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आस्ट्रेलिया की ला ट्रोब विवि का टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के साथ करार

नयी दिल्ली, 20 मार्च (भारत पोस्ट लाइव) ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोब यूनिवर्सिटी भारत में उद्योग और व्यवसाय जगत के साथ पारिस्थितिकी-अनुकूल कृषि, स्वास्थ्य और कल्याण, प्रौद्योगिकी और जैव-नवाचार जैसे क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता की पेशकश की है।
भारत यात्रा पर आए ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर थियो फैरेल ने बुधवार को यहां संवाददाता सम्मेल में कहा कि उनका संस्थान अपनी विशेषज्ञता के कई क्षेत्रों को लेकर भारत में कई संगठनों के साथ महत्वपूर्ण साझेदारियां कर रहा है। इस यात्रा में प्रोफेसर फैरेल और टीआईएसएस के प्रो वाइस चांस्लर प्रोफेसर शंकर दास ने एक संयुक्त पीएचडी प्रोग्  की भी घोषणा की इसके तहत भारतीय छात्रों को एशिया में शहरीकरण की बढ़ती चुनौतियों के समाधान के लिए शोध में सहायता दी जाएगी।
इसी साल फरवरी में विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार संभालने वाले री फैरेल ने भारत की अपनी पांच दिन की यात्रा में यहां आईआईटी कानपु , बिट्स पिलानी , टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज (टीआईएसएस) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों, उद्योग-व्यवसाय और शिक्षा क्षेत्र के लोगों के साथ मुलाकात के अलावा सरकार के अधिकारियों से भी मुलाकात की।
प्रोफेसर फैरेल ने संवादाताओं से कहा,“ला ट्रोब के साथ इस समय भागीदारी कर रहे कुछ सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में भारत के कुछ विश्वविद्यलाय शामिल हैं। हम भारतीय उद्योग और व्यवसाय जगत के साथ महत्वपूर्ण साझेदारियां कर रहे हैं। हमारा मकसद आपसी सहयोग से पारिस्थितिकी अनुकूल तरीकों से खाद्य उत्पादन और कृषि, स्वास्थ्य और कल्याण, प्रौद्योगिकी और जैव-नवाचार सहित ऐसे अन्य क्षेत्रों में हमारी खास विशेषज्ञता का लाभ उठाना है।” उन्होंने कहा कि ला ट्रोब उद्योग जगत से परस्पर साझेदारी बढ़ा कर कई अहम क्षेत्रों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है।
उन्होंने कहा,“ला ट्रोब के लिए प्राथमिकता के कई क्षेत्र हैं जिनमें काफी बड़े अवसर है और ये अवसर भारत से अटूट संबंध बनाने और नयी साझेदारियां करने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।”
उन्होंने कहा कि इन अवसरों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच छात्रों के आदान-प्रदान में सहयोग और विस्तार जारी रखना, डिजिटल प्रौद्योगिकी और कौशल विकास के क्षत्र में नवाचारों पर केंद्रित अनुसंधान, अनुसंधान के व्यावसायीकरण के अवसरों की तलाश और उद्योग जगत के भागीदारों के साथ संबंध बनाना शामिल है।
प्रोफेसर फैरेल ने भारतीय दौरे पर ला ट्रोब के भागीदारों, उद्योग जगत और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें कीं इनमें परस्पर हित के क्षेत्रों पर सहयोग की संभावना पर चर्चा की गयी।इसका उद्येश्य दोनों देशों की प्राथमिकताएं पूरी करने में सहायता करना और उद्योग जगत में नवाचार तथा विकास को बढ़ावा देना है।
प्रोफेसर फैरेल महिंद्रा विश्वविद्यालय भी जाएंगे जहां ला ट्रोब ने सिविल इंजीनियरिंग में एक सयुक्त बैचलर डिग्री प्रोग्  की शुरुआत की है। वर्ष 2023 में शुरू किये गए इस सहयोग के तहत छात्र-छात्राओं को महिंद्रा विश्वविद्यालय में दो साल और ला ट्रोब विश्वविद्यालय में दो साल पढ़ाई कर सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल करने का अवसर मिलता है।
समीक्षा. . 
भारत पोस्ट लाइव

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