विविधसम्पादकीय

छोटे व्यापारियों व वेंडरों की भी बैंक ने की मदद : सुबोध

  • गया की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा पंजाब नेशनल बैंक
  • बैंक का ग्राहक घर वापसी अभियान भी अनूठा

गया। गया जिले की बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में पंजाब नेशनल बैंक सहयोगी साबित हो रहा है । बैंक की मदद से जिले की ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में न केवल सुधार हो रहा है बल्कि उनकी जिदगी की गाड़ी चलने में भी सहूलियत होने लगी है ।

बैंक के गया मंडल के मंडल प्रमुख सुबोध कुमार ने बताया कि बैंक ने जीविका के माध्यम से जिले के ग्रामीण इलाके में जीवन बसर कर रही करीब 1 लाख 6० हजार महिलाओं को 16 हजार स्वयं सहायता समूहों में जोड़ा है। उन्हें बैंक द्बारा वित्त पोषित कर मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, सब्जी, फल-फूल की खेती, दुकान संचालन, सिलाई कटाई बुनाई, मास्क निर्माण आदि व्यवसाय से जोड़ा गया है। इन्हें बैंक द्बारा प्रत्येक स्वयं सहायता समूह के लिए आवश्यकतानुसार 5 लाख तक की ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी जिसे उनकी बेहतर कार्य पद्धति के आधार पर ऋण की सीमा को बढ़ाकर अब 6 लाख रुपये कर दिया गया है। इससे ग्रामीण महिलाओं को अपने व्यवसाय को बढ़ाने में काफी हद तक सहूलियत होगी।

कुमार ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को उनके व्यवसाय-रोजगार के बारे में जानकारी तथा तकनीकी प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से बैंक की ओर से समय-समय पर प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गई है और वे स्वयं अथवा बैंक के अधिकारी उनके व्यवसाय-रोजगार के स्थल पर जाकर इसका अवलोकन व निरीक्षण भी करते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार-व्यवसाय से जोड़े जाने से जिले में महिला सशक्तिकरण को न केवल बढ़ावा मिल रहा है बल्कि ग्रामीण स्तर पर आर्थिक समृद्धि भी आने लगी है। इससे गांव की महिलाओं को जहां अपने बच्चों के पोषण अथवा पठन-पाठन के लिए पूर्व में होने वाली आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलने लगी है वहीं अब उनका घर- परिवार भी धीरे-धीरे अच्छे ढंग से चलने लगा है। इससे समाज- परिवार में महिलाओं की पूछ भी बढी है।

मंडल प्रमुख ने बताया कि स्वयं सहायता समूह के जरिए बड़ी संख्या में महिलाओं को जीविका से जोड़े जाने में पंजाब नेशनल बैंक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, जन-धन योजना आदि से भी जोड़ा गया है और इससे छूटी महिलाओं को जोड़ने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि देश के चुने हुए आकांक्षी जिलों में एक गया जिला में महिला सशक्तिकरण का यह एक बेहतर तथा बेजोड़ उदाहरण है।

ग्राहकों की सेवा में सदैव तत्पर पीएनबी

गया जिले में पंजाब नेशनल बैंक की 56 शाखाएं कार्यरत हैं वहीं 18० ग्राहक सेवा केंद्रों के माध्यम से नागरिकों को बैंकिग की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। कुमार ने बताया कि जिले में बैंक का कुल डिपाजिट 41०० करोड़ रुपए है जिसे इस वितीय वर्ष के अंत तक 8435 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार बैंक द्बारा निर्गत लोन 1162 करोड़ रुपये है जिसे मार्च 2०22 तक बढ़ाकर लक्ष्य के अनुरूप 189० करोड़ रुपए तक करने का प्रयास किया जा रहा है।

ग्रामीण घर वापसी अभियान अनूठा

मंडल प्रमुख ने बताया कि बैंक ने 1 जनवरी 2०19 से पीएनबी से अन्य बैंकों में चले गए ग्राहकों को पुन: वापस लाने के लिए घर वापसी का विशेष अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत ग्राहकों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके लिए उनके ऋण की सीमा को भी बढ़ाया गया है और बैंक का प्रयास उन्हें अधिक से अधिक बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में बैंक को आशातीत सफलता मिल रही है और पीएनबी से दूसरे बैंक में जा चुके ग्राहकों को तेजी से घर वापसी यानी पुन: पीएनबी से जोड़े जाने का काम किया जा रहा है।

लघु एवं मध्यम उद्यमियों तथा व्यापारियों के लिए विशेष सुविधा

कोरोनाकाल तथा लॉकडाउन के दौरान व्यवसाय के काफी हद तक प्रभावित होने के कारण आर्थिक संकट झेल रहे व्यवसायियों को वित्त पोषण कर उन्हें पुन: व्यवसाय बढ़ाने में बैंक मदद कर रहा है। इसके तहत गया मंडल क्षेत्र में 742 लोगों को 19 करोड़ 71 लाख रुपए का ऋण जारी किया गया है और उद्यमियों व व्यापारियों की जरूरत के अनुसार आगे भी उन्हें ऋण की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बैंक की योजनाएं चालू हैं।

वेंडरों को भी दी गई सहायता

मंडल प्रमुख कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत छोटे-छोटे फुटपाथी दुकानदारों तथा वेडरों को उनके द्बारा मांग के अनुरूप 1०-1० हजार का ऋण उपलब्ध कराने में बैंक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके तहत जिले में 675 वेंडरों के आवेदन को स्वीकृत कर 67 लाख 5० हजार रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया है। इससे वेंडरों को अपने व्यवसाय को पुन: खड़ा करने में काफी हद तक मदद मिली है।