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दीप श्रेष्ठ को मिला महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान

नयी दिल्ली 02 अप्रैल जानेमाने फिल्मकार-अभिनेता और निर्देशक दीप श्रेष्ठ को महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।

ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन की अध्यक्षता में स्व. महादेवी वर्मा की जयंती 26 मार्च के अवसर पर सत्याग्रह मंडप, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, राजघाट, नई दिल्‍ली परिसर में महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान समारोह – 2022 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों स्थापित और प्रतिभावान 27 विभूतियों को सम्मानित किया गया। फिल्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के लिये दीप श्रेष्ठ को महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया है।

दादा साहब फाल्के इण्डियन टेलीविजन अवार्ड से सम्मानित कायस्थ परिवार मे जन्में दीप श्रेष्ठ बहुआयामी प्रतिभा के धनी और भोजपुरी इंडस्ट्री की दशा दिशा बदली है। वर्ष 2001 में दीप श्रेष्ठ ने गवनवा ले जा राजा जी बना कर भोजपुरी फ़िल्म उद्योग की दशा दिशा बदल दी । दीप श्रेष्ठ ने भोजपुरी फिलमो के तिसरे दौर की पहली फ़िल्म माई के दुलार के निर्माण और निर्देशन किया। बिहार की लोक गीत, लोक संस्कृति, संस्कार गीतो एवं छठ महापर्व के गीतों की विरासत को बचाने के प्रयास का नाम है दीप श्रेष्ठ। दीप श्रेष्ठ को बिहार कोकिला शारदा सिन्हा और अनुराधा पोडवाल कल्पना के सभी महत्वपूर्ण छठ गीतों लोकगीतों को बिहारी संस्कृति के ताने-बाने में बुनकर वीडियो के रूप में जनता के सामने लाने का श्रेय जाता है।

उन्होंने बिहारी संस्कृति के अनुरूप भोजपुरी गीतों को संस्कृति की माला में पिरो कर एल्बम की दुनिया में क्रांति ला दी। लोग दीप को विडीयो किग के नाम से जानने लगे।नाटकों में दीप श्रेष्ठ को पहली बार बड़े स्तर पर पहचान तब मिला जब वे मणि मधुकर रचित नाटक रस गंधर्व का सफल मंचन किया। बाद मे मुंबई जाकर पृथ्वी थियेटर में नाटको के मचन मे भाग लिया ।नाटकों के बाद जब एल्बम की ओर रुख किया तो सबसे पहले भरत शर्मा और गोपाल राय के वीडियो एल्बम किया। इसके बाद वे कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे।परंपराओं के बीच रचे बसे दीप ने जब माई के दुलार फिल्म बनाई तो उन्होंने पारंपरिक गीतों को उसमें डालकर भोजपुरिया संस्कृति को दिखाने का सफल प्रयास किया।

दीप श्रेष्ठ ने बिहार के भोजपुरी मैथिली एवं अंगिका भाषाओं के संस्कार गीतों को जीवित करने की ठानी और अपने निर्देशन में पुरानी परम्पराओं को जीवित करने का प्रयास किया है। भावी पीढ़ी के बीच हमारी परंपरा गत बाँस की बनाई डोली, बाँस से बनी विवाह मंडप , परंपरागत छठ पूजा और उसके रस्मों को इन्होंने हूबहू फिल्मांकन कर अपने वीडियो के माध्यम से अपनी विरासत को बचानेका भरपूर प्रयास किया। दीप श्रेष्ठ ने कई चर्चित फ़िल्मों में अभिनय किया है प्रकाश झा की नेशनल अवार्ड फ़िल्म दामुल ।

मोहन प्रसाद की गंगा अईसन माई हमार , पंडित जी बताई ना बियाह कब होई।गोल्डन जुबली पोडुसर अशोक चन्द्र जैन की गंगा के पार सईया हमार। बेटी भईल परदेशी , बिहार के लोक गीत लोक संस्कृति पर अधारीत सिरीयल दूरदर्शन पर विरासत का निर्माण ओर निर्देशन किया है जो अब यूटटूबय पर है दीप श्रेष्ठ को उनके कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित भी किया गया है। दीप श्रेष्ठ बिहार प्रदेश भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ से जुट कर सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की अलख जगा रहे हैं । वह जीकेसी कला एवं सांस्कृतिक प्रकोष्ठ मे राष्ट्रीय संयोजक है ।