किम्स के डॉक्टरों ने एक व्यक्ति के शरीर के आर-पर हो गए 5 फीट लंबे बांस को निकाल कर बचाई जान
भुवनेश्वर : कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (किम्स ) के डॉक्टरों ने एक 40 वर्षीय व्यक्ति को मौत के मुंह से बचाकर एक नया जीवन दिया है। किम्स के डॉक्टर ने कई घंटों के उपचार के बाद व्यक्ति के छाती में पांच फीट लम्बे बांस के खंबे जो उसके छाती के आर-पार निकला हुआ था को निकालने में सफल रहे हैं। यह किम्स के डॉक्टरों के लिए एक बड़ी सफलता है।
सूत्रों के मुताबिक, पुरी जिले के चंदनपुर ब्लॉक के तलजंगा के तपन परिडा (40) को 28 अक्टूबर की आधी रात के आसपास अस्पताल ले जाया गाया। क्योंकि तपन के छाती में एक 5 फुट लंबा बांस का खंभा उसकी गर्दन के ऊपर से पीछे की तरफ से निकल गया था। वह अपना एक हाथ नहीं हिला पा रहा था। उसकी इस दिल दहला देने वाली गंभीर हालत को देख कर डॉक्टरों ने तुरंत उनका इलाज शुरू किया।
सर्जरी विभाग के डॉ प्राण सिंह पुजारी के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ छह सदस्यीय सर्जिकल टीम, जिसमें एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार बेहरा शामिल थे, ने कई घंटों की सर्जरी करके बांस के खम्बे को निकालने में सफल रहे।
परिजनों ने बताया कि तपन के साथ घटना 28 अक्टूबर को रात करीब साढ़े नौ बजे हुई। जब बांस की खंबा उनके छाती में घुसा तब वह अपने धान के खेत का रखवाली कर रहे थे। अँधेरे की वजह से तपन देख नहीं पाया और पावं फिसलने की वजह से अचानक अपने खेत से करीब 15 फीट नीचे एक बांस के खम्बे पर जा गिरा। बाँस का खम्बा उसकी छाती को चीरते हुए आर-पार निकल गया। स्थानीय लोग उसे तुरंत किम्स इमरजेंसी वार्ड में ले आए।
हालांकि सर्जरी जटिल थी, लेकिन उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और इलाज शुरू की। मरीज अब खतरे से बाहर है और ठीक हो रहा है।
हालांकि उन्हें 21 दिन के आराम की सलाह दी गई है। डॉ पुजारी ने कहा कि तपन के ठीक होने की पूरी प्रक्रिया में लगभग तीन से छह महीने लगेंगे क्योंकि वह गंभीर स्थिति में था। किम्स विशेषज्ञों की टीम के प्रयासों के कारण एक नया जीवन पाने वाले तपन ने डॉक्टरों और अस्पताल अधिकारियों को धन्यवाद दिया है।
किट , किस और किम्स के संस्थापक डॉ अच्युता सामंता ने डॉ पुजारी और ऑपरेशन में शामिल टीम को धन्यवाद दिया, साथ ही उन्होंने मरीज के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की।
इस तरह के सफल इलाज के कारण किम्स का नाम और प्रसिद्धि ने ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और आंध्र प्रदेश के लोगों के बीच एक जगह बनाई है, यह लगातार सफल प्रक्रियाओं और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं में सस्ती लागत के साथ गुणवत्तापूर्ण मरीज की देखभाल में नए मानक स्थापित कर रहा है।