दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान पर सुनिये पटना एम्स के डॉ० संजीव कुमार को
इस वैश्विक महामारी के बीच हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत कम समय में वैक्सीन ( vaccine ) बनायी , फिर भारत सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से इस अभियान को शुरू किया है । अब तक 80 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है । कोरोना महामारी से लड़ने के लिए यह अपने आप में अद्भुत और सटीक कदम है । चाहे आप स्वास्थ्यकर्मी हों या फ्रंट लाइन वर्कर ( front line worker ) या आम आदमी , जब भी आपका नंबर आये , वैक्सीन जरूर लगवायें , क्योंकि जनभागीदारी से ही हमारे देश में हर्ड इम्यूनिटी ( herd immunity ) विकसित हो पायेगी.
कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज ( dose ) लगवाना कितना जरूरी है ?
कोरोना की वैक्सीन की दो डोज 28 दिन के अंतराल पर लगनी हैं । ध्यान रहे , दूसरी डोज लगने के 14 दिन बाद ही समुचित मात्रा में शरीर में एंटीबॉडी ( antibodies ) विकसित हो पाते हैं । यानी 14 दिन बाद ही आपका शरीर वायरस से लड़ने में सक्षम हो पाता है , इसलिए सभी को दूसरी डोज लगवाना बहुत जरूरी है.
क्या वैक्सीन लगने के बाद भी मास्क लगाना जरूरी है ?
इस खुशफहमी में न रहें कि वैक्सीन ( vaccine ) लगवाते ही आपका शरीर वायरस से लड़ने में सक्षम हो गया है और आपको कोरोना नहीं होगा। क्योंकि किसी को नहीं पता कि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी ( antibodies ) बनने में कितना समय लगेगा । दूसरी बात यह कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर ( covid appropriate behaviour ) जरूरी है , क्योंकि वैक्सीन से जो एंटीबॉडी बनते हैं , उनकी वजह से वायरस आप पर प्रभाव नहीं डाल पाता है , लेकिन वह आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम ( respiratory system ) में प्रवेश तो कर ही सकता है और ऐसा होने पर आप दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं.
जब दोनों वैक्सीन समान रूप से प्रभावी हैं तो एक ही वैक्सीन क्यों नहीं दी जा रही है ?
हमारे देश में दो वैक्सीन हैं , एक कोवीशील्ड और दूसरी कोवैक्सीन । दोनों अलग – अलग कंपनियों ने अलग – अलग पद्धतियों से बनायी हैं । अब हमारे देश की जनसंख्या इतनी अधिक है कि अगर एक ही कंपनी की वैक्सीन लगाते , तो प्रोडक्शन ( production ) बढ़ाना पड़ता । कोई भी कंपनी अपनी क्षमता से ज्यादा डोज ( dose ) नहीं बना सकती है । इसलिए दो कंपनियां वैक्सीन सप्लाई ( supply ) कर रही हैं । और तो और , भारत सरकार प्रयास कर रही है कि अगले दो – तीन महीने में तीन – चार या इससे भी अधिक वैक्सीन आ जायें । जिससे जल्द से जल्द पूरे देश की जनसंख्या को वैक्सीन लग सके.
बच्चों को वैक्सीन कब दी जाएगी ?
सबसे पहली बात यह कि अभी तक जो भी वैक्सीन बनी हैं उनका ट्रायल 18 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों पर ही हुआ है । बच्चों पर ट्रायल कब होगा , यह हमारे वैज्ञानिक तय करेंगे । हालांकि अगर हमारे देश में 70 प्रतिशत लोग वैक्सीन लेकर इम्यून ( immune ) हो जाएं , तो हर्ड इम्यूनिटी ( herd immunity ) आ सकती है । ऐसा होने पर बच्चों को वैक्सीन देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।