भारत और यूनान के बीच आईएमईसी के शीघ्र क्रियान्वयन के लिए विचार विमर्श
नयी दिल्ली, 21 फरवरी (वार्ता) भारत और यूनान ने अपनी रणनीतिक साझीदारी में स्टार्ट अप्स एवं रक्षा उद्योगों को आपस में जोड़ने तथा समुद्री मालवहन एवं कनेक्टिविटी को बल देने के उद्देश्य से भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक काॅरीडोर (आईएमईसी) के शीघ्र क्रियान्वयन को लेकर बुधवार को विचार विमर्श किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की यात्रा पर आए यूनान के प्रधानमंत्री मित्सोताकिस के साथ यहां हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय शिखर बैठक में ये विचार विमर्श हुआ। दोनों देशों ने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में निवेश एवं संयुक्त उद्यम लगाने के बारे में भी चर्चा की। भारत ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में यूनान की सक्रिय भूमिका का स्वागत किया।
बाद में श्री मोदी ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा कि यूनानी प्रधानमंत्री का भारत आगमन पिछले वर्ष उनकी यूनान यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत होती रणनीतिक साझीदारी का संकेत है।और सोलह वर्षों के बड़े अंतराल के बाद यूनानी प्रधानमंत्री का भारत आना, अपने आप में एक ऐतिहासिक अवसर है।
उन्होंने कहा,“ हम 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर हैं। हमने अपने सहयोग को नई ऊर्जा और दिशा देने के लिए कई नए अवसरों की पहचान की। कृषि के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच करीबी सहयोग की संभावनाएं अनेक हैं।”
उन्होंने कहा, “मुझे ख़ुशी है कि पिछले वर्ष इस क्षेत्र में किए गए समझौते के कार्यान्वयन के लिए दोनों पक्ष कदम उठा रहे हैं। हमने फार्मा, मेडिकल उपकरण, टेक्नोलॉजी, नवान्वेषण, कौशल विकास, और अंतरिक्ष जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया। हमने दोनों देशों के स्टार्ट अप्स को भी आपस में जोड़ने पर चर्चा की। शिपिंग और कनेक्टिविटी दोनों देशों के लिए उच्च प्राथमिकता के विषय हैं। हमने इन क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ाने पर विचार विमर्श किया।”
श्री मोदी ने कहा ,“ रक्षा एवं सुरक्षा में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास को दर्शाता है। इस क्षेत्र में कार्य समूह के गठन से हम रक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने और समुद्री सुरक्षा जैसी साझा चुनौतियों पर आपसी समन्वय बढ़ा सकेंगे। भारत में रक्षा विनिर्माण में संयुक्त उत्पादन एवं विकास के नए अवसर बन रहे हैं, जो दोनों देशों के लिए लाभदायक हो सकते हैं। हमने दोनों देशों के रक्षा उद्योगों को आपस में जोड़ने पर सहमति जताई हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और यूनान की चिंताएं और प्राथमिकताएं समान हैं। हमने इस क्षेत्र में अपने सहयोग को और अधिक मज़बूत करने पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि दो प्राचीन और महान सभ्यताओं के रूप में भारत और यूनान के बीच गहरे सांस्कृतिक और जनता के बीच संबंधों का लम्बा इतिहास है। लगभग ढाई हज़ार वर्षों से दोनों देशों के लोग व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों के साथ-साथ विचारों का भी आदान प्रदान करते रहे हैं। उन्होंने कहा,“ आज हमने इन संबंधों को एक आधुनिक स्वरूप देने के लिए कई नई पहलों की पहचान की। हमने दोनों देशों के बीच आव्रजन एवं आवागमन साझीदारी समझौते को जल्द से जल्द संपन्न करने पर चर्चा की। इससे हमारे जनता के बीच संबंध और सुदृढ़ होंगे।’’
श्री मोदी ने कहा,“ हमने दोनों देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर भी बल दिया। अगले वर्ष भारत और यूनान के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए हमने एक कार्य योजना बनाने का निर्णय लिया। इससे हम दोनों देशों की साझा धरोहर, विज्ञान एवं तकनीक, नवाचार, खेल और अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियों को वैश्विक मंच पर दर्शा सकेंगे।”
श्री मोदी ने कहा,“ आज की बैठक में हमने कई क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। हम सहमत हैं कि सभी विवादों और तनावों का समाधान संवाद और कूटनीति के माध्यम से किया जाना चाहिए।हम हिन्द प्रशांत क्षेत्र में यूनान की सक्रिय भागीदारी और सकारात्मक भूमिका का स्वागत करते हैं। यह ख़ुशी का विषय है कि यूनान ने हिन्द प्रशांत महासागरीय पहल से जुड़ने का निर्णय लिया है। पूर्वी भूमध्य सागर क्षेत्र में भी सहयोग के लिए सहमति बनी है। भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान शुरू किया गया आई-मैक कॉरिडोर लम्बे समय तक मानवता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस पहल में यूनान भी एक अहम भागीदार बन सकता है।हम संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य वैश्विक संस्थानों के सुधार के लिए सहमत हैं, ताकि इन्हें समकालीन बनाया जा सके। भारत और यूनान वैश्विक शांति और स्थिरता में योगदान देने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे।”
यूनान के प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार भारत में हूं… और प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर, हम अपने द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक गति को आगे बढ़ा रहे हैं। संयुक्त घोषणा में कहा गया है कि हम कुछ महीने पहले एथेंस में हस्ताक्षर किए गए थे और जिसने हमारे संबंधों को रणनीतिक स्तर पर उन्नत किया था, उसे पहले ही क्रियान्वित किया जा रहा है। और जैसा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, हम सभी क्षेत्रों- सुरक्षा और रक्षा, निवेश और व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, साइबरस्पेस, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन, कृषि में रणनीतिक सहयोग को गहरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “यूनान और भारत कई पहलुओं में एक-दूसरे के करीब हैं। हमारे साझा मूल्य उस पुल के रूप में काम करते हैं जो हमें करीब लाता है… दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सहयोग करने के लिए आपसी राजनीतिक इच्छाशक्ति साझा करते हैं। एक-दूसरे के साथ साझीदारी स्थापित करने और नए तालमेल तलाशने और बनाने के लिए… पिछले साल हमने कृषि और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। और इस साल हम आव्रजन एवं आवागमन पर बहुत महत्वपूर्ण समझौते पर हम काम कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि हम बहुत जल्दी इसे अंतिम रूप दे देंगे। यह अवैध प्रवासन, मानव तस्करी से लड़ने जैसे मुद्दों पर हमारे सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम होगा, बल्कि युवा भारतीयों को यूनान में आकर काम करने और हमारे अर्थव्यवस्था के विकास से लाभ उठाने का अवसर भी प्रदान करेगा।”
यूनान के प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया आज अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसके लिए यूक्रेन में चल रहे युद्ध से लेकर मध्य पूर्व की स्थिति तक – जलवायु परिवर्तन से लेकर खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा तक के मुद्दों पर तत्काल और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा,“ इसके लिए निश्चित रूप से सरकारों को अंतरराष्ट्रीय साझीदारी और सामूहिक कदम उठाने की जरूरत है और इसमें भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। हम भारत को हिन्द प्रशांत के व्यापक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा के मुख्य स्तंभों में से एक के रूप में देखते हैं।”
उन्होंने कहा,“ हम 2028-29 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र में सुधार के बारे में वार्ता का भी समर्थन करते हैं ताकि इसमें विकास और वैश्विक के बदलती परिस्थितियों का अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।”
यूनानी प्रधानमंत्री भारत की राजकीय यात्रा पर कल आए। उनका राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में औपचारिक स्वागत किया गया और उसके बाद, वह महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट गए। आज दोपहर उन्होंने श्री मोदी के साथ ने प्रतिनिधिमंडल स्तर के प्रारूप में भी विस्तृत बातचीत की। प्रधानमंत्री ने उसके बाद आने वाले गणमान्य मेहमानों के सम्मान में दोपहर के भोजन की मेजबानी की। अपराह्न में उन्होंने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की।
यूनानी प्रधानमंत्रीआज शाम को उद्घाटन होने वाले 9वें रायसीना संवाद में मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता होंगे। वह अपनी यात्रा के दूसरे चरण में व्यापारिक नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। वह स्वदेश लौटने से पहले मुंबई भी जाएंगे।
सचिन,आशा
वार्ता