राष्ट्रीय

ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम के तहत अपने ट्रिपल वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए निकल पड़े दिव्यांगों ने पहला पड़ाव पार कर लिया

एक तरफ टोक्यो पैरालंपिक में जहां खिलाड़ियों ने 19 मेडल जीत कर नया रिकॉर्ड बनाया, वहीं दूसरी ओर दिव्यांगों की टीम ने एक बार फिर देश को गर्व करने का मौका दिया है। ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम के तहत अपने ट्रिपल वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए निकल पड़े दिव्यांगों ने पहला पड़ाव पार कर लिया है। 8 दिव्यांगों की टीम ने आखिरकार 13 दिनों के भीतर सियाचिन ग्लेशियर की 15,632 फीट ऊंची चोटी पर पहुंचकर विश्व रिकॉर्ड बना डाला। एक मंजिल पाने के बाद अब यही टीम मालदीव के खुले समुद्र में स्कूबा डाइव करने और दुबई में पैरा जंपिंग करने के दो और विश्व रिकॉर्ड बनाने का जज्बा पूरा करेगी।

ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम के तहत बनाएंगे ट्रिपल वर्ल्ड रिकॉर्ड

दरअसल, ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम के तहत भूमि, जल और वायु पर रिकॉर्ड बानने निकल पड़े हैं। इसी के तहत 8 दिव्यांगों की इस टीम ने सियाचिन ग्लेशियर की ऊंचाई मापने, मालदीव के खुले समुद्र में स्कूबा डाइव करने और दुबई में पैरा जंपिंग करने के ट्रिपल एलीमेंटल वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने लक्ष्य तय किए थे। इसके लिए भारत सरकार ने हाल ही में दिव्यांगों की इस टीम का नेतृत्व करने के लिए ”कॉन्कर लैंड एयर वाटर” (सीएलएडब्ल्यू) को मंजूरी दी थी।

अपना पहला वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए टीम ने 1 सितम्बर को सियाचिन बेस कैंप से चढ़ाई शुरू की थी। चढ़ाई के दौरान टीम ने अभूतपूर्व धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ तेजी से बदलते मौसम की चुनौतियों, ग्लेशियर की हवाओं, चिलचिलाती धूप और हड्डियों को जमा करने वाली ठंड का सामना किया। ग्लेशियर की गहरी दरारों, बर्फीले हिमनदों की जलधाराओं ने टीम के सदस्यों की शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति का परीक्षण करते हुए विशेष रूप से दृष्टिबाधित और पैर के विकलांगों को चुनौती दी।

 

ट्रिपल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” अभियान के लिए दिव्यांगों की इस टीम को भूमि, वायु और जल प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी भारतीय सशस्त्र बलों के दिग्गजों के समूह सीएलएडब्ल्यू ने ली है। समूह के सदस्यों ने तीनों विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए टीम को स्काई डाइविंग, स्कूबा डाइविंग और पर्वतारोहण में प्रशिक्षित किया है। दिव्यांगों की टीम का नेतृत्व करने वाले पूर्व पैरा अधिकारी मेजर विवेक जैकब ने ”कॉन्कर लैंड एयर वाटर” (सीएलएडब्ल्यू) की स्थापना की है, जो दिव्यांगों को इस चुनौती भरे कार्य को संभव बनाने में मदद कर रही है। इस संस्था में भारतीय सेना के विशेष बलों के दिग्गजों को शामिल किया गया है।

सियाचिन का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस नीचे

मेजर विवेक जैकब ने बताया कि दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाने वाला सियाचिन ग्लेशियर पृथ्वी पर सबसे कठोर इलाकों में से एक है। वहां का तापमान शून्य से 50 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है। सियाचिन ग्लेशियर हिमालय में पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा समाप्त होती है।

गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर

उन्होंने बताया कि काराकोरम रेंज हिमाच्छादित हिस्से में यूरेशियन प्लेट को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग करता है, जिसे कभी-कभी ”तीसरा ध्रुव” भी कहा जाता है। यह दुनिया के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों में दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर है।

साभार : NewsOnAir