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23 सितंबर को होगा अग्नि-5 का परीक्षण, दुनिया की रहेगी नजर

भारत परमाणु सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का पहला उपयोगकर्ता परीक्षण करके इतिहास रचने जा रहा है। 6,000 किमी. रेंज की यह मिसाइल एक लॉन्च में कई लक्ष्यों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत की गिनती उन 8 देशों में हो जाएगी, जिनके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। यह मिसाइल सभी एशियाई देशों, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। आगामी 23 सितम्बर को होने वाली अग्नि-5 मिसाइल का अगला परीक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई वारहेड ले जाने में सक्षम मल्टीपल इंडिपेंडेंट रीएंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) से लैस है। हालांकि एक बहु-उपग्रह प्रक्षेपण के दौरान मिसाइल की एमआईआरवी क्षमता का गोपनीय रूप से परीक्षण किया गया था, लेकिन अब तक कोई लाइव लॉन्च नहीं किया गया है।

इस गुप्त परीक्षण में पहली बार स्वदेशी एमआईआरवी तकनीक से दो अलग-अलग स्थानों पर युद्धाभ्यास वाले हथियारों को टारगेट किया गया था। एमआईआरवी तकनीक से मिसाइल को प्रक्षेपण के बाद अलग-अलग लक्षित परमाणु हथियारों को स्वतंत्र तरीकों से भेजा जा सकता है। परमाणु सक्षम अंतर-महाद्वीपीय दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) अग्नि-5 का पहला उपयोगकर्ता परीक्षण 23 सितम्बर को किया जाना है, जो जल्द ही इसके सशस्त्र बलों में शीघ्र शामिल होने का संकेत है।

ओडिशा तट पर चल रही तैयारी

भारतीय सेना के सामरिक बल कमान ने इस मिशन के लिए ओडिशा तट पर विस्तृत तैयारी शुरू कर दी है। 6,000 किलोमीटर रेंज की मिसाइल का 2018 में हैट्रिक प्री-इंडक्शन ट्रायल किया गया था। इसके बाद 2020 में उपयोगकर्ता उड़ान परीक्षण किए जाने की योजना थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी हुई है। अग्नि-5 की एमआईआरवी क्षमता भारत को बहुत आवश्यक प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करेगी।

दरअसल, सिंगल-वारहेड मिसाइलों को आम तौर पर एक लक्ष्य के खिलाफ लॉन्च किया जाता है, लेकिन एमआईआरवी तकनीक मिसाइल को कई लक्ष्यों को एक साथ टार्गेट कर सकती हैं। प्रौद्योगिकी युद्ध की तैयारियों में बढ़त प्रदान करने वाली यह तकनीक कई मिसाइलों की आवश्यकता को कम करेगी।

सबसे शक्तिशाली और गेम चेंजर अग्नि-5 को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और सफल उपयोगकर्ता परीक्षण के बाद इसके उत्पादन का मार्ग प्रशस्त होगा। यह कनस्तरीकृत मिसाइल एक रिंग लेजर गायरोस्कोप आधारित जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और सूक्ष्म जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली से लैस है। डीआरडीओ द्वारा विकसित यह मिसाइल सभी एशियाई देशों और अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।

लगभग 17 मीटर लंबी, 2 मीटर चौड़ी, तीन चरणों वाली ठोस ईंधन वाली मिसाइल 1.5 टन का पेलोड ले जा सकती है और इसका वजन लगभग 50 टन है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस, इजरायल और उत्तर कोरिया के बाद भारत अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल रखने वाला आठवां देश है।

बेहद आसान है इसका इस्तेमाल

अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल, सड़क या हवा कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। यह करीब 10 साल का फासला है, जब भारत की ताकत अग्नि-1 मिसाइल से अब अग्नि 5 मिसाइल तक पहुंची है।

वर्ष 2002 में सफल परीक्षण की रेखा पार करने वाली अग्नि-1 मध्यम रेंज की बालिस्टिक मिसाइल थी। इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। फिर इसके बाद अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें आईं।

ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज की बालिस्टिक मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। अब भारत अग्नि-5 का उपयोगकर्ता परीक्षण करने जा रहा है। अग्नि-5 का पांचवां विकास परीक्षण 3 जून, 2018 को प्रातः 9 बजकर 48 मिनट पर किया गया था।

साभार : NewsOnAir