमेल आईडी होने की आशंका हैं और ऐसे समय लुभावनी ईमेल भेजने की योजना बना रहे हैं
भारत में पूर्व में भी साइबर हमले होते रहे हैं। उदाहरण के लिये वर्ष 2016 में बैंक खाताधारकों के 3.2 मिलियन डेबिट कार्ड की व्यक्तिगत जानकारी का लीक होना और उनका डेटा चोरी होना भारत में एक बड़ा साइबर हमला था। वर्तमान में साइबर सुरक्षा रणनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अभिन्न अंग बन गया है।
इसका प्रभाव क्षेत्र किसी देश के शासन, अर्थव्यवस्था और कल्याण के सभी पहलुओं को कवर करने में सैन्य प्रभाव व उसकी महत्ता से किसी भी प्रकार से कम नहीं है। आज के समय में इंटरनेट का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में किया जाता है।
साइबर सुरक्षा आज बहुत ज्यादा जरूरी है जब देश एक कैशलेस समाज और डिजिटलीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है। कोरोना के इस दौर में जब अधिकांश कार्य ऑनलाइन लेनदेन और कैशलेस हो रहे है तब भारत में साइबर सुरक्षा को गंभीरता से लेना सर्वोपरि है।
सुरक्षा एक चुनौती है क्योंकि निजता एक मौलिक अधिकार है और साइबर अपराधों में वृद्धि से निजता उल्लंघन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता गरिमा खो सकती है। साइबर सुरक्षा आज साइबर कानून का एक महत्वपूर्ण कानून बन गया है। वैसे भी भारत सरकार ने देश को डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है।
तकनीकी पहल और परिवर्तन की दिशा में भारत को आगे बढ़ाने के लिए आधार, मैगॉव, गवर्नमेंट ई-मार्केट, डिजीलॉकर, भारत नेट, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और स्मार्ट सिटीज़ शुरू करने से लेकर कई पहलों का भविष्य अब डिजिटलीकरण पर निर्भर है।
वर्तमान समय में वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे की जांच के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने की जरूरत आन पड़ी है भारत में, यह जरूरी है कि साइबर नेटवर्क, सॉफ्टवेयर और साइबर-फिजिकल सिस्टम और प्लेटफॉर्म साइबर सिक्योर हों।
इसके लिए लोगों, नीतियों और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी के विवेकपूर्ण मिश्रण की आवश्यकता है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पादों पर निर्भरता और कमजोरियों की पहचान करने में हमारी असमर्थता एक प्रमुख साइबर सुरक्षा जोखिम है।
इस क्षेत्र में आवश्यक विभिन्न सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर से संबंधित तकनीकी पहलुओं को समझने के लिये भारतीय सैन्य बलों, केंद्रीय पुलिस संगठनों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों में कुशल लोगों का अभाव है। इसके अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकी की समझ रखने वाले पेशेवरों की कमी है।
कई विशेषज्ञों के अनुसार आज देश को वर्तमान में कम से कम तीन मिलियन साइबर सुरक्षा पेशेवरों की आवश्यकता है
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