संसद हमले की 19वीं बरसी: पीएम मोदी ने कहा- कायरतापूर्ण हमले को हम कभी नहीं भूलेंगे
देश की राजधानी दिल्ली स्थित संसद भवन पर हमले की आज यानी 13 दिसंबर 2020 को 19वीं बरसी है. आज ही के दिन संसद पर 13 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद पर हमला किया था. कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और सुरक्षाबलों के पहरे के बाद भी आतंकी संसद भवन के परिसर तक पहुंचने में कामयाब रहे थे. इस हमले से हर कोई अवाक था.
जिस समय यह हमला हुआ था. उस वक्त संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था. संसद के दोनों सदन कुछ देर के लिए स्थगित हुए थे. दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी संसद भवन से जा चुके थे. हालांकि लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 अन्य लोग संसद भवन में ही मौजूद थे.
हमले की सुबह संसद भवन परिसर में एक सफेद रंग की एम्बेसडर जिसका नंबर DL-3 CJ 1527 था. तेज रफ्तार से प्रवेश करती इस कार ने पहले उपराष्ट्रपति की कार को टक्कर मारी. जिसके बाद उपराष्ट्रपति की कार के ड्राइवर ने आतंकियों की गाड़ी चला रहे चालक का कॉलर पकड़ लिया. ड्राइवर को कुछ समझ आता इससे पहले ही आतंकियों की बंदूक देखकर वह पीछे हटे. वहां मौजूद पुलिस एएसआई ने आतंकियों पर रिवाल्वर तान दी जिसके बाद गोलियां की बौछार शुरू हो गई.
इस हमले में पांच आतंकी समेत कुल 14 लोग मारे गए थे. सबसे पहले घटनास्थल पर कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव शहीद हुईं थीं. इस घटना में दिल्ली पुलिस के 6 जवान और संसद भवन की सुरक्षा सेवा के दो कर्मचारी और संसद के एक माली की मौत हुई थी.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक मारे गए पांच आतंकियों में हमजा, हैदर उर्फ तुफैल, राना, रनविजय और मोहम्मद शामिल थे. भारतीय कोर्ट के मुताबिक इस हमले में मौलाना मसूद अजहर, गाजी बाबा उर्फ अबू जेहादी और तारिक अहमद का भी हाथ था. जांच में हमले के मास्टरमाइंड के नाम भी सामने आए थे.
इस हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ-साथ मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन (अफजल गुरु का चचेरा भाई) एस ए आर गिलानी शामिल थे. इन आतंकियों को मौत की सजा सुनाई गई थी. अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी.
संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमले में शहीद हुए लोगों के बलिदान और वीरता को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है. हमले की बरसी पर प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में लिखा ”2001 में इस दिन अपनी संसद पर हुए कायरतापूर्ण हमले को हम कभी नहीं भूलेंगे. हम उन लोगों की वीरता और बलिदान को याद करते हैं जिन्होंने हमारी संसद की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी. भारत हमेशा उनका शुक्रगुजार रहेगा.”