विविधसम्पादकीय

राजनीति अस्पृश्य नहीं, भविष्य वही तय करेगी: राजीव रंजन

उदयपुर, ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि राजनीति अस्पृश्य नहीं है, देश और समाज का भविष्य यही तय करेगी, इसलिए जरूरी है कि कायस्थ समाज राजनीति में भी सक्रिय हो और अपने हिस्से का हक मांगे।

उदयपुर के सेक्टर 14 स्थित भटनागर समाज के भवन में हुई बैठक राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि सम्पूर्ण भारत वर्ष का 5000 साल का इतिहास देखेंगे तो कायस्थ समाज की हर काल के शासन प्रशासन में महत्वपूर्ण और विश्वसनीय भूमिका के उदाहरण दृष्टिगोचर हो जाते हैं। जरूरत पड़ी तो समाज ने राष्ट्ररक्षा में तलवार भी उठाई है।

यहां तक कि स्वाधीनता संग्राम से लेकर आजाद भारत में भी समाज के हस्ताक्षरों ने देश के महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली, लेकिन, आज कायस्थ समाज कहीं न कहीं खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। इसकी वजह समाज का एक मंच पर नहीं आ पाना है। प्रसाद ने आह्वान किया कि समाज को अपना स्थान पुनः प्राप्त करने के लिए एक मंच पर आना होगा। कायस्थ समाज की सभी शाखाओं को एकजुट होना होगा।

प्रसाद ने कहा कि आरक्षण जैसी बाधा को युवाओं ने अपनी प्रतिभा से पार कर लिया, वे वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं, लेकिन देश में ही अवसरों के लिए देश की राजनीति और प्रशासन में भी भागीदारी आवश्यक है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आगामी 19 दिसम्बर को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में विश्व कायस्थ महासम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने सभी से वहां उपस्थित होने का आह्वान किया।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि राजस्थान विद्यापीठ के पूर्व वीसी डॉ. बीपी भटनागर ने कहा कि किसी भी उद्देश्य के लिए समर्पित व्यक्ति 5 भी हों तो वे 500 के बराबर होते हैं। कार्यक्रम के प्रारम्भ में जीकेसी के मीडिया प्रमुख विवेक भटनागर ने सभी अतिथियों का परिचय एवं स्वागत किया।

जीकेसी राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि समाज को अब व्यापार क्षेत्र के लिए भी खुद को तैयार करना होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि देश में कायस्थ समाज के कितने विधायक हैं, राजनीतिक क्षेत्र में समाज का कितना प्रतिनिधित्व है, इसके लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है।

ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस की प्रबन्ध न्यासी रागिनी रंजन ने भी कायस्थ समाज की सभी शाखाओं को एक मंच पर आने का आह्वान किया। बैठक में वरिष्ठ इतिहासविद गिरीशनाथ माथुर ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डा. आकांक्षा भटनागर ने किया। कार्यक्रम के संयोजक आशीष सहीवाला, डा. नीलेश भटनागर थे। इस अवसर पर डा. आदित्य नाग, मनोज भटनागर, लोकेश भटनागर, अतुल भटनागर और अन्य कार्यकर्ता और कई गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे।