त्रिवेणी नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन नाटक ट्रिक और मांझी ने बटोरी तालियां
प्रेमचंद रंगशाला में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, कला संस्कृति युवा विभाग बिहार सरकार एवं एनसीजेडसीसी के सहयोग से माध्यम फाउंडेशन पटना द्वारा आयोजित तीन दिवसीय त्रिवेणी नाट्य महोत्सव – 2024 के दूसरे दिन ट्रिक और मांझी नाटक का मंचन हुआ। दोनों नाटकों ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। नाटक ट्रिक का नाट्य रूपांतरण व निर्देशन बिहार के जाने माने रंगकर्मी धर्मेश मेहता ने किया। नाटक ट्रिक की कहानी मुंशी प्रेमचंद की दो कहानियों, खच्चर और समस्या पर आधारित है। नाटक ट्रिक की कहानी कचहरी में काम करने वाले मुंशी कुंदनलाल, उनकी पत्नी रामेश्वरी और कचहरी में काम करने वाले गरीबन और उनके सहकर्मियों के जीवन शैली एवं कार्यशैली के इर्द – गीर्द घूमती है। यह एक पारिवारिक हास्य.व्यंग नाटक है।
नाटक का अंत मुंशी जी के संवाद – मैं जैसा भी हूँ पर हूँ तुम्हारा ही पर समाप्त हुआ। इस नाटक में धर्मेश मेहता, राकेश कुमार, सोनल कुमारी, रौशनी कुमारी, डॉ. रवींद्र कुमार चंद्र, सौरभ सिंह, अभिषेक कुमार, रंधीर सिंह, गौतम कुमार निराला, मोहम्मद सदरुद्दीन, मनोज मयंक, मीना देवी, गुड्डी कुमारी, कंचन वर्मा, मनोज मयंक, काजल कुमारी कलाकार के रूप में शामिल रहे जबकि नाटक के कहानीकार – मुंशी प्रेमचंद, नाट्य रूपांतरण व निर्देशन – धर्मेश मेहता, प्रकाश – उपेंद्र कुमार, राजकुमार शर्मा, मेक अप – अंजू कुमारी, मनोज मयंक, सेट – सुनील शर्मा, कोस्टुम – मो. सदरुद्दीन व प्रॉपर्टी – रणधीर सिंह, चित्र प्रिया ने किया। जबकि दूसरा नाटक प्रयागराज, उत्तर प्रदेश की संस्था स्नेह आर्ट एंड कल्चर द्वारा अजित दुबे की लिखित व पंकज गौर द्वारा निर्देशित नाटक मांझी का मंचन किया गया। यह नाटक बिहार के गया जिले के गहलौर गांव के रहने वाले दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित सच्ची घटना है। दशरथ मांझी अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे, लेकिन 1959 में उनकी पत्नी पहाड़ से गिरकर घायल हो गई कुछ समय पश्चात उनकी मृत्यु हो गई, मृत्यु का सबसे बड़ा कारण गहलौर गांव की पहाड़ियों को पार कर 90 किलोमीटर दूर हॉस्पिटल ले जाने के लिए संसाधन उपलब्ध न होना, इस घटना के बाद दशरथ मांझी ने संकल्प लिया कि अपने गांव के मार्ग को सुलभ करने के लिए पहाड़ को काटकर रास्ता बनाए, उन्होंने एक हथोड़ा और छेनी से पहाड़ को काटना शुरू किया और देखते ही देखते हैं उन्होंने 170 मीटर लंबा, 7.7 मीटर गहरा और 9.1 मीटर चौड़ा रास्ता बनाया, इस कार्य को करने में उन्हें 22 साल (1960 – 1982) लगा। इस रास्ते के बनने से गया जिले अत्रि गांव और वजीरगंज सेक्टर की दूरी 55 किलोमीटर से घटकर 15 किलोमीटर हो गई। दशरथ मांझी एक ऐसा नाम जो प्रेम संकल्प और समर्पण से आम जनमानस को जोड़ता है तथा सिखाता है कि अगर इंसान दृढ़ निश्चय होकर कोई कार्य करें निश्चित उस कार्य में सफलता हासिल हो सकती है। इस नाटक में रोहित बाजपेयी, यश मिश्रा, हर्षलराज, अनुभव उपाध्याय, अभिषेक गिरि, प्रगति रावत, प्रियांशु कुशवाहा, कौस्तुभ मणि पाण्डेय, शरद कुशवाहा, विक्रांत केसरवानी, पंकज गौड़, प्रिया मिश्रा ने अपनी कलाकारी का बखूबी प्रदर्शन किया। वहीं इस नाटक में प्रकाश संयोजन – कमलेश सिंह (टोनी), संगीत संयोजन – प्रशांत वर्मा, मेकअप – हमीद अंसारी, सहायक निर्देशक – अभिषेक गिरि व परिकल्पना एवं निर्देशन पंकज गौड़ ने किया।