राष्ट्रीय

‘शून्य भोजन वाले बच्चे’ रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण

नयी दिल्ली 12 मार्च (भारत पोस्ट लाइव) केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘भारत में तथाकथित शून्य भोजन वाले बच्चे’ रिपोर्ट को दुर्भावनापूर्ण प्रयास बताया है और कहा है कि यह राजनीति से प्रेरित है।
मंत्रालय ने मंगलवार को यहां जारी एक यहां जारी एक बयान में कहा है कि यह रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण है और इसे अनावश्यक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास किया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि यह लेख इच्छुक लॉबी द्वारा एक जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण प्रयास है और राजनीतिक से प्रेरित है।
लेख का खंडन करते हुए मंत्रालय ने कहा है कि यह आश्चर्यजनक है कि भारत में बच्चों की पोषण स्थिति पर इतने व्यापक और गलत सामान्यीकरण तक पहुंचने के लिए कोई प्राथमिक शोध नहीं किया गया है।
‘शून्य भोजन वाले बच्चों’ की कोई वैज्ञानिक परिभाषा नहीं है। शोध के लिए अपनाई गई पद्धति अपारदर्शी है। भारत में किसी भी राज्य सरकार या किसी निजी संगठन ने कभी भी भूख से मर रहे बच्चों के बारे में रिपोर्ट नहीं की है।
यह लेख छह महीने से अधिक उम्र के शिशुओं के लिए स्तन के दूध के महत्व को स्वीकार नहीं करता है और इसके बजाय केवल ऐसे शिशुओं को पशु का दूध, फार्मूला, ठोस या अर्ध-ठोस आदि खिलाने पर ध्यान देता है। यह आश्चर्यजनक है कि लेख छह से तेईस महीने के शिशुओं के लिए भोजन की परिभाषा से स्तन के दूध को बाहर रखा गया है।
पिछले दिनों एक वेबसाइट पर प्रकाशित एक वेबसाइट के लेख भारत में भूख से बच्चों के करने का दावा किया गया।
सरकार का पूरक पोषण कार्यक्रम छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रति दिन 500 किलो कैलोरी भोजन प्रदान करता है, जिसमें केवल कैलोरी पर नहीं बल्कि संतुलित आहार पर ध्यान दिया जाता है। पूरक पोषण में सूक्ष्म पोषक तत्व, फोर्टिफाइड चावल और बाजरा शामिल हैं। यह कार्यक्रम सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध है और किसी भी स्तनपान कराने वाली मां और छह वर्ष तक के बच्चों के लिए खुला है।
सत्या.संजय
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