सम्राट अशोक स्वतंत्र भारत के संवैधानिक प्रतीक जिनके चक्र से है देश की पहचान
पटना। राष्टï्रीय जनता दल के राष्टï्रीय प्रवक्ता प्रो0 सुबोध मेहता ने कहा कि सम्राट अशोक स्वतंत्र भारत के संवैधानिक प्रतीक हैं जिनके चक्र और स्तंभ से देश की पहचान होती है। उनके सिद्धांतों को अपनाकर भारत नेे सारे विश्व को प्रेम और बंधुत्व का संदेश दिया था। सम्राट अशोक को कलंकित करने के लिए ही संघी दया प्रकाश सिन्हा ने अशोक को कामशोक, चंडशोक और कुरूप बताया। यह सोच बहुत गहरी साजिश है जिसका प्रतिबिम्ब वृहद्रथ मौर्या की हत्या से मिलता है। जब वृहद्रथ मौर्य ने ब्राह्म्णवादी मूल्यों को नहीं मानकर बुद्ध के विचारों को माना और पूरे विश्व में फैलाया। यह देख ब्राह्म्ण पुष्पमित्र ने वृहद्रथ मौर्या की हत्या कर खुद को राजा घोषित कर लिया और पूरे दुनिया में बुद्ध के विचारों और धरोहरों को नष्ट किया और पूरे हिन्दुस्तान में ब्राह्म्णवाद व्यवस्था कायम किया। भारत के लोग बुद्ध को जान भी नहीं पा रहे थे लेकिन साउथ एशिया के लोगों ने बताया कि बुद्ध का विचार तो हिन्दुस्तान का विचार है और मौर्य साम्राज्य के राजाओं ने ही बुद्ध के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया था। बुद्ध का विचार मनुष्य से मनुष्य का भेद नहीं करता है, इसमें प्रकृति से प्रेम करना सिखाता है। यह बात मौर्य साम्राज्य का ब्राह्मण सेनापति पुष्पमित्र को अच्छा नहीं लगता था। राष्ट्रीय जनता दल का यह मानना है कि बुद्ध का विचार ही बहुजनों का विचार है और इसकी लड़ाई राष्ट्रीय जनता दल लड़ती रहेगी। राष्ट्रीय जनता दल राजा वृहद्रथ मौर्य के विचारों को स्थापित करने की लड़ाई लड़ रहा है। राजद का सवाल सूबे के मुखिया नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा से है कि आप बुद्ध के विचारों के साथ हैं या पुष्पमित्र के विचारों के साथ।