सम्पादकीय

जिंदगी हर वक्त नया मोड़ लेती है, “रविवारीय” में आज पढ़िए हार और जीत वक्त की होती है व्यक्ति की नहीं

जिंदगी हर वक्त एक नया मोड़ ले लेती है। आप सिर्फ और सिर्फ भौतिक चीज़ों में उलझकर रह जाते हैं, और जब तक आप कुछ समझ पाते हैं यह आपको कहीं से लाकर कहीं छोड़ जाती है या यूं कहें पटक देती है बिल्कुल समंदर की लहरों की तरह । जब आप

मनीश वर्मा,लेखक और विचारक

उसमें फंस जाते हैं तो यह आपको डुबोती तो नहीं है, पर जब किनारे पर लाकर पटकती है तब शायद आपको अहसास होता है उसकी ताकत का। भले ही आप कितने भी बड़े तैराक क्यों ना हों। वैसे कहा जाता है। बड़े बुजुर्गो से सुना है अक्सर बेहतरीन तैराक ही समंदर की लहरों के आगे घुटने टेक देते हैं।
वैसे ज़िंदगी हार और जीत से शायद परे है। यह आपको हमेशा एक सबक सीखा जाती है। बस आप सीखने को तैयार हों।
हम क्या चाहते हैं ? शायद हम चाहते हैं कि हर जगह हमें जीत हासिल हो। हमारा झंडा बुलंद रहे।हम उसके लिए हर जतन करने को तैयार रहते हैं, परंतु तब हम सभी शायद भूल जाते हैं कि हमारा प्रारब्ध हमारे साथ चल रहा है। उसने हमारे लिए कुछ और ही सोच रखा है। हम सभी उसके गुलाम हैं। आप जितने भी तार्किक हो लें, आपके हाथ में कुछ भी नहीं है। जब कभी जिंदगी में सब कुछ सही चल रहा होता है, तब शायद हमें इस बात का भान नहीं होता है। हम इस बात की ओर ध्यान भी नहीं देते हैं, पर ज़िंदगी ने जहां थोड़े हौले से अपनी करवटें बदली आपका साया आपका साथ छोड़ देता है। हम सभी तो बस निमित्त मात्र हैं।
अपनी जीत पर हम जश्न मनाते हैं और अपनी हार पर दुखी हो जाते हैं। जरा सोचिए जीत और हार से परे भी दुनिया है। जिंदगी कोई खेल नहीं है जहां जीत पर जश्न और हार पर दुखी हुआ जाए। अगर जीत और हार की बात यहां करेंगे तो शायद आप जीत कर भी हार जाएंगे और सामने वाला व्यक्ति हार भी जीत जाता है। सामाजिक जीवन में आप जीतने के साथ ही साथ बहुत कुछ छोड़ जाते हैं या यूं कहें छूट जाता है। आप अपनी ताकत में, अपने गुरूर में इस बात को भूल जाते हैं। इसे बिल्कुल भी तवज्जो नहीं देते हैं, पर वक्त आपको इस बात का अहसास बखूबी दिला देता है। कोई कमजोर और मजबूत नहीं होता है। कोई जीतता और हारता नहीं है। यह तो वक्त है मेरे दोस्त जो हारता और जीतता है। कभी आपने देखा है किसी को भी जो सदा एक जैसे रहा हो। जब वो ऊंचाई पर होता है तब उसे लगता है बस यही दुनिया है बाकि सब तो मेरे कदमों में है।बस यहीं तो भूल हो जाती है। कल को किसने देखा है ! ऊंचाई से वैसे भी दुनिया खूबसूरत दिखाई देती है। जिंदगी को समझना है और उसका लुत्फ़ उठाना है तो धरती पर आना होगा।

✒️ मनीश वर्मा’मनु’

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