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ये साली आशिकी फिल्म रिव्यू- प्यार का बेरहम चेहरा दिखाती है वर्धन पुरी की ये सस्पेंस थ्रिलर

निर्देशक- चिराग रूपरेल कलाकार- वर्धन पुरी, शिवालिका ओबेरॉय, रुसलान मुमताज़, जेसी लीवर “लोग कहते हैं कि देश में लड़कियां असुरक्षित हैं, लेकिन सच तो यह है कि लड़के भी कुछ खास सुरक्षित नहीं हैं..” साहिल मेहरा, फिल्म का हीरो अपने दोस्त से यह संवाद करते हुए एक बदले की आग में भड़क रहा होता है। साहिल मेहरा (वर्धन पुरी) और मीति देवड़ा (शिवालिका ओबेरॉय) की मुलाकात शिमला के होटल मैनेजमेंट कॉलेज में होती है। जहां साहिल पहली नजर में ही मीति को दिल दे बैठता है। वहीं, कुछ मुलाकातों के बाद मीति भी प्यार का इज़हार करती है। लेकिन क्या इनका प्यार इतना सच्चा, इतना मासूम है? शायद नहीं। “ये साली आशिकी” प्यार का एक क्रूर, वीभत्स चेहरा दिखाती है, जो कि बाकी फिल्मों से काफी अलग है। इसके लिए फिल्म की सराहना होनी चाहिए।

फिल्म की कहानी कॉलेज के दिनों से होती हुई प्यार, धोखा, नफरत, पागलपन, प्रतिशोध तक पहुंच जाती है। मीति के प्यार में पागल में साहिल अपने दोस्तों और चाहने वालों से दूर हो जाता है। उसकी हिंसक प्रवृति बाहर आने लगती है, इसी का फायदा उठाते हुए मीति एक झूठी घटना में फंसाकर उसे पागलखाने तक पहुंचा देती है। अब यहां से शुरु होती है साहिल के नफरत की दास्तां। जिसे साहिल दिलोंजान से प्यार करता था, क्या उससे बदला ले पाएगा? यह देखने के लिए आपको सिनेमाघर तक जाना पड़ेगा। फिल्म की पटकथा के साफ है कि इसे वर्धन पुरी को बतौर हीरो लांच करने के लिए ही बनाया गया है। फिल्म के कुछ हिस्सों में जहां वर्धन कॉलेज छात्र के रूप में थोड़े शांत और सौम्य नजर आते हैं। वहीं, कुछ दृश्य में उनका पागलपन, ईष्या, गुस्सा और क्रूरता भी सामने आता है। निर्देशक ने उनके किरदार को हर बारीकी देने की कोशिश की है। अभिनय ही नहीं, बल्कि वर्धन पुरी ने इस फिल्म के संवाद और पटकथा पर भी काम किया है।

अफसोस.. फिल्म का कमजोर हिस्सा भी वही रहा। एक अच्छी कहानी को आप पर्दे पर कितनी प्रभावी ढ़ंग से उतार पाते हैं, यह निर्देशक की हाथों में होता है। यदि यहां चूक गए तो फिल्म औंधे मुंह गिरती है। “ये साली आशिकी” के साथ भी ऐसा ही हुआ है। निर्देशक चिराग रूपरेल इस रोमांटिक थ्रिलर को मनोरंजक बनाने में चूक गए हैं। फिल्म की कहानी आपको शुरुआत से ही बांधने में असफल रहती है। फिल्म के संवाद, संगीत, सिनेमेटोग्राफी, एडिटिंग सभी विभाग औसत हैं। और इन सबसे ऊपर फिल्म के कलाकार। एक फिल्म को पूरी तरह से अपने कंधों पर उठाने के लिए वर्धन पुरी को फिलहाल काफी मेहनत करने की जरूरत है। नकारात्मक अंदाज में वो जंचते हैं, लेकिन रोमांटिक दृश्य और डायलॉग डिलेवरी में कच्चे हैं। शिवालिका ओबेरॉय कुछ हद तक प्रभावित कर पाई हैं। उनके हाव भाव अच्छे हैं। वहीं, जॉनी लीवर के बेटे जेसी लीवर और रुसलान मुमताज़ को देखना दिलचस्प रहा

कुल मिलाकर, यदि आपको मामूली रोमांटिक फिल्मों से अलग प्यार में संस्पेंस थ्रिलर का तड़का देखना पसंद है तो “ये साली आशिकी” देख सकते हैं। फिल्म में एक दृश्य अमरीश पुरी की याद भी दिलाता है, जहां वर्धन पुरी कबूतरों को दाना खिलाते हुए ‘आओ.. आओ..’ बोलते हैं। यह दृश्य आपको सीधे ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के खेतों में खड़े अमरीश पुरी की याद दिलाएगी।

साभार: www.filmibeat.hindi.com