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दिल्ली डायरी : अद्भुत हनुमान

कमल की कलम से !

आईये आज आपको लिये चलते हैं दिल्ली के करोलबाग स्थित एक अद्भुत हनुमान मंदिर जो संकट मोचन धाम के नाम से जाना जाता है.
यहाँ दुनियाँ की दूसरी सबसे ऊँची108 फ़ीट के हनुमान जी मौजूद हैं.

इसमें जम्मू एवं कश्मीर में वैष्णो देवी श्राइन के समान एक गुफा है. इस गुफा में पिंडी के रूप में एक पवित्र पिंड भी है और गंगा नदी के रूप में पानी का एक अनवरत प्रवाह भी है.

बताते हैं कि मंदिर का निर्माण ब्रह्मलीन नागाबाबा श्री सेवागिरी जी महाराज ने कराया था.

मंदिर के बाईं तरफ श्री शनि मंदिर है जिसमें शनिवार के दिन भक्तों का ताँता लगा रहता है. हनुमान मंदिर तीसरी मंजिल तक है.
जिसके सबसे उपर वाली मंजिल पर स्वयं पंचमुखी श्री हनुमान जी विराजमान हैं.हनुमान जी की गदा के पास, माँ वैष्णो अपनी सुंदर और पवित्र तीन पिंडियों के साथ गुफा मे विराजमान हैं.

मंदिर के प्रवेश द्वार राक्षस का खुला हुआ मुंह से है जो कि मरते हुए राक्षस का प्रतीक है.
यह भगवान हनुमान की महिमा को दिखाता है जिन्होंने अपने जीवन में कई राक्षसों का वध किया था.
मूर्ति के आधार पर मूर्ति के पैर के निकट स्थित देवी काली को समर्पित एक मंदिर भी मौजूद है.

शिरडी के साईं बाबा , द्वारका की देवी और शनि महाराज भी मंदिर परिसर में स्थित हैं।

मूर्ति के चरणों में सुरसा राक्षसी का मुँह नजर आता है जो मंदिर में प्रवेश का रास्ता है जैसा कि हमने ऊपर बताया भी है. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी ने राक्षसी सुरसा को अपना विराट रूप दिखाया था और विराट दर्शन के बाद भगवान राक्षसी के मुख में छोटा सा रूप धारण करके प्रवेश कर गए थे.

वैसे ही मंदिर में सुरसा की जीभ से होते हुए भक्तगण प्रवेश करते हैं और सामने भगवान हनुमान की एक छोटी मूर्ति का दर्शन करते है. मंदिर का प्रवेश द्वार राक्षसी का खुला हुआ मुँह है जो कि मरते हुए राक्षसी को दर्शता है. ये भगवान हनुमान की महिमा का प्रतीक है जिन्होंने अपने जीवन में कई असुरों का वध किया था और भगवान राम की सेवा की.

सबसे ऊपर वाली मंजिल पर स्वयं पंचमुखी श्री हनुमान विराजमान हैं. हनुमान जी की गदा के पास मंदिर में वैष्णो देवी मंदिर की तरह एक गुफा भी है. जहां मां वैष्णो अपनी सुंदर और पवित्र तीन पिंडियों के साथ गुफा में विराजमान हैं और यहां गंगा नदी के रूप में पानी की एक पवित्र धारा भी है जिसका वर्णन ऊपर किया जा चुका है.

मंगलवार और शनिवार की आरती के बीच में एक शो आयोजित किया जाता है जिसमें हनुमान जी की दोनों बाहें छाती खोलती और बंद करती है जैसा कि रामायण सीरियल में दर्शाया गया है.

ब्रह्मलीन नागाबाबा जी ज्वालाजी मंदिर, कांगड़ा हिमाचल प्रदेश से पवित्र अखण्ड ज्योति को 30 सितंबर 2006 को हनुमान मंदिर लेकर आए थे, जो तब से अभी तक लगातार मंदिर मे प्रकाशित हो रही है.

बताया जाता है कि इस हनुमान मंदिर से पहले, वहां शिवजी के एक छोटा धुना और यहां हनुमान की एक छोटी मूर्ति मौजूद थी. महंत नागाबाबा सेवागिर जी महाराज यहां तपस्या कर रहे थे तो उन्होंनेअपने शिष्यों को बताया कि भगवान हनुमान उनके सपने में प्रकट हुए और यहां उनकी भव्य प्रतिमा की इच्छा व्यक्त की.
इस सपने के बाद, उन्होंने यहां एक मंदिर के निर्माण के लिए परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया.और 13 सालों में यह मंदिर बन कर तैयार हुई.

यह मंदिर झंडेवालान मेट्रो स्टेशन से बिल्कुल पास में है.
बस से जाने के लिए इस मेट्रो के नीचे करोलबाग बस स्टैंड है जहाँ से कई बस गुजरती है. दिल्ली के हर जगहों से यहाँ आने के लिए बस उपलब्ध है.

हाँ चूँकि यह बिल्कुल ब्यस्त सड़क के किनारे बना हुआ है इसलिए अपनी वाहनों से जाने वालों के लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है.

एक बात और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश से बहुत जल्द इस मूर्ति ( मन्दिर ) को क्रेन द्वारा उठा कर कहीं और शिफ्ट कर दिया जाएगा.

जय जय सियाराम ! जय हनुमान !!