शिक्षा के साथ स्वास्थ्य और सुरक्षा भी, 8.23 लाख में से 39 स्कूलों को मिला स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार
शिक्षा सभी के लिए जरूरी है, लेकिन इन स्कूलों में स्वच्छता हो, बच्चों के लिए साफ पीने का पानी और शौचालय जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं मौजूद हों, इसे लेकर भी केंद्र सरकार सजग है। इसी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार को देश के 39 स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (SVP) से सम्मानित किया। कुल 8.23 लाख प्रविष्टियों में से चुने गए स्कूल 28 सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल हैं जबकि 11 निजी स्कूल हैं।
9.59 लाख स्कूलों में से केवल 39 स्कूलों का चयन
पुरस्कार के तीसरे संस्करण यानि एसवीपी 2021-22 में पुरस्कारों के लिए पंजीकृत 9.59 लाख स्कूलों के साथ अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई। यह संख्या एसवीपी 2017-18 में उस वर्ष के दौरान भाग लेने वाले स्कूलों (6.15 लाख स्कूलों) की संख्या से लगभग 1.5 गुना अधिक है।
9.59 लाख स्कूलों में से 8.23 लाख से अधिक स्कूलों ने एसवीपी 2021-22 के लिए अपने आवेदन जमा किए। जिला और राज्य स्तर पर 4,27,718 योग्य स्कूलों की मूल्यांकन प्रक्रिया की गई, जिनमें से 606 स्कूल राज्य व केंद्र शासित प्रदेश स्तर के पुरस्कारों के लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार के लिए पात्र पाए गए। एसवीपी 2021-22 के लिए स्कूलों के चयन के लिए यूनिसेफ पार्टनर एजेंसी (एनईईआरएमएएन) द्वारा तीसरे पक्ष के मूल्यांकन के बाद राष्ट्रीय चयन समिति ने 10 अक्टूबर को आयोजित अपनी बैठक में एसवीपी 2021-2022 के लिए राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों के लिए 39 स्कूलों (समग्र श्रेणी में 34 और उप-श्रेणियों में 5) का चयन किया।
ग्रामीण क्षेत्र के 21 और शहरी के 18 विद्यालय
चयनित 39 विद्यालयों में से 21 विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों से तथा 18 विद्यालय शहरी क्षेत्रों से हैं। इसके अलावा, 28 स्कूल सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त हैं जबकि 11 निजी स्कूल हैं। सम्मानित स्कूलों में दो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और एक नवोदय विद्यालय और तीन केंद्रीय विद्यालय भी शामिल हैं। 39 विद्यालयों में से 17 प्राथमिक हैं और 22 माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं। 34 विद्यालयों (समग्र श्रेणी में) को 60,000 रुपये और पुरस्कृत विद्यालयों को 20,000 रुपये (उप-श्रेणियों में) का नकद पुरस्कार दिया गया।
विद्यालय पुरस्कार की कैसे हुई शुरुआत
गौरतलब हो कि 2016-17 में स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। लेकिन उससे पहले 15 अगस्त 2014 को राष्ट्र के नाम स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पीएम मोदी ने देश के सभी विद्यालयों में एक वर्ष के भीतर शौचालय होने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने विद्यालयों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय होने पर जोर दिया था, जिससे हमारी बेटियों को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
2,61,400 विद्यालयों में 4,17,796 शौचालयों का निर्माण
इसके लिए विभाग ने 2014 में स्वच्छ विद्यालय पहल की शुरुआत की। इस पहल के तहत 15 अगस्त, 2015 तक यानि एक वर्ष की अवधि में 1,90,887 बालिका शौचालयों सहित 2,61,400 विद्यालयों में रिकॉर्ड संख्या में 4,17,796 शौचालयों का निर्माण किया गया। इस शानदार सफलता से उत्साहित होकर स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने दीर्घकालिक टिकाऊपन और व्यवहार परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए 2016-17 में स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की शुरुआत की। स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार न केवल उन विद्यालयों को सम्मानित करता है, जिन्होंने जल, स्वच्छता और हाइजीन के क्षेत्र में अनुकरणीय काम किया है, बल्कि यह विद्यालयों को और अधिक सुधार करने के लिए बेंचमार्क और रोडमैप भी प्रदान करता है।
छह मानकों के आधार पर होता है चयन
इस पुरस्कार के तहत विद्यालयों का मूल्यांकन छह व्यापक मानकों के आधार पर किया जाता है: (1) जल (2) शौचालय (3) साबुन से हाथ धोना (4) परिचालन व रखरखाव (5) व्यवहार परिवर्तन व क्षमता निर्माण और (6) कोविड-19 (तैयारी व प्रतिक्रिया)। यह पुरस्कार जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किए जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार न केवल उन स्कूलों को सम्मानित करता है जिन्होंने पानी, स्वच्छता और स्वच्छता के क्षेत्र में अनुकरणीय काम किया है बल्कि स्कूलों को और सुधार करने के लिए बेंचमार्क और रोडमैप भी प्रदान करता है।