भारत के जेम्स बॉन्ड अजित डोभाल का 77वां जन्मदिन, ऐसे रॉ से जुड़े थे डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का आज 77वां जन्मदिन है। डोभाल देशभर में भारत के जेम्स बॉन्ड के नाम से भी मशहूर हैं, क्योंकि उन्होंने अपना जीवन देश के लिए ही बिताया है जो सालों तक दुश्मनों के बीच रहा और सेना को खुफिया जानकारी देता रहा। डोभाल को आज लोग जन्मदिन की बधाई दे रहे हैं। डोभाल ने देश की रक्षा के लिए अपने जीवन के करीब चालीस साल गुमनामी में गुजारे हैं।
अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। डोभाल के पिता का नाम गुणानंद डोभाल है, जो खुद भी सेना में बड़े अधिकारी थे। डोभाल की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर, राजस्थान में किंग जॉर्ज्स रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अब अजमेर मिलिट्री स्कूल) में हुई। साल 1967 में उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में फर्स्ट पॉजिशन के साथ डिग्री ली। इसके बाद वो आईपीएस बनने की तैयारी में लग गए और साल 1968 में केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी बने। पुलिस सेवा में चार साल बिताने के बाद, 1972 में खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़ गए।
जून 1984 में पंजाब के स्वर्ण मंदिर को खालिस्तानी समर्थकों से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के कुछ समय ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया गया। दरअसल ऑपरेशन ब्लू स्टार के करीब चार साल बाद खालिस्तानी समर्थक एक बार फिर स्वर्ण मंदिर के अकाल तख्त के पास पहुंच गए। यही वो समय था जब भारत के मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अमृतर की गलियों में एक युवक रिक्शा चलाता दिख रहा था। इस इलाके में तब जरनैल सिंह भिंडरावाले का अच्छा खासा प्रभाव हुआ करता था। खालिस्तानियों को उस पर शक हुआ। हालांकि, उस रिक्शेवाले ने अपनी सूझबूझ से 10 दिन की मशक्कत के बाद यह विश्वास दिला दिया कि उसे आईएसआई ने खालिस्तानियों की मदद के लिए भेजा है। बताया जाता है कि वह रिक्शावाला कोई और नहीं बल्कि अजित डोभाल ही थे। अजीत डोभाल ने आईएसआईएस आंतकियों के कब्जे से 46 भारतीय नर्सों को छुड़ाने में भी अहम भूमिका निभाई।
1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण हुआ था। इसे बाद में कंधार ले जाया गया था। उस समय अजित डोभाल ने तालिबान के साथ बातचीत में काफी अहम भूमिका अदा की थी। रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत के अनुसार उस दौरान कंधार से डोभाल लगातार उनके संपर्क में थे। डोभाल ने ही हाइजैकर्स को यात्रियों को छोड़ने के लिए राजी किया था।
भारत सरकार के पांचवें NSA और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष अजीत डोभाल पाकिस्तान में 7 साल तक अंडर कवर एजेंट के रूप में भी काम किया। इस दौरान उन्होंने खुद को एक मुसलमान की तरह रखा और किसी को भनक तक नहीं लगने दी कि वो एक हिंदू परिवार से आते हैं। वहां उन्होंने अंडरकवर ऑपरेटिव की तरह काम किया। इस दौरान उन्होंने भारत के लिए खुफिया और आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी जानकारी एकट्ठा करने में अहम भूमिका निभाई। वो अजित डोभाल ही थे जिन्होंने 15 बार भारतीय विमानों के अपहरण की संभावना को खत्म किया।
भारत ने 28-29 सिंतबर, 2016 की रात पाकिस्तान में दाखिल होकर आतंकियों के ठिकानों पर बमबारी की थी। इस ऑपरेशन के मास्टर माइंड भी एनएसए अजीत डोभाल थे। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर नगा शांति समझौता, ऑपरेशन ब्लैक थंडर से लेकर आईएसआईएस के चंगुल से भारतीय नर्सों को सुरक्षित निकालने तक अजित डोभाल के नाम पर कई उपलब्धियां हैं। 77 वर्षीय डोभाल भारतीय पुलिस सेवा के ऐसे रिटायर्ड अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। इसी वजह से उन्हें भारत का जेम्स बॉन्ड तक कहा जाने लगा। अजित डोभाल को पीएम नरेंद्र मोदी का बेहद खास माना जाता है।