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सोलर वेस्ट 2030 तक 600 किलोटन तक पहुंच सकता है: सीईईडब्ल्यू

नयी दिल्ली 20 मार्च (भारत पोस्ट लाइव) नेट-जीरो लक्ष्य को पाने के लिए भारत अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है। इससे मौजूदा और नई सौर ऊर्जा क्षमता (वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2029-30 के बीच स्थापित क्षमता) से निकलने वाला सोलर वेस्ट 2030 तक 600 किलोटन तक पहुंच सकता है। यह 720 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल को भरने के बराबर होगा।
यह जानकारियां काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की ओर से बुधवार को जारी एक नए अध्ययन ‘इनेबलिंग अ सर्कुलर इकोनॉमी इन इंडियाज सोलर इंडस्ट्री: असेसिंग द सोलर वेस्ट क्वांटम’ से सामने आई है। इस अध्ययन के अनुसार, इस सोलर वेस्ट का ज्यादातर हिस्सा पांच राज्यों- राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु- से आएगा। भारत की मौजूदा सौर ऊर्जा क्षमता से निकलने वाला सोलर वेस्ट 2030 तक बढ़कर 340 किलोटन हो जाएगा। इसमें लगभग 10 किलोटन सिलिकॉन, 12-18 टन चांदी और 16 टन कैडमियम व टेल्यूरियम शामिल है, जो भारत के लिए महत्वपूर्ण खनिज हैं। बाकी 260 किलोटन सोलर वेस्ट इस दशक में स्थापित होने वाली नई सौर ऊर्जा क्षमता से आएगा। यह भारत के लिए सोलर सेक्टर में सर्कुलर इकोनॉमी के एक अग्रणी केंद्र के रूप में उभरने और सोलर सप्लाई चेन में लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए अच्छा अवसर है।

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