एथलीटों के विकास में स्पोर्टस साइंस की भूमिका अहम:ठाकुर
नई दिल्ली, 28 फरवरी (वार्ता) स्पोर्ट्स साइंस को ज्ञान और समझ का बेहतरीन माध्यम बताते हुये केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कहा कि यह एथलीटों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत स्पोर्ट्स साइंस कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए ठाकुर ने देश में नेशनल सेंटर आफ एक्सीलेंस में स्पोर्ट्स साइंस के महत्व पर जोर दिया। इस कॉन्क्लेव में भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, 2003 विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज और भारतीय क्रिकेटर दीपक चाहर सहित कई वर्तमान और पूर्व एथलीटों ने भाग लिया।
अनुराग ठाकुर ने कहा, “ ट्रांसटैडिया और भारत सरकार द्वारा आयोजित पहले भारत स्पोर्ट्स साइंस कॉन्क्लेव 2024 में शामिल होना खुशी की बात है। ट्रांसटैडिया जैसे संगठन को पहल करते हुए और इस तरह के एक महत्वपूर्ण कॉन्क्लेव का आयोजन करते हुए देखना खुशी की बात है। स्पोर्ड्स साइंस खिलाड़ियों विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह ज्ञान और समझ का एक अनूठा भंडार है। स्पोर्ट्स साइंस हमारे बच्चों को उनकी शारीरिक सीमाओं को समझने में मदद करता है। इससे वे अपनी शक्ति और क्षमता को समझने में खासतौर पर सक्षम होंगे और साहस के साथ अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर बढ़ सकेंगे।”
खेल मंत्री ने कहा, “ स्पोर्ट्स साइंस के तत्वों का उपयोग एथलीटों को उनके प्रशिक्षण में सपोर्ट देने के लिए किया जाता है ताकि उन्हें अपनी ताकत को समझने, सुधार करने और अपने लक्ष्यों के प्रति अपनी क्षमताओं का भरपूर दोहन करने में मदद मिल सके। हम देखते हैं कि स्पोर्ट्स साइंस वास्तव में एथलीटों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह उनके लिए शक्ति और सपोर्ट का स्रोत है। इससे हम सीखते हैं कि शक्ति, संघर्ष और सपोर्ट के संयोजन से, हर कोई अपने सपनों को प्राप्त कर सकता है, चाहे वह किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहा हो। स्पोर्ट्स साइंस ने हमारे प्रमुख एथलीटों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इसलिए, हम देश में अपने नेशनल सेंटर आफ एक्सीलेंस सेंटर्स में एक स्पोर्ट्स साइंस विभाग बनाना सुनिश्चित कर रहे हैं।”
अभिनव बिंद्रा ने भी एथलीटों के जीवन में स्पोर्ट्स साइंस की आवश्यकता पर बल दिया और कोचों से इसे अपने प्रोग्राम्स में भी शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “ भारत स्पोर्ट्स साइंस कॉन्क्लेव की जुटी यह भीड़ स्पोर्ट्स साइंस के क्षेत्र में हमारे देश के दूरदर्शी दृष्टिकोण की अग्रणी भावना का प्रमाण है। अपने समृद्ध एजेंडे और विचार-विमर्श के साथ इस कॉन्क्लेव का आयोजन इस बात को रेखांकित करता है। एथलेटिक परफार्मेंस के विकास और वृद्धि में स्पोर्ट्स साइंस का महत्वपूर्ण महत्व रहा है। यह रचनात्मक अन्वेषण की भावना है, जिसे मैं भारत स्पोर्ट्स साइंस कॉन्क्लेव में उपस्थित खेल वैज्ञानिकों, अभ्यासकर्ताओं और उत्साही लोगों के काम में प्रतिबिंबित देखता हूं।”
बिंद्रा ने कहा, “ एथलीट की प्रगति के संरक्षक के रूप में कोचों को इस डिजिटल युग में अपनी प्रशिक्षण पद्धतियों को बेहतर बनाने के लिए स्पोर्ट्स साइंस को अपनाना चाहिए। एक राष्ट्र के रूप में ओलंपिक में आगे बढ़ने के लिए, हमें स्पोर्ट्स साइंस को अपने एथलेटिक ढांचे की हर परत में शामिल करना चाहिए। यह सिर्फ एक अत्याधुनिक सुविधा ही नहीं हैं, बल्कि जमीनी स्तर से विशिष्ट स्तर तक वैज्ञानिक मानसिकता का एकीकरण भी है, जो भारत को एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में विकसित करने में मदद करेगा। जमीनी स्तर पर शुरुआत करने के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। यहां हमें सटीक विश्लेषण और साक्ष्य-आधारित प्रशिक्षण विधियों की संस्कृति को विकसित करना शुरू करना चाहिए।”
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के प्रमुख न्यूट्रीनिस्ट जी वाणी भूषणम; डॉ. प्रलय मजूमदार ( वरिष्ठ सलाहकार, स्पोर्ट्स साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (सेंटर आफ स्पोर्ट्स साइंस एंड एनालिटिक्स, आईआईटी, मद्रास); डॉ. नानकी जे चड्ढा ( स्पोर्ट्स एंड परफार्मेंस साइकोलाजिस्ट और पूर्व भारतीय गोल्फर); डॉ. पियरे ब्यूचैम्प (हाई-परफॉर्मेंस डायरेक्टर, नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया); अमेय कोलेकर ( स्पोर्ट्स साइंस हेड, पदुकोण द्रविड़ सेंटर फॉर स्पोर्ट्स एक्सीलेंस) जैसे कुछ नामचीन लोग कॉन्क्लेव का हिस्सा थे।
प्रदीप
वार्ता