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इन्दिरा आईवीएफ ने पूरे किये 1 लाख सफल आईवीएफ प्रोसिज़र

पटना। किसी भी दम्पती के लिए माता-पिता कहलाना उनके दाम्पत्य जीवन का अनमोल अहसास होता है लेकिन कई दम्पती काफी प्रयासों के बाद भी संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। 2015 की ई एण्ड वाई रिपोर्ट के अनुसार करीबन 10 से 15 प्रतिशत भारतीय दम्पति निःसंतानता से प्रभावित हैं लेकिन ज्यादातर दम्पती इसका सफल और आधुनिक उपचार नहीं ले पाते हैं। निःसंतानता के उपचार में देष की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चैन इन्दिरा आईवीएफ ने एक लाख सफल आईवीएफ प्रक्रियाएं पूरी करके देष में बड़ा आयाम स्थापित किया है।

कंकड़बाग, पटना सेंटर में हुआ सेलिब्रेषन

11 वर्षों में उच्च सफलता दर के साथ बड़ा मुकाम हासिल करने पर इन्दिरा आईवीएफ कंकरबाग सेंटर, पटना में समारोहपूर्वक सेलिब्रेषन किया गया। इस उपलब्धि को सेलिब्रेट करने के लिए केक काटा गया तथा लाभान्चित और इलाजरत दम्पतियों का सम्मान करके उनके साथ खुषियां बांटी गयी।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के निजी सचिव सह बासा के अध्यक्ष शशांक शेखर सिन्हा उपस्थित रहे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि शशांक शेखर सिन्हा ने कहा कि निःसंतानता के दर्द से जुझ रहे दम्पतियों को जब संतान सुख प्राप्त होता है तो उनकी खुशी की सीमा नहीं रहती है। इन्दिरा आईवीएफ ऐसी खुशी बांट रहा है जिसके अभाव में दम्पती खुद को अकेला महसूस करते हैं।

इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन डाॅ. अजय मुर्डिया ने कहा कि पिछले 3 दशकों में पुरुषों के शुक्राणुओं में भारी गिरावट देखी गई है जिसके कारण निःसंतानता के एक तिहाई मामलो में पुरूषों के कारण संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही है। डाॅ. मुर्डिया ने कहा कि रियायती दरों में श्रेष्ठ फर्टिलिटी उपचार से हम देशभर के अनेक दम्पतियों के परिवार में खुशियां लाने में कामयाब हो पाएं हैं। आईवीएफ के क्षेत्र में विशेषज्ञों को तैयार करने के लिए इन्दिरा फर्टिलिटी अकेडमी में प्रोफेशनल कोर्सेज संचालित किये जा रहे हैं ताकि यहां से प्रशिक्षण लेकर जब वे मरीजों का उपचार करे तब नवीनतम चिकित्सा तकनीकों से उन्हें सफलता दिलवा पाएं।

भारत में 10-15 प्रतिशत दम्पति निःसंतानता से प्रभावित

एक लाख सफल आईवीएफ प्रक्रियाएं पूरी होने के उपलक्ष्य में इन्दिरा आईवीएफ के सह-संस्थापक और सीईओ डाॅ. क्षितिज मुर्डिया ने कहा कि निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान के तहत देषभर में 2100 से अधिक निःषुल्क निःसंतानता परामर्ष षिविरों का आयोजन किया जा चुका है जिसमें हजारों निःसंतान दम्पतियों को निःसंतानता और उपचार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है। हम देष के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी 107 सेंटर के माध्यम से निःसंतानता का उच्चस्तरीय उपचार प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

इन्दिरा आईवीएफ के सह-संस्थापक और निदेषक नितिज मुर्डिया ने कहा कि आईवीएफ की सफलता दर बहुत कुछ भ्रूण वैज्ञानिक एवं उन्नत लैब पर भी निर्भर करती है, साथ ही उन्होंने कहा कि आर्टिफिषियल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रोनिक विटनेसिंग एडवांसमेंट से आईवीएफ में पारदर्षिता और सफलता में बढ़ोतरी हुई है। सरकार द्वारा आईवीएफ को भी इंष्योरेंस में कवर करना चाहिए ताकि दम्पती आर्थिक कारणों से उपचार करवाने से पीछे नहीं हटे।

इन्दिरा आईवीएफ पटना सेंटर हेड डाॅ. दयानिधि शर्मा ने कहा कि बिहार में निःसंतानता और इसके इलाज को लेकर काफी गलत धारणाएं व्याप्त थी जिसे दूर करने में हम काफी हद तक कामयाब रहे हैं। दम्पती की काउन्सलिंग और जांचों के बाद समस्या को ध्यान में रखकर हम उनके लिए उचित उपचार प्रक्रिया का निर्धारण करते हैं इसलिए उन्हें सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है। इस अवसर पर केन्द्र में पूरे अप्रैल महीने में निःशुल्क निःसंतानता परामर्ष शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें दम्पती निःसंतानता से संबंधित समस्याओं को लेकर विशेषज्ञों से निः शुल्क परामर्ष प्राप्त कर सकते हैं।

इन्दिरा आईवीएफ कंकड़बाग, पटना सेंटर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट डाॅ. पूजा सिंह ने कहा कि कम समय में एक लाख सफल आईवीएफ प्रक्रियाएं पूरी करना मरीजों के विश्वास, सेवाभावी टीम और सटिक उपचार के निर्धारण के बिना संभव नहीं है। इस अवसर को सेलिब्रेट करने के लिए सेंटर में लाभान्वित दम्पतियों को बुलाकर उनके साथ केक काटा गया, यहां दम्पतियों ने इन्दिरा आईवीएफ के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए खुशी का इजहार किया । डाॅ. अनुजा सिंह ने अतिथियों और दम्पतियों का स्वागत किया।