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इंडियन ग्रीन बिल्ंिडग काउंसिल के पटना चैप्टर का हुआ शुभारंभ

पटना। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार सदस्य एवं बिहार राज्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड के निदेशक डॉ0 उदय कान्त मिश्र ने सीआइआइ इंडियन ग्रीन बिल्ंिडग काउंसिल पटना चैप्टर का शुभारंभ किया।

बिहार राज्य में पर्यावरण में टिकाऊ निर्माण को बढ़ावा देने में एक नए अध्याय की शुरूआत हुई। इस मौके पर डा मिश्र ने कहा कि प्रकृति के पांच तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और ईथर जो वातावरण को निर्माण करते हैं। इन बातों को इमारतों की डिजाइन विकसित और संचालित करते समय ध्यान रखने की आवश्यकता है। यही बातें वास्तव में टिकाऊ और हरित बनाते हैं। मुझे अब पूर्ण विश्वास है कि आईजीबीसी पटना चैप्टर राष्ट्रीय हरित भवन आंदोलन को आकार देने में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।

बीसीडी को हरित एवं स्वस्थ बिहार तथा भारत के निर्माण में आईजीबीसी के साथ मिलकर काम करने में खुशी होगी। पटना शहर सीआईआई इंडियन ग्रीन बिल्ंिडग काउंसिल का 29वॉं स्थानीय अध्याय बन गया है। यह स्थानीय अध्याय क्षेत्र में हरित भवन अवधरणाओं को अपनाने एवं बढ़ावा देने में हितकारकों के साथ मिलकर काम करता है और इस क्षेत्र में नए विकास के अवसरों को साझा करने, सीखने एवं तलाशने के लिए मंच भी प्रदान करता है।

इस मौके पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एस चंद्रशेखर ने कहा कि भारत में 21वीं सदी के हरित भवन आंदोलन का नेतृत्व आईजीबीसी सीआईआई का हिस्सा है। परिषद् का गठन वर्ष 2001 में किया गया था ताकि भारत को 2025 तक हरित भवनों और हरित निर्मित पर्यावरण में वैश्विक लीडरों में से एक के रूप में उभरने में मदद मिल सके। आईजीबीसी रेटेड हरित भवनों के लाभों में शामिल हैं। बिजली की खपत में 40 से 50 प्रतिशत की बचत, पानी की खपत में 20 से 30 प्रतिशत की बचत, वेंटिलेशन और दिन के उजाले और ऑक्युपैंट्स स्वास्थ्य एवं उत्पादकता में वृद्धि। वहीं आईजीबीसी के तकनीकी समिति के अध्यक्ष आशीष राखेजा ने कहा कि सामान्य तौर पर लोगों का मानना है कि परियोजनाओं में ग्रीन बिल्ंिडग अवधारणों को अपनाने से निर्माण लागत में वृद्धि होती है। इसे संबोधित करने के लिए आईजीबीसी ने वास्तविक मामले के अघ्ययन पर विचार करते हुए एक पारंपरिक योजना की तुलना में ग्रीन प्रोजेक्ट निर्माण की लागत पर विस्तृत अध्ययन किया है लेकिन यह नि:संदेह साबित हो गया कि ग्रीन प्रोजेक्ट के निर्माण की लागत 2 से 3 प्रतिशत तक कम हो सकती है यदि डिजाइन द्वारा कार्यान्वयन के लिए ग्रीन उपायों पर चिार किया जाता है और ग्रीन उत्पादकों एवं सामग्रियों को निर्माण के लिए उचित रूप से चुनाव किया जाता है।

आईजीबीसी पटना चैप्टर के अध्यक्ष सुदीप कुमार ने कहा कि इस अध्याय के प्रति विहंगम दृष्टि के रूप में हम सबसे पहले बिल्ंिडग बिरादरी जैसे डेवेलपर्स, आर्किटेक्ट्स, इंजीनियरों, शिक्षाविदों एवं अन्य हितधारकों के लिए ग्रीन बिल्ंिडग अवधारणाओं के बारे में जागरूकता पैदा करेंगे। हरित मार्ग एक आवश्यकता बन गया है और स्थायी कल सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है। इस संबंध में इमारतों एवं अन्य बुनियादी ढांचे के विकास को पर्यावरणीय मुद्दों तथा चिंताओं से दूर करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये। इस मौके पर अन्य लोग भी उपस्थित थे।