दिल्ली डायरी : इस संग्रहालय को नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा
कमल की कलम से !
आज हम आपको वहाँ लेकर चल रहे हैं जहाँ के लिए बस इतना जान लीजिए कि यदि आपने इसे नहीं देखा तो आपने अपनी जिंदगी में कुछ नहीं देखा.भारतीय वायु सेना का शानदार इतिहास यदि आप देखना और समझना चाहते हैं तो चलिए आप मेरे साथ पालम स्थित वायु सेना का इकलौता संग्रहालय.संग्रहालय कई भागों में बंटा हुआ है और वायु सेना के हर पहलू को यहाँ देख और समझ सकते हैं.यकीन मानिए इसे देख कर आपका सीना तन जाएगा और सर गर्व से उठ जाएगा.संग्रहालय में जैसे जैसे आपके कदम बढ़ते जायेंगे वैसे वैसे आप चमत्कृत और अभिभूत होते चले जायेंगे.
समय समय पर इसमें बदलाव हुआ जिसकी झलक आप यहाँ देख सकते हैं. तब दिए जाने वाले पदक में ब्रिटेन का शाही मुकुट अंकित होता था.
यहाँ प्रदर्शित पदक में अशोक चक्र के नीचे देवनागरी में
भारतीय वायु सेना तथा इसका सूत्र वाक्य ‘नभ स्पर्शम दीप्तम’ लिखा हुआ है.ब्रिटिश शाही मुकुट के चिन्ह वाला पदक भी यहां रखा हुआ है.भारतीय वायु सेना में पहली वर्दी खाकी थी, लेकिन 1990 से आसमानी कमीज और नेवी ब्लू पैंट ने वर्दी की जगह ले ली.
यहाँ प्रदर्शित किये गए कुछ चित्रों में पकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने 1971 के भारत पाक युद्ध के आत्मसमर्पण दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर का चित्र और दुश्मन के ठिकानों पर हमला करते हुए विमानों की तस्वीरें देख सकते हैं.
यहाँ आप राडार उपकरण,दुश्मनों को परास्त कर छीन कर हथियाए गए वाहन और युद्ध में जीती गई ट्रॉफियां देख सकते हैं.निर्मलजीत सिंह सेखों – एक उड़ान अधिकारी की आदमकद मूर्ति भी देख सकते हैं और जिन्हें अपने असाधारण उड़ान कौशल के कारण और दो दुश्मनों को वीरतापूर्वक मार गिराने के कारण परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.सम्भवतया ये चक्र पाने वाले ये वायु सेना के एकलौते अधिकारी थे.इसके साथ ही इस संग्रहालय में तलवारें और वायु सेना अधिकारियों के हथियार, विभिन्न प्रारूपों के टैंक, राइफल, पिस्टल, गन और रिवॉल्वर भी आप देख पाएंगे.
1971 के युद्ध में क्षतिग्रस्त हुआ सुखोई 7 विमान का पिछला हिस्सा भी यहाँ प्रदर्शित है.वर्ष 1971 की लड़ाई के दौरान ही भारतीय वायु सेना ने लोंगेवाला में दुश्मन के कुल 23 टी 59 टैंक नष्ट किए थे.इनमें से दो टैंकों का मलबा और पूर्वी पाकिस्तानी सेना से बरामद एक ट्रक तथा एक टोयोटा जीप भी यहाँ रखी है.इसके समीप एसए 2 एसएएम मिसाइल तथा दिविना रडार यूनिट भी नजर आती हैं.मिसाईलों के बीच खुद को पाकर शरीर एक अजीब तरह की उत्तेजना और रोमांच से भर जाता है. मैंने जो सिहरन और खुद को रोमांचित होने के अहसास से दो चार हुआ वो आप यहाँ आकर ही अनुभव कर सकते हैं.दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय वायुसेना के दस स्क्वाड्रन विमान भेजे गए थे जो यहां रखे हैं. भारतीय वायुसेना के पहले आधिकारिक सुपरसोनिक विमान एवियन्स मार्सेल डसाल्ट एमडी 452 मिस्टेरे को भी यहाँ देखा जा सकता है.
1971 के युद्ध के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगातार सेवाएं देने वाला हेलीकॉप्टर एमआई 4, बीजेड 900 भी यहां मौजूद है.
संग्रहालय में युद्धक विमान हंटर बीए 263,एचएएल अजीत ई 2015,सुखोई 7 बी 888,मिग 21 एफएलसी 499,एचएफ, 24 मारूत डी 1025,मिग 23 एमएफ एसके 434,मिग 25आरकेपी 355 भी यहाँ पर आप देख सकते हैं.ये वह विमान हैं जिन्हें चरणबद्ध तरीके से वायुसेना से हटाया जा चुका है.वर्ष 1957 से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया इंगलिश इलेक्ट्रिक कैनबरा भी यहां मौजूद है और कुछ यूनिटों में अब तक काम कर रहा है
सबसे मजेदार है 1971 के लड़ाई में पाक का क्षतिग्रस्त विमानों और टैंक तथा अन्य वाहनों को उस पर विजय की याद दिलाते हुए देखना और अपने भारतीय वायु सेना पर गर्व से भर जाना.
यह बुधवार से रविवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है.यह सोमवार, मंगलवार और अन्य सरकारी छुट्टियों के दिन बंद रहता है.अभी कोरोना के कारण दो साल से बन्द रहा यह संग्रहालय आम जनता के लिए कोरोना प्रोटोकॉल के साथ खोल दिया गया था. मास्क अवश्य लेकर जाएं.
यहाँ पहुँचना बहुत आसान है.यह घरेलू विमान स्थल के समीप है. एयरपोर्ट से द्वारका की तरफ जाने पर यह रास्ते में पड़ता है
नजदीकी मेट्रो स्टेशन सदर बाजार और बस स्टैंड इंडियन ऑयल कारपोरेशन है.बस संख्या 727 , 764 , 715 , 770 , 781 यहाँ से गुजरती है. स्टैंड पर या मेट्रो से उतर कर आप पैदल ही यहाँ पहुँच सकते हैं.टर्मिनल 2 से छोटी निजी बस पालम मंगलापुरी तक जाती है जो इस संग्रहालय के मुख्य द्वार के पास से होकर गुजरती है.निजी वाहन से आनेवालों के लिए मुख्य द्वार के सामने निःशुल्क पार्किंग की ब्यवस्था है.
हाँ , याद रखें आपका एक सरकारी परिचय पत्र ( आधार , पैन कार्ड , वोटर आई डी , ड्राइविंग लाईसेंस , वगैरह ) आपके पास जरूर मौजूद हो.जय जय भारतीय वायु सेना !
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