सम्पादकीय

आलोक राज के छः मूल मंत्र, “रविवारीय” में पढ़िए किस शब्द से है ये मूलमंत्र

आलोक राज – भारतीय पुलिस सेवा के 1989 बैच के अधिकारी एवं संप्रति निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के मुखिया आलोक राज बिहार के नए पुलिस महानिदेशक बनाए गए हैं।
मृदुभाषी, सौम्य, अनुशासित जीवन शैली और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हरदिल अज़ीज़ आलोक राज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। संगीत इनकी रगो में बहता है। नामचीन हस्तियों की कविताओं को इन्होंने अपनी आवाज़ दी है। इनमें प्रमुख हैं कविवर नीरज और हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई। संगीत के

मनीश वर्मा,लेखक और विचारक

विभिन्न मंचों पर इन्होंने अपनी गायकी का प्रदर्शन किया है। बहुत सारे संगीत महोत्सव में इन्होंने अपनी मखमली आवाज के जलवे बिखेरें हैं। भक्ति संगीत गायन में भी ये एक सामान पकड़ रखते हैं। कई नामचीन कंपनी ने इनकी गायकी पर कैसेट निकाले हैं। इनकी अपने व्यवहार से किसी का दिल जीत लेना कोई इनसे सीखे, पर इसका यह मतलब कोई कतई ना निकाले या निकालने की कोशिश करे कि अपराध और अपराधियों के नियंत्रण में ये कोई सौम्यता बरतने जा रहे हैं। पूर्व में जहां भी रहे एक सख़्त अधिकारी के तौर पर इनकी पहचान रही है।
बिहार के नये डीजीपी का पदभार ग्रहण करते ही आलोक राज ने इसे स्पष्ट करते हुए अपने मंसूबे ज़ाहिर कर दिए।
पदभार ग्रहण करने के अपने पहले ही संबोधन में आलोक राज ने राज्य के सभी पुलिस पदाधिकारियों को “स” शब्द से जुड़े छः मूल मंत्र दिए। पहला, समय अर्थात रिस्पांश। टाइम जितना अच्छा होगा, पुलिसिंग उतनी अच्छी होगी। दूसरा, स से सार्थक अर्थात जो कार्रवाई करें वो सार्थक हो, वो नजर आएं कि कार्रवाई हुई है, अपराधियों में खौफ आए कि पुलिस ने कार्रवाई की है।

तीसरा, स से संवेदनशीलता। उन्होंने कहा कि मेरी अपेक्षा होगी पुलिस पदाधिकारी व कर्मी संवेदनशील हों, पीड़ितों के प्रति उनकी संवेदनशीलता दिखनी चाहिए, पीड़ित व्यक्ति पुरुष हो या महिला, शिकायत लेकर आए तो हमारा दायित्व बनता है कि उनकी बातों को सुनें और संवेदनशीलता के साथ उसे निपटाने की कोशिश करें । चौथा, स से सख्ती, अगर हम सख्ती नहीं रखेंगे, तो अपराधी हम पर भारी होंगे। उन्होंने पुलिस पदाधिकारियों से कहा कि वे अपनी कार्रवाई में सख्ती लाएं ताकि हम अपने आप को इतना मजबूत करें कि अपराधी खौफ खाएं।
पांचवा, स से सत्यनिष्ठा, अगर हम सत्यनिष्ठ और अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार नहीं होंगे तो बिहार की जनता की जो हमसे अपेक्षाएं हैं, उसे हम पूरा नहीं कर पाएंगे। इसके बाद, छठा, स से स्पीडी ट्रायल। हमारा उद्देश्य होना चाहिए। समय से मामलों का अनुसंधान कर निर्धारित समय पर आरोप पत्र समर्पित करें और उसके पश्चात स्पीडी ट्रायल के माध्यम से अपराधियों को सजा दिलाएं। उन्होंने आगे कहा कि हमारा फोकस क्षेत्र होगा निरोधात्मक पुलिसिंग की कार्रवाई, अपराध की रोकथाम और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई, अपराधियों को स्पीडी ट्रायल के माध्यम से सजा दिलाना। उन्होंने बताया कि इसके पूर्व निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में उन्होंने इसका पालन कराया है और इसमें उन्हें आशातीत सफलता मिली है।
मेरे साथ ही साथ समस्त बिहार वासियों को अपने इस स्थानीय हीरो से बहुत सारी उम्मीदें हैं। स्थानीय लोगों के लिए आलोक राज, आलोक राज पुलिस अधिकारी ना होकर आलोक जी या फिर आलोक भैया हैं।
इनके पूर्व के कार्यकालों के अनुभव को देखते हुए जो इन्होंने अपने विभिन्न जगहों पर पदस्थापना के दौरान अर्जित किया है, यह बात बड़ी आसानी से कही जा सकती है कि बिहार पुलिस इनके नेतृत्व में नित्य नए आयामों को हासिल करेगी।
✒️ मनीश वर्मा ‘मनु’