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जंगलराजवालों को उखाड़ फेंकने के आंदोलन में मुख्यमंत्री की कोई भागीदारी नहीं,भाजपा के नेतृत्व में केंद्र सरकार में थे मंत्री – विजय कुमार सिन्हा

संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा दोषसिद्ध अभियुक्त को क्लीनचिट देना औऱ संवैधानिक संस्था पर आरोप लगाना अशोभनीय

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष औऱ राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ही थे शिकायतकर्ता,

ट्रायल कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक के सफर में लालू जी को कहीं राहत नहीं,

जंगलराजवाले समय में चारा घोटाला भी था प्रमुख मुद्दा।

पटना 25 अगस्त 2023

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री द्वारा लालू जी को फंसाने संबंधी बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि संवैधानिक पद आसीन व्यक्ति द्वारा इस तरह का बयान अशोभनीय है।

श्री सिन्हा ने कहा कि लालू जी के विरुद्ध माननीय न्यायालय में याचिका दायर करने औऱ सी बी आई को साक्ष्य उपलब्ध कराने में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह औऱ राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री शिवानंद तिवारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी।नीतीश कुमार के इशारे औऱ हस्तक्षेप के कारण ही ये लोग सक्रिय भूमिका में थे।यदि लालू जी निर्दोष थे तो उनलोगों को नीतीश जी ने याचिका दायर करने से क्यों नहीं रोका।

श्री सिन्हा ने कहा कि सी बी आई एक संवैधानिक संस्था है।सबूत औऱ साक्ष्य के आधार पर ही यह कार्रवाई करती है।चारा घोटाले के मामले में राज्य सरकार ने भी सी बी आई को प्रशंसनीय सहयोग किया था।यहाँ तक कि माननीय न्यायालय में कुछ मामलों में बिहार सरकार इन्टरभेनर भी बनी थी।लेकिन उन सब वातों को भूलकर सी बी आई पर आरोप लगाना न्याय संगत नहीं है।

श्री सिन्हा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक चारा घोटाले पर बहस हुई लेकिन लालू जी सहित किसी भी अभियुक्त को कहीं से राहत नहीं मिली।राज्य के खजाने से 900 करोड़ की लूट का यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना।सी बी आई के द्वारा पहली कार्रवाई के समय विपक्षी गठबंधन के ही प्रधानमंत्री थे।लालू जी खुद नेतृत्व की बड़ी भूमिका में थे लेकिन माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा केस की मॉनिटरिंग के कारण कुछ नहीं कर पाए।

श्री सिन्हा ने कहा कि जंगलराजवाले दिनों में चारा घोटाला महत्वपूर्ण मुद्दा था।1990-2005 वाली सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भाजपा ने जो आंदोलन चलाया था उसमें चारा घोटाले के विरूद्ध राज्य की जनता भी सहयोग के लिए सड़क पर उतर गई थी।उसके बाद ही भाजपा ने नीतीश कुमार को राज्य का नेतृत्व सौंपा था लेकिन जंगलराजवालों को हटाने बाले आंदोलन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।ये उस आंदोलन के बलिदानियों को भी भूल गए।इन्हें उन दिनों के संघर्ष का कोई अनुभव अथवा योगदान नहीं है।इसी कारण वे चारा घोटाले वालों के साथ पिछले दरवाजे से सरकार बना लिए हैं और सी बी आई की आलोचना कर रहे हैं।राज्य की जनता सब देख रही है औऱ आने वाले चुनाव में इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा देगी।